संपादकीय: छत्तीसगढ़ पुलिस की कार्यप्रणाली में सुधार की पहल
Initiative to improve the functioning of Chhattisgarh Police: छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री विजय शर्मा ने छत्तीसगढ़ पुलिस की कार्यप्रणाली में सुधार की पहल की है। जो स्वागत योग्य कदम है। मध्यप्रदेश की तरह ही अब छत्तीसगढ़ में भी पुलिस विभाग उर्दू और फारसी के शब्दों का उपयोग नहीं कर पाएंगे। इस बाबत गृह मंत्री ने अपर मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं कि पुलिस कार्यप्रणाली में चलन से बाहर हो चुके शब्दों को हटा दिया जाए और उनकी जगह हिन्दी के ऐसे शब्दों को शामिल किया जाए जो आम जनता की समझ में आते हों।
गौरतलब है कि मुगल शासनकाल और ब्रिटिश शासनकाल के समय से उर्दू और फारसी के शब्दों को उपयोग होता रहा है। आजादी के बाद भी ऐसे कई शब्द आज भी प्रचलन में हैं। जैसे रोजनामचा, फौत, इश्तगासा, गोस्वारा और नकबजनी जैसे शब्दों का अभी तक पुलिस विभाग (improve the functioning of Chhattisgarh Police) में इस्तेमाल हो रहा है ऐसे कई शब्दों का मतलब तो आम जनता समझ ही नहीं पाती है। उर्दू और फारसी के ऐसे शब्दों को पहले पहल मध्यप्रदेश में प्रचलन से बाहर किया गया और अब उसी का अनुसरण करते हुए छत्तीसगढ़ में भी पुलिस की शब्दावली से ऐसे शब्दों को हटाने की पहल की जा रही है।
जिसका स्वागत ही किया जाना चाहिए। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री विजय शर्मा को चाहिए की वे पुलिस कार्यप्रणाली में हिन्दी को प्राथमिकता देने के साथ ही छत्तीसगढ़ी भाषा को भी स्थान देने की पहल करें। तात्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के कार्यकाल में पुलिस थानों में छत्तीसगढ़ भाषा में एफआईआर दर्ज कराने की घोषणा की गई थी तत्कालीन डीजीपी विश्वरंजन ने इस बाबत पुलिस विभाग (improve the functioning of Chhattisgarh Police) को निर्देश भी जारी किए थे और कुछ थानों में छत्तीसगढ़ी भाषा में रिपोर्ट दर्ज कराने की शुरूआत भी हुई थी। लेकिन बाद में इस पर ध्यान नहीं दिया गया।
अब छत्तीसगढ़ में एक बार फिर ठेठ छत्तीसगढिय़ा विष्णुदेव के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बन गई है तो छत्तीसगढ़ के बाशिंदों को यह उम्मीद बंधी है कि अब फिर से छत्तीसगढ़ी भाषा को सरकारी काम काज की भाषा बनाने के लिए ठोस पहल की जाएगी। इसकी शुरूआत यदि पुलिस महकमें से की जाती है तो यह अच्छा ही होगा। आशा की जानी चाहिए कि गृह मंत्री विजय शर्मा इस दिशा में कारगर पहल करेंगे।