Samajwadi Party : सपा को एमएलसी चुनाव में झटका
Samajwadi Party : उत्तर प्रदेश में एमएलसी के लिए पांच सीटों पर हुए चुनाव में चार सीटें भाजपा ने जीत ली और एक सीट पर भाजपा के बागी प्रत्याशी को जीत मिली है। समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों को कई सीटों पर तीसरे या चौथे स्थान पर संतोष करना पड़ा है। जाहिर है यह समावादी पार्टी के लिए एक बड़ा झटका है। दरअसल एमएलसी के लिए चुनाव उस समय हुए है जब समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने तुलसीदास रचित रामचरित मानस को लेकर अंत्यंत विवादास्पद टिप्पणी की थी।
उनकी इस टिप्पणी के बाद न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश में बवाल उट खड़ा हुआ किन्तु सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ कोई अनुसंस्त्मक कार्यवाही करने की जगह पार्टी में उनका कद बढ़ा दिया। स्वामी प्रसाद मौर्य को समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बना दिया गया। यही नहीं बल्कि उन्हें जातिय जनगणा अभियान समिति का प्रमुख भी बना गया दिया। अखिलेश यादव के इस फैसले का ना सिर्फ विपक्षी पार्टी ने विरोध किया बल्कि समाजवादी पार्टी के कई नेताओं ने भी स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरित मानस पर दिए गए बयान की कड़ी निंदा की। इसके बावजूद अखिलेश यादव ने स्वामी प्रसाद मौर्य को प्रोत्साहित किया।
इससे स्पष्ट है कि स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान का अपरोक्ष रूप से अखिलेश यादव ने समर्थन किया। दरअसल अखिलेश यादव ने स्वामी प्रसाद मौर्य को आगे करके एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की है। उत्तर प्रदेश में मौर्य समाज के वोट भी यादव वोट बैंक के बाद दूसरे नंबर पर है इसलिए अखिलेश यादव स्वामी प्रसाद मौर्य का समर्थन करके और उन्हें पार्टी में पदोन्नत करके मौर्य वोट बैंक पर अपना कब्जा करना चाहते है। तुलसीदास जी की जिस चौपाई को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य ने एतराज जताया है उसका भी अखिलेश यादव ने एक तरह से समर्थन ही किया है और यह बयान दिया है कि वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से पूछेंगे कि क्या वे भी शुद्र है। जाहिर है इस विवाद को तुल देकर अखिलेश यादव मायावती के वोट बैंक में भी सेंध लगाने की कवायद कर रहे है और हिन्दू धर्म ग्रंथ को विवाद का मुद्दा बनाकर अल्प संख्यक वोटों को भी अपने पाले में करने का जतन कर रहे हैं।
लेकिन उनकी ये तमाम कोशिशें निरर्थक साबित हुई। उनका दांव उन पर ही उलटा पड़ा और एमएलसी के चुनाव में पांचों सीटों पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों की करारी हार हुई। यदि अभी भी अखिलेश यादव सबक नहीं लेते है तो आगामी लोकसभा चुनाव में भी समाजवादी पार्टी को इसका खामियाजा भूगतना पड़े तो कोई ताजूब्ब नहीं होगा। यही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी समाजवादी पार्टी को असफलता का सामना करना पड़ सकता है। बेहतर होगा कि अखिलेश यादव स्वामी प्रसाद मौर्य के विवादास्पद बयान के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई करें। अन्यथा इसका दूष्परिणाम भूगतने के लिए तैयार रहें।