श्वास तंत्र की गंभीर बीमारियों के शोध के लिए देश में 20 सेंटर, रायपुर एम्स बना ICMR का सेंटर
– Raipur aiims: श्वसन तंत्र की गंभीर बीमारियों के बारे में शोध के लिए एम्स बना आईसीएमआर का सेंटर
-देशभर में 20 सेंटर बनाए गए, छत्तीसगढ़ में एम्स बना इसका सेंटर
-फेफड़े संबंधी बीमारियों का डेटा एकत्रित करेगा, ट्रीटमेंट प्रोटोकाल बनाएंगे
-पोस्ट कोविड रोगियों पर शोध और उनके इलाज में होगा काफी उपयोगी
रायपुर। Raipur aiims: देश में मेडिकल रिसर्च की सर्वोच्च संस्था इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, रायपुर में श्वसन तंत्र की गंभीर बीमारियों पर शोध के लिए सेंटर बनाने की अनुमति दी है। यह सेंटर देशभर में स्थापित किए जा रहे 20 सेंटर्स में एक होगा।
छत्तीसगढ़ में एम्स के पल्मोनरी विभाग को यह सेंटर प्रदान किया गया है। एम्स इसे फेफड़े संबंधी बीमारियों के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित करेगा। सेंटर पोस्ट कोविड रोगियों के डेटा एकत्रित करने और उन्हें इलाज प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
देशभर में कोविड के बाद श्वसन तंत्र खासकर फेफड़े संबंधी बीमारियों के रोगियों की संख्या में एकाएक बढ़ोत्तरी हुई है। एम्स के पल्मोनरी विभाग में ही प्रतिदिन लगभग 250 रोगी श्वसन तंत्र संबंधी बीमारियों का इलाज कराने के लिए आ रहे हैं। इसमें टीबी, पोस्ट कोविड और फेफड़ों के कैंसर के रोगी भी शामिल होते हैं।
देशभर के रोगियों पर विस्तृत शोध के लिए आईसीएमआर (ICMR) ने अब एक तंत्र विकसित करने का निर्णय लिया है जिसके अंतर्गत 20 राज्यों में विभिन्न सेंटर्स का एक नेटवर्क बनाकर विस्तृत शोध, ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल और विभिन्न प्रकार के अनुसंधान किए जाएंगे। इसे आईसीएमआर नेटवर्क ऑफ पल्मोनरी फाइब्रोसिस का नाम दिया गया है।
एम्स ( Raipur aiims ) के पल्मोनरी विभाग में बनाए गए सेंटर में डॉ. अजॉय कुमार बेहरा को इसका मुख्य अन्वेषक बनाया गया है। डॉ. बेहरा ने बताया कि पांच वर्ष के इस प्रोजेक्ट में श्वसन तंत्र को प्रभावित करने वाली बीमारियों के संबंध में विस्तृत डेटा एकत्रित कर चिकित्सा सुविधाओं को विकसित करने में मदद दी जाएगी। इसके लिए विभाग में कई उन्नत चिकित्सा सुविधाएं प्रारंभ कर दी गई हैं जो सेंटर को महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान करेंगी।
निदेशक प्रो. (डॉ.) नितिन एम. नागरकर ने सेंटर को एम्स के लिए काफी महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि इसे सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित किया जाएगा। इससे पोस्ट कोविड रोगियों को भी काफी मदद मिल सकेगी क्योंकि टीबी के बाद अब विभिन्न विभागों में पोस्ट कोविड बीमारियो को लेकर कई रोगी प्रतिदिन संपर्क कर रहे हैं। इसके लिए आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं विभाग में प्रारंभ कर दी गई हैं।