संपादकीय: ईवीएम को लेकर चुनाव आयोग का चैलेंज

संपादकीय: ईवीएम को लेकर चुनाव आयोग का चैलेंज

Election Commission's challenge regarding EVMs

Election Commission's challenge regarding EVMs

Election Commission’s challenge regarding EVMs: महाराष्ट्र और झारखंड़ विधानसभा चुनाव के साथ ही देश के 15 राज्यों की 48 विधानसभा और वायनाड लोकसभा सीट के उपचुनाव की चुनाव आयोग ने घोषणा कर दी है।

चुनाव कार्यक्रमों की तिथि घोषित करने के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने पत्रकार वार्ता के दौरान एक बार फिर ईवीएम को लेकर विपक्षी पाटियों द्वारा जाहिर किए जाने वाले संदेह को निराधार बताते हुए उन्हें चैलेंज किया है कि वे अपने आरोपों को सिद्ध करके दिखाएं।

मुख्य चुनाव आयुक्त ने दावा किया है कि ईवीएम पूरी तरह से सुरक्षित हैऔर ईवीएम की तुलना पेजर से नहीं की जा सकती। ईवीएम कहीं भी पेजर की भांति कनेक्टेट नहीं होती। इसलिए ईवीएम के साथ किसी भी स्तर पर छेड़छाड़ नहीं की जा सकती।

इसे लेकर जो खबरें आ रही हैं वे पूरी तरह निराधार है। ईवीएम की हर स्तर पर जांच होती है और चुनावी प्रक्रिया पूर्ण होने तक हर स्तर पर वीडियोग्राफी कराई जाती है। मतदान के पूर्व सभी राजनैनिक पार्टियों के एजेंटों के सामने ईवीएम को खोला जाता है। और मतदान के बाद सभी के सामने इसे सील किया जाता है।

यह पूरी प्रक्रिया पारदर्शी है इसलिए इसमें कहीं भी गड़बड़ी किए जाने की कोई आशंका नहीं है। गौरतलब है कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस पार्टी के अनेक नेताओं ने एक बार फिर ईवीएम पर निशाना साधा था। और चुनाव आयोग से इसकी शिकायत की थी ।

उनकी शिकायत पर भी चुनाव आयोग गौर कर रहा है। लेकिन उसने फिर यह दावा किया है कि ईवीएम के साथ कहीं कोई छेड़छाड नहीं हुई है। गौरतलब है कि कहीं भी चुनावी नतीजे विपक्षी पार्टियों के मन माफिक नहीं आते हैं तो वे अपनी हार का ठीकरा ईवीएम के सिर पर फोडऩे लगते हैं।

जहां वे चुनाव जीत जाते हैं। उसे वे अपनी पार्टी की और लोकतंत्र की जीत बताते हैं और जहां चुनाव हार जाते हैं वहां वे ईवीएम को जिम्मेदार ठहराते हैं। हरियाणा और जम्मू कश्मीर दोनों ही जगह विधानसभा चुनाव हुए हैं।

जम्मू कश्मीर में नेशनल कांफे्रन्स और कांग्रेस का गठबंधन चुनाव जीता है इसलिए वहां ईवीएम पर कोई सवालिया निशान नहीं लगाए जा रहे हैं।लेकिन हरियाणा में कांग्रेस को पराजय का सामना करना पड़ गया तो उसके नेता ईवीएम पर ही निशाना साधने लगे हैं। इस तरह के आरोप पहले भी कई बार लगते रहे हैं।

नतीजतन चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक पार्टिेयों को चैलेन्ज दिया था कि वे चुनाव आयोग में आकर ईवीएम को हैक करके दिखाएं। किन्तु चुनाव आयोग की इस चुनौती को किसी ने भी स्वीकार नहीं किया।

ईवीएम मामला सर्वोच्च न्यायालय भी पहुंचा था और वहां दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी ईवीएम को क्लीन चिट दे दी थी। इसके बाद भी विपक्षी पार्टिेयां चुनाव हारने पर ईवीएम को ही जिम्मेदार ठहराती हैं। यदि उनके आरोप सही है

तो वे चुनाव आयोग का चैलेन्ज स्वीकारें और ईवीएम को हैक करके बताएं बेहतर होगा कि अपनी हार के लिए ईवीएम के माथे पर दोष मढऩा छोड़कर राजनीतिक पार्टियां अपनी हार के वास्तविक कारणों पर चिंतन मनन करें अन्यथा ऐसे बेतुके आरोप लगाकर वे अपनी स्थिति को हास्यास्पद बनाएंगी।

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