बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला- किसी का घर न टूटे, कानून का पालन हो! गाइडलाइन जारी..
-बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन
नई दिल्ली। supreme court bulldozer justice: हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश और कुछ अन्य बीजेपी शासित राज्यों में गंभीर अपराध करने वाले आरोपियों के घरों पर बुलडोजर का इस्तेमाल बढ़ा है। सरकार की ओर से की गई ऐसी गतिविधियों की आलोचना भी हो रही है। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह की बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ अहम आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि अगर कार्यपालिका किसी व्यक्ति का घर इस आधार पर तोड़ देती है कि वह सिर्फ आरोपी है, तो यह कानून के नियम के खिलाफ है।
हर परिवार का सपना होता है कि उसका अपना घर हो। जज बी ने फैसला सुनाते हुए कहा कि घर की महिलाओं और छोटे बच्चों को बेघर होते देखना कोई सुखद दृश्य नहीं है। आर गवई ने कहा इस बीच सुप्रीम कोर्ट (supreme court bulldozer justice) ने विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा घरों, दुकानों और निजी संपत्ति को ध्वस्त करने के संबंध में कुछ नियम भी तय किए। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि कार्यपालिका न्यायपालिका की जगह नहीं ले सकती।
न्यायपालिका को निर्णय का कार्य सौंपा गया है। कार्यपालिका अपने मूल कार्यों को निष्पादित करने में न्यायपालिका की जगह नहीं ले सकती। राज्य सरकार और उसके अधिकारी मनमानी कार्रवाई नहीं कर सकते। जब राज्य सरकार द्वारा मनमाने ढंग से या अन्य कारणों से अभियुक्तों, सजायाफ्ता अपराधियों के अधिकारों का उल्लंघन किया जाता है, तो इसकी भरपाई की जानी चाहिए। जस्टिस गवई ने कहा कि कानून हाथ में लेने वाले और ऐसे कृत्य करने वाले सरकारी अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
कार्यपालिका किसी भी व्यक्ति को दोषी नहीं ठहरा सकती। महज आरोपों पर उनका घर तोडऩा कानून के शासन के मूल सिद्धांत का उल्लंघन होगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि कार्यपालिका जज बनकर किसी व्यक्ति की संपत्ति को नष्ट करने का फैसला नहीं कर सकती।