Indian Family Savings: भारतीय परिवारों की ‘बचत’ 5 साल के निचले स्तर पर, अब कर्ज पर चल रही है जिदंगी…
-लोग सोना, रियल एस्टेट और शेयर बाजार में अपना निवेश बढ़ा रहे
नई दिल्ली। Indian Family Savings: भारतीय लोग सोना, रियल एस्टेट और शेयर बाजार में अपना निवेश तो बढ़ा रहे हैं, लेकिन जितना कर्ज वे ले रहे हैं, उससे उनकी वित्तीय जिम्मेदारियां भी बढ़ती जा रही हैं। अत: शुद्ध आर्थिक बचत में कमी देखी जा रही है। पिछले तीन वर्षों में परिवारों की वित्तीय जिम्मेदारी दोगुनी हो गई है। साथ ही उनकी शुद्ध वित्तीय बचत लगभग 40 प्रतिशत गिरकर 5 साल के निचले स्तर पर आ गई। यह तस्वीर स्ट्रैटजिक एंड प्रोग्राम इंप्लीमेंटेशन द्वारा जारी नेशनल अकाउंट स्टैटिस्टिक्स 2024 से सामने आई है।
बचत का पैटर्न
यह वित्त वर्ष 2021 में 40 हजार 505 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2023 में 63 हजार 397 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। शेयर और डिबेंचर में निवेश लगभग दोगुना होकर 2.06 लाख करोड़ रुपये हो गया है। वहीं म्यूचुअल फंड में निवेश लगभग तीन गुना हो गया है।
वित्त वर्ष 2023 में यह बढ़कर 1 लाख 79 हजार करोड़ रुपये हो गया, जो वित्त वर्ष 2021 में 64 हजार 84 करोड़ रुपये था। इस दौरान छोटी बचत योजनाओं (Indian Family Savings) का निवेश 2 लाख 48 हजार करोड़ रुपये से घटकर 2 लाख 38 हजार करोड़ रुपये रह गया है। वित्तीय वर्ष 2022 में यह 2 लाख 41 हजार करोड़ रुपये था।
वित्तीय दायित्व
2018-19 में वित्तीय देनदारी 7,71,245 करोड़ रुपये थी। अगले वित्तीय वर्ष में यह 7,74,693 करोड़ रुपये, वित्तीय वर्ष 2020-21 में 7,37,350 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। हालांकि, वित्तीय वर्ष 2022 में यह बढ़कर 8 लाख 99 हजार 271 करोड़ रुपये हो गया।
वित्तीय वर्ष 2023 में यह आंकड़ा 15 लाख 57 हजार 190 करोड़ रुपये तक पहुंच गया और वित्तीय देनदारी बढ़ गई। बैंक ऋण वित्त वर्ष 2021 में 6 लाख 5 हजार करोड़ रुपये से लगभग दोगुना होकर वित्त वर्ष 2023 में 11 लाख 88 हजार करोड़ रुपये हो गया है। वित्तीय वर्ष 2022 में यह 7 लाख 69 हजार करोड़ रुपये था।
शुद्ध बचत
कुल वित्तीय बचत से वित्तीय (Indian Family Savings) देनदारियां घटाने के बाद, 2022-23 में शुद्ध घरेलू बचत 14,16,447 करोड़ रुपये थी। यह 2018-19 के बाद सबसे कम आंकड़ा है, जब यह आंकड़ा 14,92,445 करोड़ रुपये था। यह वित्त वर्ष 2020 के 15 लाख 49 हजार 870 करोड़ रुपये से बढ़कर 2022-21 में 23 लाख 29 हजार 671 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। अगले साल यह 17 लाख 12 हजार 704 करोड़ हो गया। वित्तीय वर्ष 2023 में यह 14 लाख 16 हजार करोड़ हो गया। इस तरह 3 साल में शुद्ध बचत 9 लाख करोड़ रुपये घट गई।