आप कब तक लोगों को मुफ़्त चीजें देते रहेंगे; सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को लगाई फटकार…
-केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह 81 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दे रही है
- कोर्ट ने यह कहते हुए अनसुना कर दिया कि रोजगार सृजन पर ध्यान दीजिए
नई दिल्ली। Supreme Court On Modi Government: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (9 दिसंबर) को सुनवाई में केंद्र सरकार को जमकर फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा मुफ्त में दी जा रही रियायतों पर सवाल उठाते हुए केंद्र सरकार से पूछा कि आप कब तक मुफ्त चीजें दे रहे हैं? कोर्ट ने कोविड महामारी के बाद मुफ्त राशन पाने वाले प्रवासी मजदूरों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने की जरूरत बताई। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ के समक्ष एक याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत 81 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया जा रहा है।
करदाता ही बचे हैं
सुप्रीम कोर्ट ने इस पर हैरानी जताई और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और एडिशनल सॉलिसिटर ऐश्वर्या भाटी से सवाल करते हुए कहा ‘इसका मतलब है कि अब केवल टैक्स देने वाले लोग ही बचे हैं। यह याचिका एक स्वयंसेवी संगठन ने दायर की है और उनकी ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट से कहा कि ‘ऐसे प्रवासी मजदूरों को मुफ्त राशन दिया जाना चाहिए, जो ई श्रमिक पोर्टल पर पंजीकृत हैं। कोर्ट ने कहा कब तक मुफ्त चीजें दी जाएं? अदालत ने पूछा क्या हमें इन प्रवासी मजदूरों के लिए रोजगार के अवसर और उनके बीच रोजगार के अवसर पैदा करने की दिशा में काम नहीं करना चाहिए?
केंद्र से मुफ्त राशन का आदेश
प्रशांत भूषण ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट (Supreme Court On Modi Government) ने समय-समय पर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रवासी मजदूरों को राशन कार्ड जारी करने का आदेश दिया है। ताकि वे केंद्र की मुफ्त राशन योजना का लाभ उठा सकें। कोर्ट ने भी हाल ही में कहा है कि जिनके पास राशन कार्ड नहीं है, लेकिन ई श्रमिक पोर्टल पर रजिस्टर्ड हैं, उन्हें भी राशन दिया जाना चाहिए।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा समस्या यह है कि हमने राज्यों को प्रवासी मजदूरों को राशन देने का आदेश दिया है, फिर उन्हें यहां कोई नहीं देखेगा। वे भाग जाएंगे। राज्यों को पता है कि यह केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है। इसलिए उन्हें केवल राशन कार्ड दिया जाएगा। कोर्ट ने उस समय यह भी कहा था हमें केंद्र सरकार और राज्यों के बीच मतभेद पैदा नहीं करना चाहिए, क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो स्थिति और कठिन हो जाएगी।