संपादकीय: प्रकृति से खिलवाड़ का नतीजा है कुदरत का कहर
Nature’s havoc: इस बार मानसून ने देश के आधे से भी ज्यादा हिस्से में ऐसी तबाही मचाई है कि लोग त्राही माम त्राही माम करने लगे हैं। भारी बारिश के कारण सड़कें बह रही है पुल टूट रहे हैं।
और बड़ी -बड़ी इमारतें जमींदोज हो रही हैं। पहाड़ों से लेकर मैदानी इलाकों तक में आसमानी आफत ने जनजीवन को अस्त व्यस्त कर दिया है। जिसकी वजह से जन और धन की भारी हानि हो रही है। केरल के वायनाड में भूस्खलन की घटना में तीन से सौ से ज्यादा लोग असमय ही काल के गाल में समा गए हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केरल के मुख्यमंत्री से चर्चा की है और प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए केरल को हर संभव सहायता उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है। वायनाड़ से सांसद रहे नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने अपनी बहन और कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी के साथ वायनाड का दौरा किया है। और पीडि़त लोगों से मुलाकात कर उन्हें सहायता उपलब्ध कराने के लिए आश्वस्त किया है।
सैकड़ों लोग अभी भी लापता हैं। भारतीय सेना और रेस्क्यू टीम अपनी जान हथेली पर लेकर वहां बचाव और राहत कार्यों में दिन रात जुटी हुई हैं और उन्होंने कई लोगों को मौत के मुंह से बाहर निकाला है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता भी बचाव कार्य में लगे हुए हैं।
इसी तरह उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भी कुदरत का कहर (Nature’s havoc) टूटा है। इससे लाखों लोग प्रभावित हुए हैं। वहां भी सेना ने मोर्चा संभाला है और बाढ़ में फंसे लोगों को बचाने के लिए वे देवदूत साबित हो रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इन दोनों ही राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ भी बातचीत की है और उन्हें भी हर संभव मदद मुहैया कराने का भरोसा दिया है।
देश की राजधानी नई दिल्ली का भी इस बारिश में हाल बेहाल हो गया है। एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भरने के कारण तीन छात्रों की मौत होने की दुखद घटना के बाद अब नई दिल्ली में बारिश के पानी के निकासी का काम युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। लेकिन अभी भी वहां सड़कों पर पानी का जमाव होने की वजह सेे आवागमन बाधित हो रहा है।
नए संसद भवन की छत भी टपकने लगी है। इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि राजधानी नई दिल्ली में कुदरत का कहर किस कदर टूट रहा है। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश में भी कमोबेेेश यही स्थिति है।
वहां भी उत्तरप्रदेश के विधानसभा भवन में पानी का जमाव हो गया था। बिहार में भी बाढ़ के हालात बेकाबू हो रहे हैं। वहां बिजली गिरने से पांच लोगों की मौत हो गई है। कुल मिलाकर देश के अधिकांश हिस्सों में अतिवृष्टि के कारण भयावह स्थिति निर्मित हो रही है।
इस प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए केन्द्र सरकार और संबंधित राज्य सरकारें अपने -अपने स्तर पर जुटी हुई हैं। लेकिन लाखों लोग अभी भी अपना घर बार छोड़कर राहत शिविरों में किसी तरह अपना जीवन बसर कर रहे हैं। कुदरत का ये जो कहर टूटा है। उसके लिए हम ही जिम्मेदार हैं। जो प्रकृति से खिलवाड़ करने से बाज नहीं आ रहे हैं।
अब समय आ गया है कि हम इससे सबक लें और प्राकृति से खिलवाड़ करना बंद करें। अन्यथा आने वाले वर्षों में हमें इसके और ज्यादा गंभीर दुष्परिणाम झेलने पड़ेंगे।