Historian Dr. Vasubandhu Dewan: आजादी के आंदोलन में बेमेतरा के योगदान को सामने लाने प्रयास होना चाहिए : डॉ. वसुबंधु दीवान

Historian Dr. Vasubandhu Dewan: आजादी के आंदोलन में बेमेतरा के योगदान को सामने लाने प्रयास होना चाहिए : डॉ. वसुबंधु दीवान

Raipur Bemetara Freedom Fighter Freedom Fighter Historian Dr. Vasubandhu Dewan Discussion

Raipur Bemetara Freedom Fighter Freedom Fighter Historian Dr. Vasubandhu Dewan Discussion

जिले में अंग्रेजों के खिलाफत को लेकर लंबे समय से शोध करने वाले इतिहासकार डॉ. वसुबंधु दिवान से चर्चा

नीरज उपाध्याय

रायपुर/नवप्रदेश। Raipur Bemetara Freedom Fighter Freedom Fighter Historian Dr. Vasubandhu Dewan Discussion: बेमेतरा जिले में स्वाधीनता को लेकर चरण बद्ध तरीके से अंग्रेजों का विरोध किया गया। जिले में अंगे्रजों के खिलाफत को लेकर लंबे समय से शोध करने वाले इतिहासकार डॉ. वसुबंधु दीवान ने जिले के उन पहलुओं को अखबार के माध्यम से सामने लाया है, जो आज तक जिलेवासियों की जानकारी से दूर रहा है। अखबार द्वारा आजादी के उत्सव पर विशेेष चर्चा की गई..

प्रश्न : बेमेतरा धमधा के गोंड़ राजा का क्षेत्र रहा है जिसके कारण आदिवासी विद्रोह की स्थिति किस तरह की थी?
उत्तर : क्षेत्र में अंग्रेजों द्वारा किए जा रहे आर्थिक एवं राजनैतिक शोषण के विद्रोह का स्वर अंचल के आदिवासी जमींदार से प्रारम्भ हुआ था और दाढ़ी के सावंत भारती एवं नवागढ़ के महारसिया दोनों ही जमींदार परिवार से थे, उन्होंने पहले मराठों फिर अंग्रेजों के खिलाफ बगावत कर स्वतंत्रता का बिगुल फूंक दिया था। 1857 की क्रांति.. भी जिले में दिखाई दी थी, तब सावंत भारती एवं महारसिया के बिगुल को सोनाखान के जमींदार राम राय बिंझवार ने संभाला था और कालांतर में उनके ही सुपुत्र नारायण सिंह बिंझवार ने 1857 की क्रांति में अपने बलिदान से सिंचित किया था। उनके द्वारा किये गये शोध में ये बातें सामने आई कि मौखिक तौर पर नवागढ़, मारो, बेमेतरा अंधियारखोर, दाढ़ी, में भी बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए थे, पर रिकार्ड गायब है।

प्रश्न : सेनानियों का रिकॉर्ड देखा जाए तो सभी असहयोग आंदोलन के समय या उसी दौर के थे?
उत्तर : (Raipur Bemetara Freedom Fighter Freedom Fighter Historian Dr. Vasubandhu Dewan Discussion) अंचल के लोगों ने असहयोग आंदोलनों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था और वकालत का त्याग, स्वदेशी अपनाना, विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार, जनसभा, रैली निकाल कर विरोध प्रदर्शन बेमेतरा में किया गया था। 1920-21ई. के असहयोग आंदोलन में अंधियारखोर के पंडित भगवती प्रसाद मिश्र, वाईवी तामस्कर, मुंजन सोनी, माधव राव सप्रे, लक्ष्मण प्रसाद, अवध राम, मुकुट राय जैसे लोगों ने गांधी जी के आह्वान पर आजादी की लड़ाई अहिंसात्मक तरीके से प्रारंभ किया। पुलिसिया कार्यवाही करने पर सब गिरफ्तार भी किए गए थे।

प्रश्न : जेल से निकलकर श्री कृष्णजन्म स्थान पत्रिका.. का बेमेतरा तक पहुंचता था कैसे?
उत्तर : पंडित सुंदरलाल शर्मा रायपुर जेल में बंद रहते हुए भी बड़ी सूझबूझ से हस्तलिखित समाचार पत्र का लेखन करते थे। जिसे श्री कृष्ण जन्मस्थान पत्रिका का नाम दिया गया था! इस समाचार पत्र को चोरीछिपे राष्ट्रवादियों तक पहुंचाया जाता था। इसी समाचार पत्र के पांचवें अंक के प्रथम पृष्ठ पर अंधियारखोर के मालगुजार पंडित भगवती प्रसाद मिश्र को गिरफ्तार कर जेल में डालते हुए पंडित सुंदर लाल शर्मा ने चित्रित किया था। जो बेमेतरा की तात्कालिक राजनीतिक जागृति एवं आंदोलनों की भव्यता को प्रमाणित करता है। यह एक अभूतपूर्व कदम था जो नौजवानों की प्रेरणा की वजह बनी। पत्र बेमेतरा अंचल तक पहुंचा था।

प्रश्न : जिले में ..जंगल सत्याग्रह का असर रहा था ये बाते कैसे सामने आई
उत्तर : 2 सितंबर 1930ई. को बेमेतरा में श्री तामस्कर के नेतृत्व में जंगल सत्याग्रह किया गया था। जो सफल रहा और लोगों का भरपूर सहयोग भी मिला। यह वही दौर था, साथ ही सविनय अवज्ञा आंदोलन के द्वितीय चरण में बेमेतरा में भी विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार किया गया, जहां विदेशी कपड़ों की होली जलाई गई। इस दौरान कई लोगों की गिरफ्तारी हुई थी।

प्रश्न : क्या ..वानर सेना में जिले के विद्यार्थी भी थे?
उत्तर : पत्र को लाने-ले जाने के लिए छिपे तौर पर बेमेतरा में भी वानर सेना का गठन किया गया था। ये सैनिक क्रांतिकारियों एवं सेनानियों के गोपनीय पत्र एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाया करते थे। यह काम बहुत ही गोपनीय तरीके से किया जाता था। पत्रवाहक पैदल ही आना-जाना करते थे। वानर सेना रायपुर एवं बिलासपुर के बाद बेमेतरा में ही गठित की गई थी। कई विद्यार्थी जीवन में इससे जुड़े थे।

प्रश्न : शहर में अंग्रेजों के रोक के बाद भी हुआ था 1934 का गणेश उत्सव..?
उत्तर : (Raipur Bemetara Freedom Fighter Freedom Fighter Historian Dr. Vasubandhu Dewan Discussion) 14 सितंबर 1934ई. को बेमेतरा में एक वृहद गणेश उत्सव मनाया गया, जिसमें प्रमुख स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उपस्थित थे। यह गणेश उत्सव बालक स्कूल बेमेतरा एवं माधव राव सप्रे जी के निवास में प्रतिमा रख प्रारंभ किया गया। जहां पर बिलासपुर के क्रांति कुमार भारतीय को विशेष रूप से रामायण पाठ के लिए बुलाया गया था।

प्रश्न : इस आयोजन से क्या लाभ हुआ, अंग्रेजों की क्या प्रतिक्रिया रही?
उत्तर : 17 सितंबर 1934 को सप्रे जी के निवास पर क्रांति कुमार भारतीय ने भरत मिलाप प्रसंग को बहुत ही सुरम्य तरीके से प्रस्तुत किया और साम्राज्यवाद के विरुद्ध ऐतिहासिक भाषण दिया। इस घटना ने तात्कालिक प्रशासन की नींद हराम कर दी थी। इस गणेश उत्सव में प्रमुखतया माधव राव सप्रे, क्रांति कुमार भारतीय, विश्वनाथ तामस्कर समेत अंचल के सभी सेनानी एवं जनमानस उपस्थित थे। जिनकी संख्या लगभग 500 थी। ब्रिटिश शासन द्वारा क्रांति कुमार भारतीय को रामायण पाठ नहीं करने के लिए आदेश दिया गया था। इसकी वजह से उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें सुनने दूर-दूर से लोग आए हुए थे। उन लोगों की भी पुलिस ने तफ्तीश की थी। यह बेमेतरा के लिए एक बड़ी घटना थी। छत्तीसगढ़ के इतिहास में आज भी बेमेतरा के गणेश उत्सव की घटना के नाम से याद किया जाता है।

प्रश्न : 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में क्या कई सेनानी नौकरी छोड़कर सामने आये थे?
उत्तर : प्रदेश के शीर्ष नेताओं को मलकानपुर में गिरफ्तार किया गया तो भारत छोड़ो आन्दोलन को प्रदेश के युवा नेतृत्व ने संभाला था, जिसमें क्षेत्र से अनेक युवा एवं सेनानी रायपुर व दुर्ग की जनसभाओं में सम्मिलित हुए थे। उनमें प्रमुख रूप से भागवत उपाध्याय, लक्ष्मण प्रसाद वैद्य, दयाशंकर तिवारी, गंगाधर तामस्कर शामिल थे। दाढ़ी से ही लक्ष्मण प्रसाद दुबे एवं दयाशंकर तिवारी भी इन दिनों खूब सक्रिय थे।

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