सिकल सेल उन्मूलन से विकसित भारत की पहचान होगी

सिकल सेल उन्मूलन से विकसित भारत की पहचान होगी

Eradication of sickle cell will mark developed India

Eradication of sickle cell will mark developed India

Eradication of sickle cell will mark developed India: बच्चे की ग्रोथ पर असर पड़ता है। साथ ही दूसरे बच्चों की तुलना में इम्युनिटी भी कमजोर होती है। अत: सिकल सेल रोग एक घातक आनुवंशिक रक्त विकार हैं। इससे शरीर का खून सूख जाता है। हल्की पीलिया होने से बच्चे का शरीर पीला दिखाई देना, तिल्ली का बढ़ जाना, पेट एवं छाती में दर्द होना, सांस लेने में तकलीफ, हड्डियों एवं जोड़ों में विकृतियां होना, पैरों में अल्सर घाव होना, हड्डियों और जोड़ों में सूजन के साथ अत्यधिक दर्द, मौसम बदलने पर बीमार पढऩा, अधिक थकान होना यह लक्षण बताए गए हैं। इससे दर्द, एनीमिया, संक्रमण आदि समस्याएं हो सकती हैं। इसके प्रकार है; सिकल हीमोग्लोबिन, सिकल बी प्लस थैलेसीमिया और सिकल बीटा-शून्य थैलेसीमिया। समय पर इस बीमारी का इलाज न कराया जाए, तो यह जानलेवा भी हो सकती है। इन्हीं सबके बारे में लोगों को जागरूक करने के मकसद से ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यह दिन मनाया जाता है।

कब प्रारंभ हुई?
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 19 जून को विश्व सिकल सेल दिवस के रूप में मनाने के लिए दिसंबर 2008 में एक प्रस्ताव पारित किया था। इस दिवस पर प्रत्येक वर्ष अलग-अलग एक खास थीम रखी जाती है। वर्ष 2024 के लिए विश्व सिकल सेल दिवस का विषय है: प्रगति के माध्यम से आशा: विश्व स्तर पर सिकल सेल देखभाल को आगे बढ़ाना।

कार्य योजना की प्रगति
भारत में यह बीमारी खासतौर से छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, पूर्वी गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिमी ओडिशा और उत्तरी तमिलनाडु में देखने को ज्यादा मिलती है। सिकलसेल एनीमिया आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में एक अहम स्वास्थ्य समस्या है। अत: इस बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए समुदाय स्तर पर स्क्रीनिंग द्वारा रोगी की पहचान कर जेनेटिक काउंसलिंग एवं प्रबंधन करना अत्यंत आवश्यक है। मध्य प्रदेश में सिकलसेल एनीमिया की रोकथाम एवं उपचार के लिये 15 नवम्बर 2021 जनजातीय गौरव दिवस को ‘राज्य हिमोग्लोबिनोपैथी मिशन’ का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इसी श्रृखंला में ‘विश्व सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन’ वर्ष 2023 में प्रधानमंत्री ने प्रारंभ किया था। इस मिशन में अलीराजपुर एवं झाबुआ जिलें में पायलट प्रोजेक्ट के तहत कुल 9 लाख 17 हजार जनसंख्या की स्क्रीनिंग की गयी। मध्य प्रदेश के 22 जिले इस रोग से प्रभावित है जहां अब तक 22 लाख 96 हजार जेनेटिक कार्ड वितरित किये जा चुके हैं। डिंडौरी जिले में सबसे ज्यादा 1970 मरीज है।

कारण लक्षण एवं दुष्परिणाम
सामान्य रूप से यह कहा जाता है कि इस रोग के मूल में खान-पान, पानी, स्वच्छता की कमी होना है, जिसका सीधा संबंध गरीबी से है। शायद इसीलिए यह बीमारी जनजातीय (आदिवासियों) में ज्यादा पाई जाती है। परन्तु यदि गरीबी ही एकमात्र कारण होता, तो पिछड़े व सामान्य वर्गो के गरीब भी इस बीमारी से ग्रसित होते। परन्तु ऐसा है नहीं।

अत: आवश्यकता है इस बात की है कि इस बीमारी के मूल में जाए, तभी प्रभावी इसकी रोक थाम की जा सकती है। साथ ही इस बीमारी से पीडि़त, ग्रसित वर्ग के साथ-साथ ‘वृहत’ समाज के बीच जागरूकता फैलाने के लिए कोई ‘हस्ती’ फिल्मी, खेल यह अन्य क्षेत्रों से जुड़े गणमान्य प्रसिद्ध व्यक्ति को ब्रांड एम्बेसडर बनाया जाना चाहिए। तब कम समय, शक्ति व खर्च में अधिकतम परिणाम निकाले जा सकते हैं।

लाइलाज?
इस बीमारी का पता लगाने के लिए एवं खास तरह का ब्लड टेस्ट किया जाता है, जिसे इलैक्ट्रोफोरेसिस कहते है। सामान्यतया सिकल सेल रोग का कोई इलाज नहीं है। सिकल सेल रोग का एक उपचार अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण है, जो बहुत जटिल है।

2047 तक एससीडी के उन्मूलन के लिए सरकारी मिशन
भारत सरकार ने 2047 तक सिकल सेल रोग (एससीडी) को खत्म करने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 1 जुलाई 2023 को मध्य प्रदेश के शहडोल में राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन शुरू किया। राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का हिस्सा है। आयुष्मान भारत योजना में संशोधन करके सिकल सेल को भी इसमें शामिल कर दिया गया है।

राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन का फोकस क्षेत्र
राष्ट्रीय सिकल सेल (Eradication of sickle cell will mark developed India) एनीमिया उन्मूलन मिशन 17 राज्यों के आदिवासी बहुल जिलों पर केंद्रित है, जहां इस बीमारी का प्रसार सबसे अधिक है। मिशन का लक्ष्य प्रभावित आदिवासी क्षेत्रों में 0-40 वर्ष के आयु वर्ग के 7 करोड़ लोगों में जागरूकता पैदा करना और सार्वभौमिक जांच करना है। सिकल सेल रोग झारखंड, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिमी ओडिशा, पूर्वी गुजरात और उत्तरी तमिलनाडु और केरल में नीलगिरि पहाडिय़ों के इलाकों में अधिक प्रचलित है।

प्रजातंत्र में जनजाति का स्थान रीढ़ की हड्डी है। जनजाति ही भारतीय संस्कृति और प्रजातंत्र को बल देता है’। ‘2047 में विकसित भारत की पहचान होगा, सिकल सेल का पूर्ण उन्मूलन’ से। ‘हवन शुरू हो गया है, पूर्ण आहूति 2047 में हो जायेगी’। सिकल सेल उन्मूलन की शुरूआत मध्य प्रदेश के डिंडौरी में अंतराष्ट्रीय दिवस पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, राज्यपाल मंगू भाई पटेल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा था कि सिकल सेल उन्मूलन के लिए सरकार की भागीदारी से यह बात स्पष्ट रूप से रेखांकित होती है कि सरकार इस रोग के उन्मूलन के प्रति कितनी गंभीर है।

‘सिकल सेल’ (Eradication of sickle cell will mark developed India) एक जेनेटिक बीमारी है, जो माता-पिता से बच्चों में आती है। इस बीमारी में रेड ब्लड सेल्स में ऑक्सीजन की कमी हो जाने से ‘सेल’ का आकार गोल न बनकर आधे चांद या फिर हंसिए की तरह नजर आता है। इसलिए इसे ‘सिकल (हंसिया) सेल’ कहते हैं।

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