मां की मौत मामला पहुंचा हाईकोर्ट.. एक बेटा दूसरे धर्म में ..तो दूसरी संतान ने ग्रामीणों के साथ शव दफन पर की आपत्ति
अंतिम संस्कार विवाद पर हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के मामले का हवाला देते हुए सुनाया फैसला…
बिलासपुर/नवप्रदेश। Bilaspur High Court hearing mother’s death Christianity Hindu religion dead body burial controversy: प्रदेश में ऐसा मामला सामने आया जिसमें मां की मौत को लेकर हाईकोर्ट तक जाना पड़ा है। एक बेटा मां के साथ दूसरा धर्म अपना लिया था, वहीं दूसरा बेटा गांव में रहकर अपने मूल धर्म में रहा, पर मां की मौत के बाद शव दफन को लेकर विवाद गहरा गया। तब एचसी के फैसले के बाद सुरक्षा के बीच मां के शव का दफन करना पड़ा है।
मामले पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस पीपी साहू ने सुप्रीम कोर्ट के मोहम्मद लतीफ आगरे मामले का हवाला देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को अपने धर्म के मुताबिक अंतिम संस्कार करने का अधिकार है। वहीं एचसी ने जगदलपुर मेडिकल कॉलेज के प्राधिकारियों को मृतिका की बॉडी को छोटे बेटे राम लाल को सौंपने का निर्देश दिया। साथ ही एसपी बस्तर को अंतिम संस्कार के दौरान याचिकाकर्ता को सुरक्षा देने के निर्देश दिए।
मां के शव को लेकर बेटे ने कोर्ट से मां का अंतिम (Bilaspur High Court hearing mother’s death Christianity Hindu religion dead body burial controversy) संस्कार ईसाई धर्म से गांव में ही करने अनुमति मांगी। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि मृत व्यक्ति पर भी मानवीय गरिमा का अधिकार लागू होता है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में दायर याचिका में मृत मां के अंतिम संस्कार कराने की अपील की है।
मामले के अनुसार विवाद का मसला ये है कि मृतिका के दो बेटे में एक हिन्दू तो दूसरा ईसाई धर्म से हैं। ईसाई धर्म अपना चुकी मां के अंतिम संस्कार पर गांव में आपत्ति हुई। ग्रामीण इसका विरोध कर रहे थे। इस पर एक बेटे ने कोर्ट का सहारा लेकर मां का अंतिम संस्कार ईसाई धर्म से गांव में ही करने अनुमति मांगी। इस पर कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा मृतिका पर भी मानवीय गरिमा का अधिकार लागू होता है।
कोर्ट ने कहा उसी के तहत अपनी जन्मभूमि में (Bilaspur High Court hearing mother’s death Christianity Hindu religion dead body burial controversy) दफन होने का अधिकार है। मां जिस बेटे के साथ रहती थी उसी की रीति से अंतिम संस्कार करने आदेश दिया। इसके तहत ईसाई रीति से अपनी निजी जमीन में अंतिम संस्कार करने की अनुमति दी है। यह मामला बस्तर जिले के परपा थाना क्षेत्र का है। जहां पर एर्राकोट में महिला की मौत के तीन दिन बाद भी दो बेटों के होते हुए अंतिम संस्कार के लिए गांव में सहमति नहीं बन सकी थी।
इसाई धर्म मानने वाले पुत्र ने की थी हाईकोर्ट में याचिका पेश
मामले में हाईकोर्ट में जस्टिस पीपी साहू की सिंगल बेंच ने सुनवाई हुई। एर्राकोट निवासी 70 वर्षीय पाण्डो कश्यप की 28 जून की रात मौत हो गई। इनके दो पुत्रों में मृतिका ईसाई धर्म को मानने वाले छोटे बेटे रामलाल के साथ रहती थी। वहीं बड़ा बेटा खुल्गो कश्यप जो हिन्दू धर्म को मानता है। अपने परिवार के साथ कोंडागांव के पास एक गांव में रहता है। छोटा पुत्र अपनी मां का अंतिम संस्कार ईसाई रीति से करना चाहता था, किंतु ग्रामीण ईसाई कब्रिस्तान नहीं होने के कारण इसका विरोध किए। इस पर इसाई धर्म मानने वाले पुत्र ने हाईकोर्ट में याचिका पेश की थी।
सुको के एक मामले का हवाला
एचसी में सुनवाई करते हुए जस्टिस पीपी साहू ने सुप्रीम कोर्ट के मोहम्मद लतीफ आगरे मामले का हवाला देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को अपने धर्म के मुताबिक अंतिम संस्कार करने का अधिकार है। इसके साथ ही एचसी ने जगदलपुर मेडिकल कॉलेज के प्राधिकारियों को मृतिका की बॉडी को छोटे बेटे राम लाल को सौंपने का निर्देश दिया। साथ ही एसपी बस्तर को अंतिम संस्कार के दौरान याचिकाकर्ता को सुरक्षा देने के निर्देश दिए है।