Navpradesh Special Story: खरबों की शासकीय जमीन पर धनाड्यों का कब्जा, -क्या कार्रवाई की हिम्मत जुटाएगी सरकार !
-गृहनिर्माण के नाम पर अनियमितता का समुंदर, जिसमें नहा रहा शासन-प्रशासन
दुर्ग/नवप्रदेश/प्रमोद अग्रवाल। deepak nagar durg: क्या आप विश्वास करेंगे कि दुर्ग शहर में आज की सबसे ज्यादा सभ्रांत और धनिक कालोनी दीपक नगर में बने आवास अवैध है। क्या आप मानेंगे कि किसी शहर में 1961 के बाद से नजूल द्वारा दी गई जमीन का भू-भाटक और संपत्तिकर नहीं पटाया गया। क्या आप मानेंगे कि नजूल द्वारा मिली चार एकड़ जमीन पर निर्माण की अनुमति को अपने मन से 14 एकड़ कर लिया गया है लेकिन शासन-प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई।
क्या आप मानेंगे कि ग्राम निवेश विभाग, जमीन पंजीयन विभाग, नजूल विभाग, नगर निगम और दुर्ग जिला प्रशासन भ्रष्टाचार के इस समुद्र में पिछले 62 सालों से नहा रहा है। लेकिन इस कार्यवाही करने के लिए कोई तैयार नहीं है। जाने कितनी इमानदार सरकारें इस दौरान बनी इस शहर से भी मंत्री और मुख्यमंत्री बनते रहे लेकिन इस अवैध कारोबार पर किसी ने कभी न रोक लगाई ना ही जांच करने जहमत उठाई।
आज भी हालात वैसे ही है। जाने क्यों शासन और प्रशासन इस अवैध करोबार करने में लिप्त कारवाई करने में डरता है। यह हाल उस प्रदेश का है जहां एक वर्ष संपत्तिकर नहीं पटाने पर पांच गुणा तक जुर्माना लगता है। जहां कानून यह कहता है कि नजूल के अंतर्गत मिली जमीनों में भू-भाटक समय पर भूगतान न करने पर पट्टा स्वंयमेव निरस्त हो जाता है। जहां अवैध कार्यों को प्रश्रय न देने के सैकड़ों कानून है लेकिन इनमें से कोई भी कानून शायद इसलिए दीपक नगर और मालवीय नगर पर लागू नहीं होता क्योंकि शहर के सबसे बड़े रईस और राजनीति करने वाले लोग इस अवैध कालोनी में रहते है।
ततकालीन मध्यप्रदेश शासन ने 28-11-1961 में दुर्ग जिला गृहनिर्माण सहकारी समिति राजनांदगांव को पटवारी हल्का नंबर 24 के अंतर्गत खसरा क्रमांक 1356/1,2,3 खसरा क्रमांक 1357, 1358, 1359/1 एवं 1359/2 रकबा 4.74 एकड़ भूमि का आधिपत्य प्रदान किया गया था। जिसमें मध्यप्रदेश राज्य शासन के राजस्व विभाग के आदेश क्रमांक 6-329/7/2बी89 दिनांक 21-02-1990 और 15-05-1990 इसे विशेष शर्तों के आधार पर आबंटित माना गया है और इसका वार्षिक प्रिमियम 83,670 रुपए तथा भू-भाटक 4179 रुपए निर्धारित किया गया। अग्रिम आधिपत्य प्रदान किए जाने संबंधी आदेश में यह बताया गया कि वहां पर कुल 2.121 हेक्टेयर अथार्त 5.245 हेक्टेयर मे से 4.74 का ही ओदश प्रदान किया गया है। शासन के आदेश में उल्लेखित खसरा नंबर 1457 वास्तव में दुर्ग राजस्व ग्राम के अंतर्गत है ही नहीं तो उसे प्रशासन ने अपनी मनमर्जी से प्रशासन ने 1357 मान लिया।
शासन ने अपने द्वारा निर्धारित भू-भाटक और प्रिमियम की कोई राशि 2023 वसूल नहीं की और ना ही इस बारे में किसी तरह का कोई पत्र व्यवहार या नोटिस सोसायटी को भेजा। यह सोसायटी के रसूख और पहुंच के कारण ही संभव था। वर्ष 1961-62 से बकाया राशि की शिकायत की गई तो 23-08-2021 को आयुक्त दुर्ग ने सचिव छत्तीसगढ़ शासन राजस्व एवं आपदा प्रबंधक विभाग को 23-08-2021 को एक पत्र भेजा जिसमें उसने 60 वर्षों का बकाया प्रिमियम, बकाया प्रिमियम पर ब्याज, बकाया भू-भाटक और बकाया भू-भाटक पर ब्याज की गणनना कर कुल वसूली योग्य राशि मात्र 33,14282 रुपए निकाली। उन्होंने स्वयं ही कहा कि 60 वर्ष में यह राशि छह गुणा तक बढ़ाई जा सकती थी लेकिन बढ़ाई क्यों नहीं। यह सोच का विषय है। मामला अभी राज्य शासन के पास लंबित है और अगले 30 वर्षों के लिए नवीनीकरण करना चाहिए या नहीं करना चाहिए यह शासन को तय करना है।
इस मामले की शिकायत वस्तुत: प्रदेश के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू को किए जाने के बाद उन्होंने इस मामले की जांच करने के मौखिक आदेश दुर्ग आयुक्त महादेव कावरे को दिए थे। उनके द्वारा एक जांच कमेटी बिठाई गई थी जिसने अपनी जांच में सात बिंन्दूओं पर अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत किया था। 25-07-2023 को जब जांच प्रतिवेदन बनाया गया उसके अनुसार खसरा क्रमांक 1356/1,2,3 खसरा क्रमांक 1357, 1358, 1359/1 एवं 1359/2 रकबा 4.74 एकड़ भूमि को ग्राम दुर्ग पटवारी हल्का नंबर दुर्र्ग राजस्व निरिक्षक मंडल दुर्ग तहसील व जिला दुर्ग के वर्तमान राजस्व पटवारी अभीलेख में छत्तीसगढ़ शासन की स्वामित्व भूमि के नाम पर दर्ज है।
फार्म पी-1 (खसरा) वर्ष 2022-23 में खसरा नंबर 1357 रकबा 1.012 हेक्टेयर मकान कैफियत कॉलम 12 में गृह निर्माण समिति द्वारा भूमि नापने का चांदा दबा दिया गया। रिपोर्ट में माना गया है कि पटवारी चालू नक्शा के तिमेड़ा, चैमेड़ा से सीमा से मिलान करते हुए नाप किया गया। पटवारी नक्शा में नक्शा बंटाकिंत नहीं है और ना ही गृहनिर्माण समिति द्वारा प्रस्तुत नक्शे में भी नक्शा बंटाकिंत नहीं है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि जो रकबा दिया गया है वह भी 206.476 वर्गफूट होता है। मौके पर प्रस्तुत लेआउट नक्शा और पटवारी नक्शा का मिलान नहीं होता है।
प्रस्तुत लेआउट नक्शा के अनुसार मौके पर आवासीय मकान होना स्थित पाया गया, ले आउट नक्शा के अनुसार प्लाट क्रमांक 1 से 39 तक कुल क्षेत्र पर 2.6474 वर्गफूट है तथा लेआउट नक्शे पर 480 गुणा 30 फीट का एक सड़क 170 गुणा 30 फीट का एक सड़क 800गुणा 30 का एक सड़क, 480गुणा 14 फीट की एक और 180 गुणा 3 की निस्तारी गली है। इस प्रकार सड़क का कुल क्षेत्रफल 97950 वर्गफूट होता है। यह भूमि सोसायटी की नहीं है। मौके पर दुर्ग जिला गृहनिर्माण सहकारी समिति राजनांदगांव द्वारा निर्मित कालोनी का नाप करने पर 6,40,000 वर्गफीट भूमि पाया गया। जिसमें मकानात, सड़क, निस्तारी गली तथा पार्क निर्मित है। यह जमीन आयुक्त रायपुर डिविजन द्वारा 23 जनवरी 1961 को आबंटित जमीन से अधिक है और वर्तमान में यह कालोनी 14 एकड़ में निर्मित है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि सिर्फ सोसायटी सोसायटी की जमीन जिस पर निर्माण है वह लगभग 1 लाख 30 हजार वर्गफूट ज्यादा है और कुल भूमि में यह 4,32000 वर्गफूट अधिक है जिस पर समिति कालोनी का निर्माण किया जाना दर्शीत करती है। जांच में यह भी पाया गया कि प्लांट नंबर 39 की सीमा उत्तर भूजा 30 फिट, दक्षिण 30 फिट, पूर्व एवं पश्चिम 80 फिट कुल 2400 वर्गफीट का पंजीकृत बैनामा है जिसकी सीमा उत्तर में रास्ता, दक्षिण में प्रेमराज गोल्छा का मकान पूर्व में श्रीपाल गोल्छा का मकान तथा पश्चिम में एसएन मुर्ति का मकान दर्शाया गया है।
जिसको मुलचंद जैन पिता स्व. अमरचंद जैन की तरफ से आम मुख्तयार बंशीलाल अग्रवाल पिता लाजपत अग्रवाल एवं आशीष कुमार गुप्ता स्व. रामशरण गुप्ता द्वारा पंजीकृत बैनामा 29-06-2022 को क्रेता श्रीपाल गोल्छा पिता स्व. कवरलाल गोल्छा एवं अतुल गोल्छा पिता श्रीपाल गोल्छा के पास विक्रय किया गया है। विवरण विक्री शुदा नजूल जमीन है। स्थल निरिक्षण करने पर सोसायटी प्रबंधक द्वारा प्रस्तुत लेआउट में प्लांट नंबर 39 का सीमा उत्तर में 30 फीट का रास्ता, दक्षिण में टॉवर लगा हुआ है। पूर्व में रिक्त भूखण्ड तथा पश्चिम में एसएन मुर्ती का मकान है। विक्रय भूमि का चौहदी सीमा के पूर्व एवं दक्षिण दिशा की सीमा में भिन्नता पाया गया। प्रबंधक द्वारा प्रस्तुत नक्शे में मकान क्रमांक 39 दो जगह होना पाया गया एवं चौहदी तथा स्वामित्व भी अलग-अलग है। मर्यादित सोसायटी द्वारा प्रस्तुत आवास हस्तातंरण प्रमाण पत्रों में जिन जगहों का विवरण है उसमें भी काफी भिन्नता है।
दुर्ग जिला गृहनिर्माण सहकारी समिति को जो 4.74 एकड़ जमीन आबंटित की गई थी उसमें एक समान साईज के कुल 39 प्लाट कांट कर मकान बनाने की अनुमति थी। जिसमें सभी मकानों का क्षेत्रफल 2400 वर्गफूट रखा जाना था। वर्तमान में दीपक नगर और मालवीय नगर की सोसायटी में कुल 43 मकान निर्मित है और इनमें से सबसे अधिक भूमि का मकान 8400 वर्गफूट है। इसमें मकानों की संख्या बढ़ाने के लिहाज से कई नंबरों के प्लाट का ए,बी,सी उपनाम रखकर भी प्लांट आवंटित कर दिए गए है और उनका पंजीयन करा दिया गया है।
इस सोसायटी की अंतिम समिति में श्री विमल अग्रवाल अध्यक्ष थे तथा अरूण शुक्ला उपाध्यक्ष थे। प्रपुल कुमार पारख, नितिन भाटी, फुलचंद जैन, चंद्रकला अग्रवाल, कन्हैयालाल देवांगन, महेश श्रीमती बेला वर्मा, श्री गणेश झुलन सदस्य थे। यह समिति का चुनाव 28-12-2017 को कराया गया था लेकिन वर्तमान में यह समिति कार्यभार से हट चुकी है। उसके बाद से संस्था की एकमात्र महिला प्रबंधक ही सारी कर्ताधर्ता है। मामले की शिकायत होने पर संयुक्त पंजयीक सहकारी संस्थाएं दुर्ग ने दिनांक 18 जनवरी 2023 को छत्तीसगढ़ सहकारी सोसायटी अधिनियम 1960 की धारा 49 (8) के तहत जो आदेश जारी किया है उसके अनुसार सोसायटी पिछली कार्यकारीणी की समाप्ति 5 जनवरी 2023 को हो गई है और इस वजह से सोसायटी की सारी शक्तियां दुर्ग रजिस्टार में निहित कर दी गई है। उन्होंने अनिल कुमार बनज सहायक पंजीयक दुर्ग को इसका प्राधिकृत अधिकारी नियुक्त कर दिया है।
सोसायटी पर 1961 से 33 लाख रुपए प्रिंसिपल राशि बकाया है और इसे नहीं पटाने पर नियमत: इस कालोनी का पंजीयन रद्द किया जाना था और नजूल भूमि वापस ली जानी चाहिए थी। यदि इस राशि पर बैंक का साधारण ब्याज भी वसूल किया जाए तो राशि खरबों रुपए में हो सकती है। साथ ही साथ चार एकड़ जमीन के बदले लगभग 14 एकड़ जमीन हथिया लिए जाने के लिए अपराधिक प्रकरण भी दर्ज किया जा सकता है जिसके अंतर्गत सोसायटी सहित सोसायटी में मकान निर्माण करने वाले लोग शासकीय भूमि की रजिस्ट्री करने वाला विभाग, शासकीय भूमि पर बने अवैध भवनों का लेआउट पास करने वाला विभाग, शासकीय भूमि पर भवन निर्माण एवं पूर्णता का प्रमाण पत्र देने वाला विभाग तथा भू राजस्व वसूल करने वाला विभाग भी समान रूप से दोषि है।
लेकिन भ्रष्टाचार की इस वैतरणी में सब अपने पाप धो रहे हैं। शासन की अरबों की जमीन हथिया कर लोग पंूजीपति बन कर समाजसेवी कहला रहे हैं। यह भय दिखा रहे है कि कोई भी कार्रवाही होगी तो उससे जनआक्रोष फैल जाएगा और प्रलोभन और भय के जरीए उगाही करने वाला प्रशासन किंकर्तव्यविमुढ़ बना बैठा है। प्रदेश के गृहमंत्री द्वारा दिए गए मौखिक आदेश और उसके जांच के बाद यह स्पष्ट है कि दीपक नगर और मालवीय नगर में कालोनी का अधिकांश हिस्सा अवैध है और देखना यह है कि शासन इस पर क्या कार्रवाई करता है।