अनूठी शादी : दूल्हा-दुल्हन ने एक दूसरे को अंगूठी के साथ पहनाया हेलमेट
सड़क हादसे में पिता की गई थी जान, इसके बाद दूल्हा बना युवक दान कर रहा हेलमेट
लोगों को यातायात सुरक्षा के प्रति जागरूक करने का लिया है संकल्प
राजनांदगांव। सड़क दुर्घटनाओं का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। सड़क दुर्घटनाओं के रोकथाम के लिए युवा अलग-अलग माध्यम से अभियान भी चला रहे हैं। कई युवा अपने अलग-अलग अंदाज़ में समाज सेवा करते नजर आ रहे हैं। कोई सड़कों पर रेडियम पाइंट लगाता है तो कोई जानवरों को सड़कों से हटाता है।
रविवार की रात करियाटोला में सगाई समारोह (Engagement ceremony) में युवक-युवती ने एक-दूसरे को अंगूठी पहनाने के साथ हेलमेट भी पहनाया। सगाई समारोह में यह द्श्य देख कुछ देर के लिए घराती-बाराती भी चौंक गए। लेकिन युवक-युवती ने एक-दूसरे को हेलमेट पहनाकर लोगों को वाहन चलाने के दौरान हेलमेट अनिवार्य का संदेश दिया।
बता दें कि रविवार की रात डोंगरगढ़ ब्लाक के ग्राम जारवाही निवासी 26 वर्षीय बीरेंद्र साहू की सगाई डोंगरगांव क्षेत्र के ग्राम करियाटोला निवासी 24 वर्षीय ज्योति साहू के साथ हुई। सगाई रस्म के दौरान ही दोनों ने एक-दूसरे को हेलमेट पहनाकर जागरुकता का संदेश दिया। बता दें कि बीरेंद्र के पिता का सड़क दुर्घटना में निधन होने के बाद से परिवार के सदस्य लोगों को हेलमेट पहनने के लिए जागरूक कर रहे हैं।
बेटा लोगों को दान कर रहा हेलमेट
बीरेंद्र साहू, नगर डोंगरगांव के समाजसेवक हेलमेट संगवारी धर्मेंद्र साहू के छोटे भाई हैं जो कि अपने पिता के सड़क दुर्घटना में निधन के बाद से हेलमेट लगाने को लेकर जागरूक करने के साथ साथ लोगों को हेलमेट दान भी करता है।
धर्मेंद्र ने बताया कि पिताजी का निधन सिर में चोंट लगने के कारण हुआ था। उस समय वे हेलमेट नहीं पहने थे। तब से लोगों को हेलमेट पहनने जागरूक और हेलमेट दान करने में लगा है। उनके इस कार्य में पूरा परिवार सहयोग करता है। इसमें पत्नी त्रिवेणी, भाई मोहित साहू, बहू सरिता, मां कुमारी साहू भी लोगों को प्रेरित करने में सहयोग कर रही है।
हेलमेट संगवारी के नाम से पहचान
धर्मेंद्र साहू अब तक एक हज़ार से भी अधिक हेलमेट लोगों को दान कर चुके हैं। सड़क सुरक्षा अभियान या जागरूकता कार्यक्रमों में भी लोगों को हेलमेट भेंट कर चुके हैं। वहीं लोगों को हेलमेट का महत्व बताकर लगातार जागरूक कर रहे हैं। साहू की इस पहल को डोंगरगांव नगर के लोगों ने हेलमेट संगवारी का नाम दिया है। साथ ही इनकी इस पहल की प्रशासन के साथ समाज भी सराहना कर रहे हैं।