संपादकीय: भगदड़ की घटना से सबक लेने की जरूरत

संपादकीय: भगदड़ की घटना से सबक लेने की जरूरत

Need to learn a lesson from the stampede incident

Need to learn a lesson from the stampede incident

Need to learn a lesson from the stampede incident: प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के दौरान मौनी अमावस्या के दिन मची भगदड़ के कारण संगम तट पर 30 श्रद्धालुओं की दुखद मौत की घटना की स्याही अभी सूखी भी नहीं थी कि नई दिल्ली के रेलवे स्टेशन में भी भगदड़ के कारण 18 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई। जिनमें 11 महिलाएं और पांच मासूम बच्चे भी शामिल हैं। निश्चय ही यह घटना हृदय विदारक है।

भगदड़ की ये घटनाएं बदइंतजामी का ही नतीजा है। भगदड़ की इन घटनाओं से शासन प्रशासन को सबक लेने की जरूरत है। महाकुंभ अभी और 10 दिनों चलेगा, ऐसे में आज भी प्रतिदिन देश के कोने-कोने से भारी संख्या में श्रद्धालु ट्रेनों के माध्यम से प्रयागराज जा रहे हैं। अब तक 53 करोड़ लोगों ने प्रयागराज में आस्था की डुबकी लगाई है और अभी भी रोज ही लगभग एक करोड़ श्रद्धालु प्रयागराज पहुंच रहे हंै। जिसकी वजह से प्रयागराज के आसपास मीलों लंबी वाहनों की कतारें लग रहीं हंै और श्रद्धालुओं को कई किलामीटर पैदल चलकर संगम तक पहुंंचना पड़ रहा है।

उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़े कदम उठाकर जाम की स्थिति में कभी सुधार कर लिया है लेकिन देश के विभिन्न हिस्सों से जो लाखों लोग ट्रेन के जरिये प्रयागराज जा रहे हैं उन्हें भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। नई दिल्ली ही नहीं बल्कि कई शहरों के रेलवे स्टेशनों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही हे। हालांकि रेलवे ने महाकुंभ के लिए बड़ी संख्या में ट्रनें चलाई हैं लेकिन जिस बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रयागराज जाने के लिए निकल रहे हैं उसके अनुपात में ट्रेनों की संख्या कम ही है।

यही वजह है कि किसी भी स्टेशन में जब भी कोई ट्रेन आती है तो उसमें सवार होने के लिए श्रद्धालुओं के बीच आपाधापी की स्थिति निर्मित हो जाती है। स्थिति यह है कि ट्रेन की हर बोगी में उसकी क्षमता से दो ढाई गुना ज्यादा लोग सवार हो रहे हैंञ। यहां तक की ट्रेनों की बोगियों के शौचालयों में भी बैठकर लोग सफर करने पर बाध्य हो रहे हैं।

नई दिल्ली के रेलवे स्टेशन में जिस दिन यह भगदड़ की घटना हुई थी। उस रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्मों में एक लाख से भी अधिक श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी हुई थी। जिसे नियंत्रित करने के लिए जीआरपी और पीआरपीएफ के गिनती के ही जवान मौजूद थे। नतीजतन भगदड़ की स्थिति बन गई और 18 श्रद्धालुओं की मौत हो गई। यह तो भला हो उन कुलियों का जिन्होंने अपनी जान पर खेलकर भगदड़ में घायल हुए श्रद्धालुओं को ठेले पर लाद कर वहां से बाहर निकाला।

बहरहाल इस घटना की जांच के आदेश दे दिए गए हैं और नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर सुरक्षाबलों की तैनती बढ़ा दी गई है। देश के अन्य शहरों के ऐसे रेलवे स्टेशनों पर जहां प्रयागराज जाने वाले श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। वहां भी सुरक्षा के कड़े इंतेजाम किये जा रहे हैं। इसके बावजूद यदि ट्रनों की संख्या नहीं बढ़ाई गई तो इस तरह के हादसे की पुनरावृत्ति होने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता।

नई दिल्ली में हुई भगदड़ की घटना को लेकर विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन में हुई भगदड़ की घटना को रेलवे की बदइंतेजामी और लापरवाही का नतीजा बताते हुए कहा है कि यदि रेलवे संवेदनशीलता से काम करता तो इस तरह की दुखद घटना नहीं होती। इसी तरह के आरोप पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह सहित अन्य विपक्षी नेताओं ने भी लगाये हैं जिन्हें राजनीति प्रेरित आरोप कहकर खारिज नहीं किया जाना चाहिए बल्कि ऐसी कोशिश की जानी चाहिए कि भविष्य में फिर ऐसे दुखद हादसे न होने पाये।

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