फ्लोर टेस्ट :भाजपा ने किया कुछ ऐसा कि उद्धव को नहीं...

फ्लोर टेस्ट :भाजपा ने किया कुछ ऐसा कि उद्धव को नहीं…

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मुंबई/नवप्रदेश। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महाराष्ट्र की नई सरकार (udhav government) को शनिवार को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट (floor test) से गुजरना पड़ा। इस दौरान भाजपा सदस्यों ने जमकर हंगामा किया। लेकिन वे उद्धव को विश्वासमत हासिल करने से नहीं रोक सके।

भाजपा के हंगामे के बीच शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी की महाविकास आघाड़ी की सरकार (udhav government) ने बहुमत सिद्ध कर दिया (wins trust of vote) । महाराष्ट्र विधानसभा में हुए फ्लोर टेस्ट (floor test) में विश्वास मत प्रस्ताव केे पक्ष में 169 सदस्यों ने वोट किया, जबकि इसके खिलाफ वोट करने वालों की संख्या शून्य रही। इस दौरान विपक्षी दल भाजपा के सदस्यों ने शपथ ग्रहण का मुद्दा उठाकर पहले तो हंगामा किया और बाद में वाक आउट कर गए। इस तरह उद्धव सरकार ने विश्वास मत हासिल कर लिया (wins trust of vote)।

ऐसे चला हंगामा

विधि सम्मत नहीं हुआ शपथ ग्रहण : भाजपा

भाजपा सदस्यों का कहना था कि मुख्यमंत्री व मंत्रियों का शपथ ग्रहण विधि सम्मत नहीं हुआ। भाजपा की आपत्ति शपथ लेने वाले मंत्रियों के द्वारा कथित तौर पर शिवसेना प्रमुख बालासाहब ठाकरे व शिवाजी महाराज का नाम लेने पर थी। इसके जवाब में शिवसेना, एनसीपी व कांग्रेस के सदस्यों ने कहा कि मंत्रियों की ओर से शपथ के पहले या बाद में कोई अपने आदर्श महापुरुष व आराध्य देव का नाम ले सकता है।

शपथ में किसी ने सोनिया का नाम लिया तो किसी ने किसी अन्य नेता का: फडणवीस

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पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि आज की विधानसभा की कार्यवाही संवैधानिक नहीं थी। सरकार को नया अधिवेशन बुलाना चाहिए था। लेकिन पुराने वाले को ही कंटीन्यू किया गया। उन्होंंने यह भी कहा कि शपथ ग्रहण संविधान के अुनरूप नहीं हुआ। किसी ने सोनिया गांधी का नाम लिया तो किसी ने कोई और नेता का। प्रोटेम स्पीकर को हटाने का भी कोई प्रावधान नहीं है। लेकिन प्रोटेम स्पीकर को हटाया गया। संविधान को ताक पर रखकर सदन में मनमानी की गई।

इनकी मानें तो भंग करनी पड़ेगी संसद : भुजबल

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एनसीपी के छगन भुजबल ने कहा कि मंत्रियों ने राÓयपाल द्वारा दिलाई गई शपथ जस की तस ली। पहले या बाद में किसी के द्वारा अपने आदर्श नेता या आराध्य देवता के नाम लेने में आपत्ति नहीं होनी चाहिए। यदि भाजपा सदस्य इसको लेकर आपत्ति उठाते हैं तो संसद भंग कर देनी चाहिए। क्योंकि हमने देखा है कि संसद में कई सदस्य ऐसे हैं जिन्होंने शपथ ग्रहण के दौरान श्रीराम कहा तो किसी ने कुछ और

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