Supreme Court Slams Publicity Petition : न्याय की गरिमा पर न खेलें”…CJI प्रोटोकॉल विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने लगाई ‘लोकप्रियता याचिका’ पर फटकार…

नई दिल्ली, 22 मई| Supreme Court Slams Publicity Petition : भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई के महाराष्ट्र दौरे को लेकर उठे प्रोटोकॉल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने आज एक याचिका को कड़ी फटकार लगाते हुए खारिज कर दिया। इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने “सस्ती लोकप्रियता पाने का प्रयास” करार दिया। याचिका में CJI दौरे के दौरान अधिकारियों की अनुपस्थिति की जांच की मांग की गई थी।
जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने सुनवाई के दौरान तीखा रुख अपनाते हुए कहा:
“आप लोग सस्ती लोकप्रियता क्यों हासिल करना चाहते हैं? सीजेआई ने खुद इस मुद्दे को तूल न देने की बात कही है, और संबंधित अधिकारियों ने खेद भी प्रकट कर दिया है।”
याचिका पर दो टूक: “दोपहर 2 बजे आएं, भारी जुर्माने के लिए तैयार रहें”
पीठ ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए यह भी कहा कि अगर वे इस मुद्दे को लेकर पुनः सुनवाई पर आते हैं, तो भारी जुर्माने के लिए तैयार (Supreme Court Slams Publicity Petition)रहें। अदालत का रुख स्पष्ट था—न्यायपालिका की गरिमा का राजनीतिक या लोकप्रियता के लिए प्रयोग स्वीकार्य नहीं है।
CJI की महाराष्ट्र यात्रा: विषय का मूल स्वरूप
CJI बीआर गवई की यह पहली आधिकारिक राज्य यात्रा थी, जिसमें 18 मई को एक समारोह आयोजित किया गया था। इस समारोह में राज्य के प्रमुख प्रशासनिक अधिकारियों की अनुपस्थिति ने चर्चा को जन्म दिया। CJI ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि
“अगर देश का सर्वोच्च न्यायिक अधिकारी अपने गृह राज्य में आ रहा (Supreme Court Slams Publicity Petition)है, और उच्च पदस्थ अधिकारी अनुपस्थित हैं, तो यह चिंतन का विषय है।”
हालांकि, उन्होंने विवाद को जानबूझकर बढ़ाने से परहेज की सलाह भी दी थी, जिसे अदालत ने भी दोहराया।
लोकतंत्र की संस्थाओं का सम्मान ही लोकतंत्र की असली ताकत
यह मामला केवल एक प्रोटोकॉल बहस नहीं, बल्कि संवैधानिक संस्थाओं के आपसी सम्मान का प्रतीक बन गया (Supreme Court Slams Publicity Petition)है। सुप्रीम कोर्ट ने यह संकेत दे दिया कि न्यायपालिका की गरिमा को लेकर “पब्लिसिटी स्टंट” की कोई जगह नहीं है।