Ojas Water Pouch : एक्सपायरी डेट के बिना बिक रहा ओजस का पानी पाउच…सेहत पर मंडरा रहा खतरा…

Ojas Water Pouch : एक्सपायरी डेट के बिना बिक रहा ओजस का पानी पाउच…सेहत पर मंडरा रहा खतरा…

बालोद/नवप्रदेश, 19 मई| Ojas Water Pouch : ग्राम सांकरा (करहीभदर) में संचालित ओजस जल कंपनी पर पानी की शुद्धता को लेकर सवाल लगातार बना हुआ है। जहां लगातार खाद्य एवं सुरक्षा विभाग की टीम यहां छापा मार कर जांच कर रही है तो वहीं बाजारों में धड़ल्ले से बिना एक्सपायरी डेट लिखे हुए इसी कंपनी के पानी पाउच बेचे जा रहे हैं बालोद जिला मुख्यालय के छोटे-छोटे ठेले गुमटी जिला अस्पताल के आसपास की दुकानों के साथ चखना सेंटर तक में ओजस कंपनी के पानी पाउच आपको मिल जाएंगे।

जिसमें किसी तरह की एक्सपायरी डेट नहीं लिखी रहती है। सिर्फ इतना लिखा हुआ है कि उक्त पाउच में भरा हुआ पानी एक माह के लिए ठीक है। एक माह से अधिक होने पर उसकी शुद्धता खराब हो जाएगी। ऐसे में बिना किसी तारीख या महीने के इस तरह एक माह की वैधता लिखा जाना भी संदेह को जन्म देता है। बड़ा सवाल यही खड़ा होता है कि उक्त पानी पाउच की पैकिंग कब और किस महीने हुई होगी और कितने माह से यह बाजार में खप रहा है। ऐसे में ओजस कंपनी के पानी पाउच पीने वालों के लिए भी यह खतरा बना हुआ है कि कहीं उन्हें जल जनित बीमारी का सामना न करना पड़ जाए ।

एक ओर जहां लंबे समय से पॉलीथिननुमा  पाउच में पानी भरे होने से रासायनिक क्रिया के चलते लोगों की सेहत को नुकसान पहुंच सकता है तो वही इस तरह ओजस कंपनी द्वारा एक्सपायरी (Ojas Water Pouch)डेट, महीने को अंकित ना करते हुए बिना किसी तारीख के पानी पाउच बेच जाना भी बड़ी लापरवाही को उजागर करता है। मामला संज्ञान में आने के बाद खाद्य एवं सुरक्षा विभाग की टीम द्वारा संबंधित संचालक  को इस बात के लिए फटकार लगाई गई है कि वह जब तक नया मशीन नहीं लग जाता तब तक पानी पाउच की पैकिंग नहीं करेंगे, ना बिक्री करेंगे। ऐसे में सवाल यह भी है कि पूर्व में जो पानी पाउच एक महीने के भीतर बनाए गए हैं या उसके पहले के बने हैं, इसका कोई ठिकाना नहीं है। जो पानी पाउच वर्तमान में कंपनी सहित बाजारों में उपलब्ध है, उसमें सिर्फ इतना लिखा है कि यह पानी पाउच सिर्फ एक महीने के लिए शुद्ध है।

लोगों के साथ हो रहा धोखा

बाजार में उपलब्ध ओजस कंपनी के पानी पाउच में  अंग्रेजी में लिखा है कि वह पैकिंग के एक महीने के भीतर तक उपयोग के लायक है। लेकिन इसकी पैकिंग कौन से महीने हुई है किस तारीख की हुई इसका कहीं कोई जिक्र नहीं है और बाकायदा इस पानी पाउच को  प्रमाणित बताया जा रहा है। ऐसे में शुद्धता पर सवाल तो खड़े होते ही है। लोगों के साथ इस तरह से धोखाधड़ी भी उक्त कंपनी के द्वारा की जा रही है।

ज्ञात हो कि ओजस पानी पाउच का निर्माण और बिक्री बीबी फूड्स एंड बेवरेजेस के नाम से पंजीकृत है। विभाग की शर्तों के मुताबिक पानी पाउच हो या बोतल निर्माण या पैकेजिंग की तारीख और महीने लिखा होना चाहिए।  इस संबंध में जब हमने खाद्य सुरक्षा अधिकारी भारत भूषण पटेल से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि पानी बोतल हो या पानी पाउच हो दोनों में मैन्युफैक्चरिंग यानी निर्माण की तारीख और शुद्धता समाप्ति की तारीख दोनों लिखा होना चाहिए। लेकिन पानी पाउच में हमने देखा कि उसमें कोई तारीख ही नहीं लिखी (Ojas Water Pouch)है। जिस पर हमने जांच के दौरान संचालक को चेतावनी दी है कि जब तक वहां नया मशीन नहीं लग जाता जिसमे तारीख और महीने लिखने की व्यवस्था हो, तब तक नए पानी पाउच के पैकिंग नहीं होंगे ।

इधर ऐसे में लोगों के बीच एक डर भी बना हुआ है कि उनके पास बाजार में जो इस कंपनी का पानी पाउच बिक रहा है वह कितने महीने पुराना है। बंद बोतल और जार में भरे पानी का सैंपल तो जांच के लिए भेजा गया है। रिपोर्ट फिलहाल नहीं आई है। लेकिन शुद्धता का संकट उक्त ओस जल संचालक पर मंडरा रहा है। तो वहीं इससे ज्यादा चिंतित उनके ग्राहक नजर आ रहे हैं जो महीनों से इसी कंपनी का पानी पी रहे हैं। देखने वाली बात होगी कि विभाग अगर किसी तरह की गड़बड़ी की पुष्टि होती है तो संबंधित कंपनी पर किस तरह की कार्यवाही करती है।

क्या हैं नियम और मापदंड

बंद पाउच में पानी बेचने के नियम भारत में खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा निर्धारित किए जाते हैं। महत्वपूर्ण नियम ये हैं:

1. *लाइसेंस और पंजीकरण*: बंद पाउच में पानी बेचने वाले निर्माताओं और वितरकों को FSSAI से लाइसेंस और पंजीकरण प्राप्त करना आवश्यक है।

2. *गुणवत्ता मानक*: पानी की गुणवत्ता मानकों का पालन करना आवश्यक है, जैसे कि पीएच मान, कुल घुलनशील ठोस (TDS), और अन्य भौतिक और रासायनिक मानक।

3. *लेबलिंग और पैकेजिंग*: बंद पाउच पर लेबलिंग और पैकेजिंग के नियमों का पालन करना आवश्यक है, जैसे कि उत्पाद का नाम, निर्माता का नाम और पता, शुद्धता की गारंटी, और अन्य आवश्यक जानकारी।

4. *स्वच्छता और सुरक्षा*: निर्माताओं और वितरकों को स्वच्छता और सुरक्षा के नियमों का पालन करना आवश्यक है, जैसे कि पानी की स्रोत की जांच, उपचार और भंडारण।

5. *नियमित निरीक्षण और परीक्षण*: निर्माताओं और वितरकों को नियमित निरीक्षण और परीक्षण के लिए तैयार रहना आवश्यक है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पानी की गुणवत्ता मानकों का पालन किया जा रहा है।

*FSSAI के नियमों के अनुसार*, बंद पाउच में पानी की गुणवत्ता के लिए निम्नलिखित मानक हैं:

– *पीएच मान*: 6.5 से 8.5

– *कुल घुलनशील ठोस (TDS)*: 500 मिलीग्राम/लीटर से अधिक नहीं

– *कुल जीवाणु संख्या*: 100 CFU/मिलीलीटर से अधिक नहीं

– *कोलिफॉर्म जीवाणु*: अनुपस्थित

कैसे मानें पानी है शुद्ध!

बड़े शहरों की तर्ज पर अब जिले में भी जगह-जगह मिनरल वाटर ठंडे पानी का कारोबार जोरों पर है। बंद बोतल व पाउच में ठंडा व मिनरल वाटर देने के नाम पर खेल चल रहा है। न जांच न माप। बिना किसी लैब जांच के सीधे बोर के पानी को ठंडा कर बेचा जा रहा है, जिसे लोग पीकर बीमार भी पड़ सकते (Ojas Water Pouch)हैं। दुकानों में बिक रहे पानी पाउच में सबसे ज्यादा दिक्कत है। ओजस जैसी ही कई कंपनियों ने पानी पाउच की पैकिंग व एक्सपायरी तिथि का जिक्र नहीं किया है। लोग इसे खरीदकर पी रहे हैं। गर्मी के दिनों में लोगों को ठंडा पानी चाहिए, इसलिए डिमांड अधिक रहती है।

कहीं बोर का पानी ठंडा कर तो नहीं दिया जा रहा?

कई जगहों पर आरो व फिल्टर पानी के नाम पर सीधे बोर के पानी को ठंडा कर दिए जाने की भी शिकायत सामने आया है। कहीं जिले के पानी प्लांट में भी तो सीधे बोर का पानी ठंडा कर तो नहीं दिया जा रहा है। फिलहाल वर्तमान में पानी की जांच भगवान भरोसे चल रही है। विभाग भी जहां लोग जागरूकता दिखाकर शिकायत करते हैं वहीं तक के ही सैंपल लेकर जांच करने का काम करती है। कई ऐसे लोग हैं जो नियम को ताक पर रखकर लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।

गर्मी व शादी सीजन में ज्यादा डिमांड

ठंडा व आरओ पानी की मांग शादी सीजन व गर्मी में ज्यादा रहती है। शहर में भी चील्ड वाटर का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। घर-घर व दुकानों में भी पानी की सप्लाई हो रही है। हालांकि कई कंपनी पानी की बराबर जांच करवाती हैं, वहीं कई लापरवाही बरतते हैं। अब ऐसे लोगों पर विभाग की नजर है, जो लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ करेंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल विभाग की नजर में पहला निशाना ओजस जल कंपनी  है। जहां पर 15 दिन के भीतर विभाग के अफसरों द्वारा दो बार कार्रवाई करते हुए जांच के लिए सैंपल लिए गए हैं।

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