एपिक कमबैक: पौराणिक शो भारत के नए एंटरटेनमेंट पावर हाउस क्यों बन रहे हैं

एपिक कमबैक: पौराणिक शो भारत के नए एंटरटेनमेंट पावर हाउस क्यों बन रहे हैं

Epic Comeback: Why mythological shows are becoming India's new entertainment powerhouse

mythological shows

मुंबई। mythological shows: एक ऐसे दौर में जहाँ तेज-रफ्तार थ्रिलर्स और हाई-बजट ड्रामा का बोलबाला है, वहीं एक विधा ने चुपचाप लेकिन पूरी ताकत के साथ भारतीय मनोरंजन जगत में अपनी जगह फिर से बना ली है — और वह हैं पौराणिक कथाएँ। डेली सोप्स से लेकर ब्लॉकबस्टर फिल्मों और ओटीटी पर बिंज-वर्थी एडैप्टेशन तक, भारत की कहानी सुनाने की भूख अब एक दिव्य पुनरुत्थान का अनुभव कर रही है। आज के कंटेंट लैंडस्केप में कल्चरल नॉस्टैल्जिया, भव्य दृश्य और आध्यात्मिक भावनाएँ शामिल हैं, पौराणिक कथाएँ फिर से केंद्र में आ गई हैं।

सोनी सब जैसे चैनल देवताओं को समर्पित शोज को जीवंत कर रहे हैं — चाहे वह श्रीमद् रामायण हो या इसकी नई पेशकश वीर हनुमान, जो युवा मारुति की कम परिचित यात्रा को केंद्र में रखता है — जिसने आगे चलकर पराक्रमी भगवान हनुमान का रूप लिया। यह एक ऐसी कथा है जो अटूट आस्था, अपार शक्ति और समर्पण से भरे हृदय की कहानी कहती है, और दर्शकों को हिंदू पौराणिक कथाओं के सबसे प्रिय पात्रों में से एक के और करीब ले जाती है।

और ये केवल टीवी तक सीमित नहीं है। भारतीय सिनेमा में भी अब पौराणिक कथाओं से प्रेरित भव्य कहानियों की ओर एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। एस.एस. राजामौली की फिल्म आरआरआर ने रामायण जैसे महाकाव्य से प्रेरणा लेते हुए देवतुल्य शक्तियों का आह्वान किया, जबकि रोहित शेट्टी की सिंघम शृंखला में नायक को लगभग दिव्य न्याय के अवतार के रूप में दिखाया गया — जो प्राचीन ग्रंथों के धर्मनिष्ठ पात्रों की याद दिलाते हैं। इस पुनरुत्थान की अगुआई अब निर्देशक नितेश तिवारी की रामायण कर रही है, जिसमें यश, रणबीर कपूर, सनी देओल और साई पल्लवी जैसे सितारे प्रमुख भूमिकाओं में हैं, और यह फिल्म दर्शकों में भारी उत्साह पैदा कर रही है।

दरअसल, कहा जा सकता है कि भारतीय पौराणिक कथाओं ने सुपरहीरो की परिकल्पना को बहुत पहले ही जन्म दे दिया था — जब दुनिया को सुपरमैन और बैटमैन का कोई पता नहीं था, तब हनुमान, अर्जुन, और भीष्म जैसे पात्र हमें सच्चे वीरता, निष्ठा और बलिदान का मतलब सिखा रहे थे। ये दिव्य पात्र शक्ति, अटल नैतिक मूल्यों और धर्म की रक्षा के प्रति समर्पण के प्रतीक हैं। वीर हनुमान इस कालातीत आकर्षण को बहुत सुंदर तरीके से प्रस्तुत करता है — यह सिर्फ विजुअल इम्पैक्ट नहीं, बल्कि जीवन के अहम सबक भी देता है — जैसे कि धैर्य, विनम्रता, भक्ति और साहस — जो आज की तेजी से बदलती दुनिया में और भी ज़्यादा मायने रखते हैं।

ऐसे समय में जब दर्शक केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि उसमें अर्थ भी खोजते हैं, पौराणिक कथाएँ आधुनिक युग के लिए शाश्वत मूल्यों का आदर्श मिश्रण बनकर सामने आ रही हैं। सोनी सब न केवल इन महागाथाओं को जीवित रखे हुए है, बल्कि उन्हें एक नई पीढ़ी के लिए सुलभ, प्रासंगिक और प्रेरणादायक भी बना रहा है।

कई भारतीयों के लिए, पौराणिक कथाएँ बचपन की यादों का हिस्सा हैं — दादा-दादी से सुनी कहानियाँ या अमर चित्र कथा जैसी कॉमिक्स में पढ़ी गई कथाएँ। वीर हनुमान जैसे शो उन यादों को परदे पर जीवंत कर देते हैं — शानदार दृश्यों, भावनाओं और ड्रामा के साथ। आज देश भर में परिवार एक साथ बैठकर ऐसे शोज़ देखते हैं — बच्चे हनुमान की वीरता से रोमांचित होते हैं, तो बुज़ुर्ग परिचित कथाओं का आनंद लेते हैं। यह उन चुनिंदा विधाओं में से है जो विभिन्न पीढ़ियों को एक छत के नीचे लाती है, यह साबित करते हुए कि पौराणिक कथाएँ सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का उत्सव हैं।

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