सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: रेलवे को क्लीन चिट, सफर के दौरान सामान चोरी हुआ तो…
नई दिल्ली। indian railway: ट्रेन से सफर के दौरान अगर आपके कीमती गहने, सामान चोरी हो जाए तो क्या करें? रेलवे स्टेशन पर शिकायत की जाती है। वह सामान बाद में मिले तो ठीक, नहीं तो नुकसान हो जाता है। लेकिन, हाल ही में एक मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। कोर्ट ने एक अहम फैसला दिया है कि अगर किसी यात्री का पैसा, जेवरात या सामान ट्रेन से चोरी हो जाता है तो इसे रेलवे की सेवा में दोष नहीं माना जा सकता है।
ट्रेन से यात्रा करते समय आरक्षित टिकटों पर यात्रा करने वाले यात्रियों को ही आरक्षित डिब्बों में बैठना चाहिए। इन डिब्बों में किसी को भी जाने की अनुमति है। इसमें चोर भी हैं। इस वजह से हर कोई सोचता है कि यात्रियों का क्या कसूर है। लेकिन अभी तक रेलवे ने कुछ नहीं किया। अब सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे को क्लीन चिट दे दी है।
एक व्यापारी एक लाख रुपए लेकर ट्रेन से सफर कर रहा था। यह 2005 का मामला है। यात्रा के दौरान उनके एक लाख रुपए चोरी हो गए। व्यापारी ने उसे कमर में बाँध रखा था और रात होने के कारण सो रहा था। 28 अप्रैल को सुबह 3:30 बजे जब वह उठा तो उसकी पैंट फटी हुई थी और पैसे चोरी हो चुके थे। उसने दिल्ली स्टेशन पर उतरकर जीआरपी में शिकायत दर्ज कराई।
कुछ दिन बाद उन्होंने शाहजहाँपुर के जिला उपभोक्ता फोरम में परिवाद दायर किया। इसमें उसने पतलून के नुकसान के रूप में 400 रुपये और एक लाख रुपये पर 18 फीसदी ब्याज की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया था कि चोरी रेलवे की लापरवाही के कारण हुई है।
हमारे पास पंजीकृत सामान चोरी होने पर ही हम जिम्मेदार होते हैं जबकि रेलवे इसका जवाब देता है। यात्रियों को जागरूक करने के लिए हर स्टेशन पर नोटिस लगाए गए हैं। इसमें कहा गया है कि आपको अपने सामान की रक्षा करनी चाहिए। तर्क दिया गया कि यात्रियों और उनके सामान की सुरक्षा जीआरपी और राज्य सरकारों के जिम्मे है।
जिला फोरम ने 2006 में रेलवे को व्यापारी को एक लाख रुपए देने का आदेश दिया था। हालांकि फोरम ने फटी पैंट के लिए ब्याज और मुआवजे के दावे को खारिज कर दिया। इस पर अपील 2014 में यूपी स्टेट कंज्यूमर फोरम और 2015 में नेशनल कंज्यूमर फोरम ने खारिज कर दी थी। रेलवे को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट में गया और पूछा गया कि यह कैसे कहा जा सकता है कि रेलवे सेवा में कमी है जब यात्री अपने सामान की सुरक्षा नहीं कर पाता है, चोरी के मामले में रेलवे जिम्मेदार नहीं है।