संपादकीय: जनसंख्या विस्फोट का बढ़ता खतरा
Increasing threat of population explosion: हमारा देश भारत चीन को पछाड़कर दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला देश पहले ही बन चुका है। ऐसे में आज जरूरत इस बात की है कि दिन दूनी रात चौगनी रफ्तार से बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण लगाने के लिए प्रभावी पहल की जाए। किन्तु हमारे ही देश में ऐसे कुछ लोग है जो उल्टी गंगा बहाने की कोशिश कर रहे है और अकसर ऐसे बयान देते रहते है जो विवाद का विषय बन जाते है।
अब राष्ट्रीस स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने भी हिन्दुओं से अपील की है कि वे दो से ज्यादा बच्चे पैदा करे। यदि उनकी अपील पर देशवासी आबादी बढ़ाने में लग गये तो भारत के सिर पर मंडराता जनसंख्या विस्फोट का खतरा और बढ़ जायेगा। जिसका दुष्परिणाम भावी पीढ़ी को भुगतना पड़ेगा।
अभी ही 140 करोड़ की आबादी के लिए पेयजल उपलब्ध कराना कठिन कार्य सिद्ध हो रहा है। खासतौर पर गर्मी के मौसम में जब पानी की ज्यादा आवश्यकता होती है तो समस्यामूलक ग्रामों से लेकर नगरों और महानगरों में भी पेयजल की भीषण समस्या उत्पन्न हो जाती है।
हमारे देश में संसाधन सीमित है। ऐसे में यदि देश की आबादी और ज्यादा बढ़ेगी तो कई तरह की समस्याएं विकराल रूप धारण कर लेगी। आज हमारे देश के सामने भुखमरी, गरीबी और बेरोजगारी जैसी जितनी भी विकट समस्याएं है उनके मूल में हमारी बढ़ती आबादी भी एक बड़ा कारण है। ऐसी स्थिति में आबादी बढ़ाने की बात करना समझ से परे है। होना तो यह चाहिए कि जनसंख्या विस्फोट के बढ़ते खतरे को मद्देनजर रखकर आबादी को नियंत्रित करने का प्रयास किया जाये। इसके लिए जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करना निहायत जरूरी है।
यह कानून जितनी जल्दी लागू होगा उतना ही अच्छा होगा। इसके लिए लंबे समय से मांग उठ रही है। लेकिन सरकार इस मांग की अनदेखी कर रही है। बेहतर होगा कि केन्द्र सरकार देश के व्यापक हितों को दृष्टिगत रखते हुए जल्द से जल्द जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की पहल करे इसके लिए सभी राजनीतिक पार्टियों को विश्वास में ले। ताकि संसद से जनसंख्या नियंत्रण कानून सर्वसम्मति से पारित हो सके।
किन्तु लगता है कि सरकार में ही शिक्षा शक्ति की कमी है। दशकों पूर्व तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जनसंख्या विस्फोट के खतरे को भांप लिया था और उन्होंने परिवार नियोजन के लिए कड़े कदम उठाये थे। उस समय हम दो हमारे दो का नारा भी घर-घर तक पहुंचा गया था। हालांकि आपातकाल के दौरान परिवार नियोजन के लिए नसबंदी का लक्ष्य पूरा करने के नाम पर नौकरशाहों ने ज्यादती की थी। जिसकी वजह से तात्कालीन इंदिरा गांधी की सरकार की छवि धूमिल हुई थी और लोकसभा चुनाव में उसे पराजय का सामना करना पड़ा था।
हालांकि आपातकाल के दौरान विपक्षी नेताओं के खिलाफ हुई कार्यवाही कांग्रेस की हार का बड़ा कारण था किन्तु परिवार नियोजन के नाम पर हुई ज्यादती भी इसका एक कारण था। यही वजह है कि उसके बाद से किसी भी सरकार का यह साहस नहीं हो रहा है कि वह जनसंख्या नियंत्रण के लिए प्रभावी पहल करे। किन्तु अब जबकि पानी सिर से ऊंचा उठता जा रहा है और बढ़ती आबादी के कारण देश विभिन्न समस्याओं की जाल में उलझता जा रहा है तो जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाना अति आवश्यक हो गया है।
न सिर्फ कानून बनाया जाये बल्कि उसे शक्तिपूर्वक लागू भी किया जाये। इस बारे में योग गुरू बाबा रामदेव ने सरकार से पूर्व में मांग की थी कि जनसंख्या नियंत्रण कानून के तहत दो बच्चों से ज्यादा परिवार वाले लोगों को सभी शासकीय सुविधाओं से वंचित किया जाये। दो बच्चे से ज्यादा वाले लोगों को चुनाव लडऩे से भी रोका जाये। बाबा रामदेव का यह सुझाव सटीक है। उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने के लिए कारगर कदम उठायेगी।