संपादकीय: कश्मीर घाटी के प्रवासी मजदूरों का पलायन
Exodus of migrant laborers from Kashmir Valley: कश्मीर घाटी के गांदरबल में प्रवासी मजदूरों पर हुए आतंकी हमले के बाद वहां काम कर रहे प्रवासी मजदूरों में दहशत फैल गई है।
गौरतलब है कि पिछले दिनों आतंकवादियों ने प्रवासी मजदूरों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाई थी। इसमें एक डॉक्टर सहित सात प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई थी।
आतंकवादियों ने यह टारगेट किलिंग इसीलिए की थी कि कश्मीर घाटी में काम कर रहे प्रवासी मजदूरों में भय का वातावरण बन जाए और वे लौट जाएं।
आतंकवादियों की यह मंशा पूरी हो रही है। कश्मीर घाटी से बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर पलायन के लिए बाध्य हो रहे हंै। यह गंभीर चिंता का विषय है। उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार कश्मीर घाटी में टनल निर्माण के साथ ही और भी कई निर्माण योजनाएं चला रही है।
यदि वहां कार्यरत मजदूर भयभीत होकर अपने अपने राज्यों में वापस लौट जाएंगे तो निर्माण कार्य प्रभावित होगा। इसलिए जम्मू कश्मीर की नवगठित उमर अब्दुल्ला सरकार और केन्द्र सरकार दोनों को मिलकर कश्मीर घाटी में कार्यरत प्रवासी मजदूरों के मन में घर कर गई
असुरक्षा की भावना को दूर करने के लिए कारगर पहल करनी चाहिए। साथ ही कार्यस्थल पर इन प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम करने चाहिए। अन्यथा प्रवासी मजदूर वापस लौटने पर बाध्य होंगे।
इसके अलावा कश्मीर घाटी में सक्रिय बचे खुचे आतंकवादियों के खात्में के लिए भी युद्ध स्तर पर अभियान तेज करने की सख्त जरूरत है। वैसे तो भारतीय सेना और सुरक्षाबल के जवान आतंकवादियों के खिलाफ आपरेशन ऑल आउट चला रहे हैं
लेकिन अभी भी कश्मीर घाटी में कुछ आतंकवादी सक्रिय हैं। जिन्हें स्थानीय अलगाववादियों की मदद मिल रही है। उनके मददगारों की भी पहचान करना आवश्यक है।
और उनके खिलाफ भी कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए। जब तक ऐसे कड़े कदम नहीं उठाए जाएंगे तब तक कश्मीर घाटी में शांति की बहाली नहीं हो पाएगी और प्रवासी मजदूरों का वहां निश्चित होकर काम करना संभव नहीं होगा।