संपादकीय: कटेंगे तो बंटेंगे पर बटी महायुति

संपादकीय: कटेंगे तो बंटेंगे पर बटी महायुति

If we are cut, we will divide, but Mahayuti is formed

If we are cut, we will divide, but Mahayuti is formed

If we are cut, we will divide, but Mahayuti is formed: उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नारे बंटेंगे तो कटेंगे को लेकर महाराष्ट्र में सियासी बवाल खड़ा हो गया है। वहां सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन ही इस नारे को लेकर बट रही है। महायुति में शामिल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता अजित पवार ने इस नारे से किनारा कर लिया है।

उनका कहना है कि महाराष्ट्र में बंटेंगे तो कटेंगे का नारा नहीं चलेगा। इस लिए वे इससे सहमत नहीं हैं। इसी तरह का बयान कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चौहाण ने भी दिया है। उन्होंने भी इस नारे पर सवाल उठाया है।

यही नहीं बल्कि भाजपा नेत्री पंकजा मुंडे ने भी बंटेंगे तो कटेंगे के नारे पर आपत्ति उठाते हुए कहा है कि वे इस नारे से सहमत नहीं हैं क्योंकि उनकी राजनीति अलग है।

इस पर टिप्पणी करते हुए महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने बयान दिया कि इस नारे में कुछ भी गलत नहीं है। भारत का इतिहास इस बात का गवाह है कि हम जब भी बटे हैं तो इसका हमें नुकसान हुआ है और दूसरे लोगों ने हमें गुलाम बना लिया था।

देवेन्द्र फडणवीस ने अजित पवार के बयान को लेकर कहा है कि वे दूसरी विचारधारा वाली पार्टी से आए हैं। शायद इसीलिए उनपर पुराने साथियों का असर बना हुआ है। इस बीच केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी योगी आदित्यनाथ के नारे का बचाव करते हुए कहा है कि इस नारे का गलत मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए।

देश के दुश्मनों और आतंकवाद के खिलाफ हमें एकजुट होना चाहिए। दूसरी तरफ कांग्रेस के नेता राहुल गांधी और उद्धव ठाकरे सहित अन्य विपक्षी नेता भी बंटेंगे तो कटेंगे के नारे को लेकर भाजपा पर जमकर निशाना साध रहे हैं।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े ने तो इस नारे को लेकर योगी आदित्यनाथ पर व्यक्तिगत हमला भी कर दिया था। कुल मिलाकर योगी आदित्यनाथ का यह नारा महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बहस का विषय बन गया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी इस नारे में थोड़ा संशोधन कर एक नया नारा उछाल रहे हैं कि एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे। इसका अर्थ भी वही है जो योगी के नारे का है। इस नारे का हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा को चुनावी लाभ मिल चुका है। और अब भाजपा इसे महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव में भी भुनाने की कोशिश कर रही है।

इसमें उसे कितनी सफलता मिलेगी यह तो विधानसभा चुनाव के परिणाम ही बेहतर बताएंगे। फिलहाल तो महाराष्ट्र और झारखंड़ विधानसभा चुनाव इसी नारे पर केन्द्रित हो गया है।

झारखंड में तो खैर भाजपा के इस नारे को लेकर उसके सहयोगी दलों के साथ कोई मतभेद नहीं उभरे हैं। लेकिन महाराष्ट्र में इस नारे के कारण महायुति गठबंधन ही बंटता नजर आ रहा है। और उनमें आंतरिक कलह गहराने की आशंका बलवती हो गई है। इसलिए महाराष्ट्र में यह नारा भाजपा के लिए इतना मुफीद साबित होगा यह कह पाना मुहाल है।

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