संपादकीय: बुलडोजर कार्यवाही पर सुप्रीम कोर्ट की रोक

संपादकीय: बुलडोजर कार्यवाही पर सुप्रीम कोर्ट की रोक

Supreme Court ban on bulldozer proceedings

Supreme Court ban on bulldozer proceedings

Supreme Court ban on bulldozer proceedings: उत्तरप्रदेश सहित देश के विभिन्न राज्यों में बुलडोजर की कार्यवाही पर सुप्रीम कोर्ट ने कठोर रूख अख्तियार करते हुए उसपर रोक लगा दी है। अब बुलडोजर की कार्यवाही करने से पहले 15 दिन पहले नोटिस देना अनिवार्य कर दिया गया है।

ताकि संबंधित व्यक्ति अपना पक्ष रख सके और आवश्यकता पडऩे पर ऐसी नोटिस के खिलाफ न्यायालय का दरवाजा खटखटा सके। गौरतलब है कि बुलडोजर की कार्यवाही रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई थी जिसपर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि आवास का अधिकार एक मौलिक अधिकार है और किसी भी निर्दोष व्यक्ति को उसके इस मौलिक अधिकार से वंचित करना असंवैधानिक है।

बुलडोजर की मनमानी कार्यवाही पर कड़ी टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि कार्यपालिका अर्थात् सरकारी अधिकारी किसी भी व्यक्ति को दोषी करार नहीें दे सकते और न ही वे जज बन सकते हैं। जो किसी भी आरोपी के संपत्ति को तोडऩे का फैसला करें।

यदि अधिकारी ऐसा कदम उठाते हैं तो यह कानून को अपने हाथों में लेने वाली बात होगी और इसके लिए संबंधित अधिकारी जिम्मेदार माने जाएंगे। और उनसे क्षति का हर्जाना वसूल किया जाएगा।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इसके पहले बुलडोजर एक्शन को लेकर एक अंतरिम आदेश जारी किया था जिसके तहत सुप्रीम कोर्ट के अगले आदेश तक बुलडोजर की कार्यवाही पर रोक लगा दी गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका का निराकरण करते हुए बुलडोजर कार्यवाही को लेकर नए दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं। जिसके तहत किसी भी व्यक्ति की संपत्ति पर उस समय तक बुलडोजर नहीं चलाया जा सकता जब तक उसके मालिक को 15 दिनों पहले नोटिस नहीं दे दिया जाता।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि विध्वंस की कार्यवाही की वीडियोग्राफी अनिवार्य रूप से कराई जाए। और अगर इन दिशा निर्देशों का उल्लंघन किया जाता है तो यह न्यायालय की अवमानना मानी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने शासकीय भूमि जैसे सड़क और फुटपाथ आदि पर बने अवैध निर्माणों को इससे बाहर रखा है।

सार्वजनिक मार्गों में रूकावट डालने वाले एैसे अवैध निर्माणों के खिलाफ बुलडोजर की कार्यवाही बदस्तूर जारी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद अधिकारियों की मनमानी पर अंकुश लगेगा जो सरकार की नजर में अच्छा बनने के लिए बुलडोजर की कार्यवाही का दुरूपयोग करने से बाज नहीं आते थे।

अब इस बारे में सुप्रीम कोर्ट के नए दिशा निर्देश जारी हो जाने के बाद उम्मीद की जानी चाहिए कि बुलडोजर की कार्यवाही के नाम पर होने वाली मनमानी रूकेगी जिससे निर्दोष लोगों को राहत मिलेगी इस लिहाज से बुलडोजर एक्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला ऐतिहासिक है और इसका स्वागत किया जाना चाहिए।

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