संपादकीय: भारत रत्न सम्मान के सच्चे अधिकारी हैं डॉ. मनमोहन सिंह
Manmohan Singh is the true rightful owner of Bharat Ratna award: देश के पूर्व प्रधानमंत्री और प्रख्यात अर्थशास्त्री डॉ.मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे। डॉ.मनमोहन सिंह का निधन देश के लिए अपूरणीय क्षति है। अपने एक दशक के कार्यकाल में प्रधानमंत्री के रूप में डॉ.मनमोहन सिंह ने देश को नई दिशा देने के लिए जो महत्वर्पूण फैसले लिये हैं वे देश के विकास की दिशा तय करने में बेहद महत्वपूर्ण कदम के रूप में याद किये जाएंगे।
डॉ.मनमोहन सिंह के कार्यकाल में ही सबसे पहले दो हजार पांच में मनरेगा शुरू हुआ था। जिसके तहत देश के हर ग्रामीण परिवार को कम से कम सौ दिनों का रोजगार उपलब्ध कराया गया। इसी साल सूचना का अधिकार कानून भी पारित हुआ था जिसके तहत प्रत्येक नागरिक को सरकारी सूचना प्राप्त करने का हक मिला और इससे प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता आई तथा जनता के प्रति सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित हुई।
इसके अलावा वन अधिकार कानून राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून, भूमि अधिग्रहण कानून और शिक्षा का अधिकार कानून भी उनके कार्यकाल में बना जो आज मील का पत्थर साबित हो रहे हैं। डॉ.मनमोहन सिंह का देश के प्रति सबसे महत्वपूर्ण योगदान यह रहा है कि उन्होंने तात्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री रहते हुए आर्थिक क्राति की शुरूआत की थी। उस समय देश की अर्थव्यवस्था डगमगा गई थी।
तब डॉ.मनमोहन सिंह ने आर्थिक उदारीकरण की नीति अपनाकर देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती दी थी। इसीलिए उन्हें भारत की आर्थिक क्रांति का जनक माना जाता है। आज यदि भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना है और तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में अग्रसर है तो इसका श्रेय भी डॉ.मनमोहन सिंह की दूरदर्शिता को ही दिया जाना चाहिए। वित्त मंत्री बनने से पहले डॉ.मनमोहन सिंह रिजर्व बैंक के गवर्नर रह चुके थे।
विश्व बैंक में भी उन्होंने सेवाएं दी थी और योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी रह चुके थे। इसलिए देश की अर्थव्यवस्था को बदलने में उनका यह अनुभव काम आया। इस लिहाज से डॉ.मनमोहन सिंह भारत रत्न सम्मान के सच्चे अधिकारी बनते हैं। वैसे तो उन्हें 1987 में देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से नवाजा गया था। इसके अलावा भी एक प्रख्यात अर्थशास्त्री के रूप में उन्हें कई देशों के विश्व विद्यालयों ने डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की थी।
देश के प्रति उनके विशिष्ट योगदान को देखते हुए भारत के तात्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने डॉ.मनमोहन सिंह को भारत रत्न सम्मान से सम्मानित करने का मन बनाया था और इसके लिए उन्होंने पहल भी की थी लेकिन पता नहीं क्यों डॉ.मनमोहन सिंह को भारत रत्न सम्मान नहीं मिल पाया। अब इस भूल को सुधारा जा सकता है और डॉ.मनमोहन सिंह को भारत रत्न सम्मान प्रदान कर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की जा सकती है।
मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से यह उम्मीद की जा सकती है की वे देश के सच्चे रत्न डॉ.मनमोहन सिंह को भारत रत्न सम्मान देने की दिशा में यथासिद्ध उचित पहल करेंगे। डॉ.मनमोहन सिंह, संयम, सालीनता और सादगी की प्रतिमूर्ति थे। देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर की तरह ही डॉ.मनमोहन सिंह भी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सादा जीवन उच्च विचार को अपने जीवन में आत्मसात कर चुके थे।
जब वे देश के प्रधानमंत्री थे और उन्हें अत्याधुनिक बीएमडब्ल्यू कार दी गई तब भी वे अपनी मारूति 800 का मोह नहीं छोड़ पा रहे थे। उस समय उनके प्रमुख सुरक्षा गार्ड रहे असीम अरूण ने पोस्ट किया है कि जब भी बीएमडब्ल्यू मं सवार होते थे तो अपने मारूति 800 पर हसरत भरी निगाह डालते थे। यदि उनका वश चलता और सुरक्षाकारणें के कारण उन्हें बीएमडब्ल्यू में सफर करने के लिए बाध्य न होना पड़ता तो वे अपनी मारूति की ही सवारी करते।
ऐसी सादमी आज के राज नेताओं में कही नजर नहीं आती। डॉ.मनमोहन सिंह की सेवाओं को यह देश कभी नहीं भूलेगा वे पधाानमंत्री पद से हटने के बाद इस बात को लेकर व्यथित थे कि अब सता पक्ष और विपक्ष मेें कटूता बढ़ती जा रही है। जो हित में नहीं है। उनकी इस व्यथा को ही उनकी अंतिम इच्छा मानकर सत्ता पक्ष और विपक्ष को चाहिए की वे आपसी कटूता खत्म करें। राजनीति मे ंआपसी मतभेद तो होते ही है लेकिन मनभेद नहीं होने चाहिए।
डॉ.मनमोहन सिंह के प्रति सच्ची श्रत्रांजलि तो यही होगी की उनके विचारों को आत्मसात किया जाये और जिन आर्थिक सुधारों को उन्होंने लगाू किया था। उसे और आगे बढ़ाया जाये ताकि भारत की अथव्यवस्था और मजबूत बने तथा हमारा देश दुनिया में विश्वगुरू की भूमिका निभाने में सफल हो।
यह तभी संभव है जब सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता दलगत भावना से उपर उठकर देश के आर्थिक विकास में अपनी भागीदारी ईमानदारी से निभाने के लिए संकल्पित हों।
बहरहाल पूर्व प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह के देश के नवनिमार्ण मेंं और खासतौर पर अर्थव्यवस्थ्सा में सुधार के लिए ये किये गये उनके क्रांति कारी कदमों को मद्देनजर रखकर उन्हें देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न देने के लिए सभी को पहल करनी चाहिए। यही इस देश के सच्चे सपूत को देश की सच्ची श्रद्धांजलित कही जायेगी।