प्रसंगवश: हिड़मा का गांव और गृहमंत्री की हामी…संयोग या प्रयोग..बघेल के लड़ाकू तेवर और नौकरशाही..

प्रसंगवश: हिड़मा का गांव और गृहमंत्री की हामी…संयोग या प्रयोग..बघेल के लड़ाकू तेवर और नौकरशाही..

Incidentally: Hidma's village and the Home Minister's approval... coincidence or experiment.. Baghel's fighting attitude and bureaucracy..

Hidma village and the Home Minister vijay sharma

-यशवंत धोटे
Hidma village and the Home Minister vijay sharma: केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह का तीन दिवसीय प्रवास राज्य की नौकरशाही और भाजपा की राजनीति में नई ऊर्जा भर गया। इस प्रवास के दौरान गृहमंत्री ने अपनी राज्य सरकार के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री सह गृहमंत्री विजय शर्मा की जमकर तारीफ की। दरअसल विजय शर्मा के नक्सल नेता हिड़मा के गांव पहुंच जाना अमित शाह को इतना भाया कि उन्होंने भरी प्रेस कांफ्रेंस में इसकी तारीफ की। हालांकि एक पत्रकार ने उनसे पूछ ही लिया कि क्या आपकी हिड़मा के गांव जाना पंसद करेंगे। जवाब था क्यों नहीं…।

संयोग या प्रयोग

इस महज संयोग माना जाय या प्रयोग? जिस समय राज्य की नौकरशाही का लावलश्कर केन्द्रीय गृहमंत्री की आवभगत में व्यस्त था ठीक उसी समय कांग्रेस विधायक देवेन्द्र यादव की गिरफ्तारी हुई और राज्य भर में कांग्रेस अलग-अलग स्तर पर विरोध प्रदर्शन करने लगी। यहां तक कि कांगे्रस प्रभारी सचिन पायलट रायपुर आये उन्होंने स्थानीय नेताओंके साथ जेल में बंद देवेन्द्र से मुलाकात की और प्रदर्शन में भाग लिया। इस दरम्यान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दीपक बैज तो इतने आक्रामक हो गए कि उन्होंने मुख्यमंत्री के पालीग्राफ टेस्ट की मांग कर डाली। दरअसल बलौदाबाजार ङ्क्षहसा वाले मामले में देवेन्द्र यादव जेल में है और कांग्रेस इसकी विरोध में प्रदेश भर में प्रदर्शन कर रही है।


बघेल के लड़ाकू तेवर और नौकरशाही

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के लड़ाकू तेवर अभी कमजोर नहीं पड़ें हैं। वे सत्ता से ज्यादा विपक्ष में आक्रामक होते दिख रहे हैं। वर्ष 2013 से 2018 तक के उनके संगठन के कार्यकाल को याद किया जाए तो उन्होंने 15 साल की भाजपा की सत्ता को चुनौती दी और बंपर जनादेश से बनी सरकार के पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री बने। यह बात अलग है कि वे दोबारा सत्ता नही ला पाये लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री के तौर भूपेश बघेल ही कांग्रेस संगठन का एक ऐसा चेहरा है जो फिर सत्ता को चुनौती दे रहा है। भिलाई में बजरंग दल के कुछ नेताओं ने उनके काफिले को घेरा तो उन्होंने सीधे दुर्ग एसपी पर गुण्डागर्दी का आरोप लगा दिया। संगठन सक्रिय हुआ तो आनन फानन में पुलिस ने भी कार्रवाई शुरू की। यानि नौकरशाही को यह समझ जाना चाहिये कि सब दिन एक समान नहीं रहते हैं।

भटक रहे लेनदार और सरकार को कर रहे बदनाम

पिछली सरकार के लेनदार भटक रहे हैं। अधिकांश सप्लायरों ने चुनाव के आखरी दिनों में कांग्रेस की सरकार की वापसी की प्रत्याशा में न केवल जमकर कमीशन बाटा बल्कि बाजार से सामान उठाकर सप्लाई भी कर दिया। लेकिन सरकार बदल गई और नई सरकार ने सभी भुगतान पर रोक लगा दी। अब यही सप्लायर और ठेकेदार बाजार में अपनी वसूली के लिए पावर सेंटर खोज रहे है और वसूली नहीं होने पर सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार भी कर रहे हैं कि सरकार में किसी का काम नहीं हो रहा है। अलबत्ता सरकार के कर्णधार भी मोदी की गारंटी से जुड़ी सभी योजनाओं पर तो काम कर रहे हैं लेकिन बेगारी वाले काम फिलहाल स्थगित है।

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