आतंकवाद रोधी विशेषज्ञ कार्य समूह की 14वीं बैठक बुधवार को

Terrorism Expert Working Group
नयी दिल्ली । Terrorism Expert Working Group: आसियान देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक-प्लस (एडीएमएम-प्लस) और आतंकवाद रोधी विशेषज्ञ कार्य समूह (ईडब्ल्यूजी) की 14वीं बैठक आगामी 19 से 20 तारीख तक नयी दिल्ली में होगी। भारत और मलेशिया इस बैठक की सह-अध्यक्षता करेंगे। दस आसियान सदस्यों (ब्रूनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओ पीडीआर, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, वियतनाम, सिंगापुर और थाईलैंड) और आठ संवाद भागीदारों (ऑस्ट्रेलिया न्यूजीलैंड,कोरिया , जापान, चीन, अमेरिका और रूस) के प्रतिनिधिमंडल तिमोर लेस्ते और आसियान सचिवालय के साथ बैठक में भाग लेंगे।
भारत पहली बार आतंकवाद रोधी ईडब्ल्यूजी की सह-अध्यक्षता (Terrorism Expert Working Group) करेगा। रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह उद्घाटन समारोह के दौरान मुख्य भाषण देंगे। यह 2024-2027 तक चलने वाले चक्र के लिए आतंकवाद निरोध पर ईडब्ल्यूजी के लिए नियोजित गतिविधियों की पहली बैठक होगी। चर्चा आतंकवाद और उग्रवाद के उभरते खतरे से निपटने के लिए एक मजबूत और व्यापक रणनीति विकसित करने पर केंद्रित होगी।
बैठक का उद्देश्य आसियान के रक्षा बलों और उसके संवाद भागीदारों के जमीनी अनुभव को साझा करना है। यह 2024-2027 चक्र के लिए नियोजित गतिविधियों, अभ्यासों, सेमिनारों और कार्यशालाओं की नींव रखेगा।एडीएमएम-प्लस भागीदार देशों के रक्षा प्रतिष्ठानों के बीच व्यावहारिक सहयोग के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है। यह वर्तमान में व्यावहारिक सहयोग के सात क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करता है – आतंकवाद का मुकाबला, समुद्री सुरक्षा, मानवीय सहायता और आपदा प्रबंधन, शांति अभियान, सैन्य चिकित्सा, मानवीय खान कार्रवाई और साइबर सुरक्षा। इन क्षेत्रों में सहयोग को सुविधाजनक बनाने के लिए ई डब्ल्यू जी की स्थापना की गई है।
ई डब्ल्यू जी की सह-अध्यक्षता तीन साल के चक्र के बाद एक आसियान सदस्य राज्य और एक संवाद भागीदार द्वारा की जाती है। सह-अध्यक्षों का कार्य अध्यक्षता के प्रारंभ में तीन वर्षीय चक्र के लिए उद्देश्य, नीतिगत दिशा-निर्देश और निर्देश निर्धारित करना, नियमित बैठकों (वर्ष में कम से कम दो) का संचालन करना और तीसरे वर्ष में सभी सदस्य देशों के लिए किसी भी रूप (टेबल-टॉप/फील्ड प्रशिक्षण/कर्मचारी/संचार आदि) का अभ्यास करना है, ताकि तीन वर्षीय चक्र के दौरान व्यावहारिक सहयोग में हुई प्रगति का परीक्षण किया जा सके।