सिंधु जल संधि रद्द कर भारत का पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को सीधा झटका! 3,000 करोड़ रुपये का होगा नुकसान

Indus Water Treaty
-पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान की आर्थिक नाकेबंदी शुरू कर दी
नई दिल्ली। Indus Water Treaty: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ होने का संदेह है। इस हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान पर नकेल कसनी शुरू कर दी है। पहला झटका तो यह है कि सिंधु जल संधि रद्द कर दी गई है। इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच अटारी-वाघा सीमा, जो पाकिस्तान को काफी राजस्व देती है, बंद कर दी गई है। सभी पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करने और उन्हें 48 घंटे के भीतर भारत छोडऩे के आदेश भी जारी किए गए हैं। कई शीर्ष सरकारी सूत्रों का कहना है कि भारत अब पाकिस्तान (pahalgam terror attack) को माल निर्यात बंद करने की तैयारी कर रहा है। 2024 में पाकिस्तान को भारत का निर्यात पांच वर्ष के उच्चतम स्तर 1.21 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया।
भारत पाकिस्तान को कौन सी वस्तुएं निर्यात करता है?
भारत से पाकिस्तान को कई प्रकार की खाद्य वस्तुएं निर्यात की जाती हैं, जो दैनिक जीवन में उपयोगी होती हैं, जैसे विभिन्न प्रकार के फल और सब्जियां। इसमें आलू, प्याज और लहसुन शामिल हैं। भारत से पाकिस्तान को दालें, चना और बासमती चावल भी भेजे जाते हैं। इसके अलावा पाकिस्तान भारत से आम और केले जैसे कई मौसमी फलों का आयात करता है। भारतीय चाय पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। असम और दार्जिलिंग से सुगंधित चाय की पत्तियां भी पाकिस्तान भेजी जाती हैं। इसके अलावा भारत पाकिस्तान को मिर्च, हल्दी और जीरा जैसे विभिन्न मसाले भेजता है। इसके साथ ही भारत से पाकिस्तान को निर्यात की जाने वाली अन्य वस्तुओं में जैविक रसायन, दवाइयां, चीनी और मिठाइयां शामिल हैं।
भारत पाकिस्तान से क्या लेता है?
पाकिस्तान से भारत आने वाले सामानों में सीमेंट, सेंधा नमक, मुल्तानी मिट्टी, कपास, चमड़ा और कुछ चिकित्सा उपकरण शामिल हैं। इसके अलावा, पेशावर चप्पल और लाहौरी कुर्ते भी पाकिस्तान से भारत आयात किए जाते हैं।
क्या पाकिस्तान का एकमात्र व्यापार मार्ग बंद हो गया है?
सरकार ने पाकिस्तान और भारत को जोडऩे वाले एकमात्र व्यापार मार्ग को बंद करने का निर्णय लिया है। अमृतसर से सिर्फ 28 किलोमीटर दूर स्थित अटारी भारत का पहला स्थलीय बंदरगाह है। भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार अटारी-वाघा सीमा के माध्यम से होता है, इसलिए 120 एकड़ में फैला और सीधे राष्ट्रीय राजमार्ग-1 से जुड़ा यह चेक प्वाइंट व्यापार, विशेषकर अफगानिस्तान से आयात में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
पिछले कुछ वर्षों में अटारी-वाघा कॉरिडोर पर व्यापार में कई उतार-चढ़ाव आए हैं। जहां 2017-18 और 2018-19 में व्यापार लगभग 4100-4300 करोड़ रुपये का था। 2019-20 में यह घटकर 2,772 करोड़ रुपये और 2020-21 में 2,639 करोड़ रुपये रह गया। वर्ष 2022-23 में व्यापार में और गिरावट आई और यह मात्र 2257.55 करोड़ रुपये रह गया। इस बीच, 2023-24 में दोनों देशों के बीच व्यापार में बड़ी उछाल आई और यह बढ़कर 3886 करोड़ रुपये हो गया। 2023-24 में इस मार्ग पर 6,871 ट्रकों ने यात्रा की तथा 71,563 यात्रियों ने यात्रा की।