बस्तर में महिला शिक्षा अनिवार्य होनी चाहिए: दीपिका सोरी

बस्तर में महिला शिक्षा अनिवार्य होनी चाहिए: दीपिका सोरी

Female education should be compulsory in Bastar: Deepika Sori

deepika sori

  • नक्सल मुक्त बस्तर अब विकास की नई इबारत लिखेगा, महिलाओं को सशक्त बनाने आयोग सराहनीय कार्य कर रहा
  • महिलाओं को खुद को अग्रिम पंक्ति में लाना होगा


कैलाश यादव
रायपुर /नवप्रदेश। राज्य महिला आयोग की सदस्य सुश्री दीपिका सोरी का कहना है कि हमारा आयोग दलगत राजनीति से ऊपर उठकर महिलाओं के संरक्षण के लिए काम कर रहा है। लेकिन महिलाओं को अग्रिम पंक्ति में लाने की जरूरत है। उनका कहना है कि बस्तर में धर्मांतरण की मूल वजह लालच है। सरकार को चाहिए कि बस्तर में महिला शिक्षा अनिवार्य करें। सुश्री सोरी आज यहां दैनिक नवप्रदेश के कार्यालय में सौजन्य भेंट के लिए पहुंची थी। इसी दरम्यान उन्होंने नवप्रदेश से सामाजिक मुद्दों पर बातचीत की ।


उन्होंने कहा कि समाज सेवा से जुडऩे का साथ धर्मांतरण रोकने के लिए काम कर रही हूं। आदिवासी बाहुल्य समाज की सबसे बड़ी समस्या यही रही है कि किसी ने आदिवासियों को जागरूक करने की कोशिश ही नहीं की। जितने में राजनीतिक रोटी सेंक ले उतना ही जागरूक करने की कोशिश होती रही। मेरा परिवार शिक्षा के महत्व को समझता है इसलिए मुझे एलएलबी तक पढ़ाई कराई और मुझे सशक्त बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

मैं अपने परिजनों का बहुत सम्मान करती हूं जिसमें मुझे इस मुकाम तक पहुंचाया। मैं पहले भी बिना किसी पार्टी से जुड़े सामाजिक गतिविधियों से जुड़ी रही हूं। महिला उत्पीडऩ, प्रताडऩा को लेकर समाज में आवाज उठाती रही हूं। सरकारें आती-जाती रही जिसके कारण बस्तर को राजनीतिक र्पािर्टयों ने मात्र वोट बैंक के हिसाब से बस्तर को सजाया संवारा।

अब बस्तर जाग गया है वो अपना अस्तित्व खुद बनाना चाहता है। बस्तर में महिला शिक्षा अनिवार्य होनी चाहिए । स्कूलों और कालेजों के साथ औद्योगिक क्षेत्र के विस्तार के साथ यहां के युवा अब कुछ करके दिखाना चाहते है। ये जज्बा आज सभी बस्तरवासियों में देखा जा सकता है। प्रदेश बने 25 साल हो गए पर शिक्षा का स्तर मात्र 29 प्रतिशत है। इसे बढ़ाना होगा। महिलाओं को जागरूक करने सरकार को सतत जागरूकता अभियान चलाते रहना चाहिए ,जब तक महिलाएं जागरूक न हो जाए। नक्सलवाद के खात्मे के साथ अब नए सूरज का उदय बस्तर से होगा। बस्तर विकास की नई इबारत लिखेगी जो देश दुनिया में बस्तर का नाम रोशन होगा।



सवाल-महिला आयोग के कामकाज से सरकार की चहुंओर प्रशंसा हो रही है। आप भी ऐसा मानती है कि महिला आयोग बहुत बढिय़ा काम कर रही है।
जवाब-निश्चित रूप से हमारे विष्णुदेव साय सरकार का सुशासन महिला आयोग में भी चल रहा है। महिला आयोग पूरी निष्ठा से महिलाओं के साथ न्याय कर रही है। जिसकी प्रशंसा राष्ट्रीय अध्यक्ष ने भी की है।


सवाल- समाज में प्रचलित कुरातियों को दूर करने के लिए आयोग के पास कोई और विकल्प होना चाहिए आयोग ऐसा महसूस करता हो।
जवाब –आयोग अपने आप में पूरी तरह सशक्त है, कुरीतियों को पढ़ाई लिखाई जागरूकता से दूर किया जा सकता है। जब सभी शिक्षित हो जाएंगे तो कुरीतियां अपने आप स्वत: समाप्त हो जाएगी।


सवाल- राष्ट्रीय महिला आयोग अध्यक्ष विजया रहाटकर की हाल की रायपुर यात्रा में छत्तीसगढ़ में महिला आयोग की प्रशंसा और सराहना करते नहीं थक रही है । क्या है इस सराहना के पीछे की उपलब्धि ।
जवाब:-महिला आयोग अन्याय के खिलाफ किसी को भी बख्श नहीं रही है। जो महिला प्रताडि़त हो रही थी उनको न्याय दिलाई गई आज उनका घर संसार सुखमय है। यही है हमारे आयोग की उपलब्धि।
सवाल – राज्य महिला आयोग में ऐसे कितने मामले पेंडिंग है जिनका फैसला होना बाकी है और अब कितने फैसले घर जोडऩे के हुए है।


जवाब- कोई पेंडिंग केस नहीं है।
सवाल- पारिवारिक लड़ाई झगड़ा, प्रताडऩा, ताडऩा पुरूषों के साथ भी होता है, क्या आप चाहती है कि महिलाओं की तरह पुरूषों के लिए एक आयोग गठित हो जो उनके साथ न्याय कर सके। रायपुर में ऐसे बहुत से केसेस सामने आए है जो प्रेस क्लब में कांफ्रेंस लेकर न्याय की गुहार लगा चुके है। पुरूषों की प्रताडऩा संबंधी मामले भी महिला आयोग देखती है।


जवाब- हो सकता सरकार ऐसा कुछ महसूस करे तो आयोग गठित कर सकती है। यह पूरी तरह सरकार का विषय है।
सवाल-शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में सबसे ज्यादा मामले किस तरह के आते है। शिकायतों पर भी संज्ञान लेकर आयोग काम करता है।
जवाब- अब कोई शहरी या ग्रामीण नहीं रहा सभी जगह एक ही समान मामले आते है। देहज, प्रताडऩा,नशाखोरी के मामले कामन है।


सवाल-महिला प्रताडऩा हमेशा एक पक्षीय माना जाता है जबकि इसके लिए दोनों पक्षों की गलतियां होती है। जांच पड़ताल आयोग करती है या पुलिस करती है।
जबाव – प्रताडऩा के लिए पारिवारिक माहौल और शैक्षणिक स्तर नहीं होने के कारण खासकर आदिवासी क्षेत्र में आते है। जहां कोई लड़ाई की जड़ को समझने की कोशिश ही नहीं करता।
सवाल- महिला आयोग में शिकायत दर्ज करने की सबसे सरल प्रक्रिया क्या हैै। आज भी महिलाएं पारिवारिक दबाव के चलते शिकायतों के लफड़े में नहीं पडऩा चाहती पर न्याय चाहती है कैसे संभव होगा।
जवाब – आयोग संज्ञान भी लेता है और शिकायत आने पर कार्रवाई भी करता है। आज तो हर घर में किसी न किसी मामले पर दबाव है, सीधेे आयोग में शिकायत कर सकती है।


सवाल- फैसले से पहले कितनी बार काउंसिलिंग होती है, ऐसा कोई मामला आया है जो एक ही काउंसिलिंग में सुलझ गया हो।
जवाब –एक दो मामले मेरे सामने आए जिसमें दोनों पति-पत्नी अपनी गलती स्वाकार कर सहर्ष एक साथ रहने के तैयार हो गए। बड़ा ही सुखद क्षण था। हमारे सार्वजनिक जीवन का।
सवाल –महिला आयोग को और अधिक शक्तियां प्रदत्त होना चाहिए । क्या प्रताडि़त महिला सीधे आयोग में शिकायत कर सकती है। या पहले पुलिस थाने में ही शिकायत करनी होगी। आनलाइन शिकायत दर्ज हो सकती है क्या?
जवाब- महिला आयोग पूरी तरह सशक्त है। उसके पास प्रदत्त शक्तियां अनंत है। यहां के फैसले को हाई कोर्ट में चैलेंज किया जा सकता है। सिविल कोर्ट में नहीं।

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