संपादकी :घोषित और अघोषित आपातकाल

Declared and undeclared emergency
Declared and undeclared emergency: भारत में आपाताकल के लगने के पचास साल पूरे होने पर भारतीय जनता पार्टी इसे लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे काला अध्याय निरूपित करते हुए संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाया। देशभर में भाजपा ने संविधान हत्या दिवस के रूप में विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया और आपातकाल में की गई ज्यादतियों का उल्लेख करते हुए अपने विचार व्यक्त किये और विरोध प्रदर्शन भी किया।
खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोशल मीडिया मंच एक्ट पर लिखा की 25 जून की तारीख भारत के लोकतांत्रिक इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक है। इसीलिए भारत के लोग इसे संविधान हत्या दिवस के रूप में मना रहे हैं। इस दिन भारतीय संविधान ने निहित मूल्यों को दरकिनार कर लोगों के मौलिक अधिकार छीन लिये गए थे और देश की आजादी को भी खत्म कर दिया गया था। विपक्ष के तमाम नेताओं, समाजिक कार्यकर्ताओं छात्रों और आम नागरिकों को जेलों में भेड़ बकरियों की तरह ठूस दिया गया था।
वकाई आपातकाल जिन लोगों ने देखा है उनको पता है कि इस दौरान तानाशाही सरकार ने किस कदर अत्याचार किया था किसी को भी नये कानून मिसा के तहत के गिरफ्तार कर जेल भेज दिया जाता था मिसा के तहत की जाने वाली कार्यवाही के खिलाफ न कोई वकील रख पाता था न दलील दे पाता था और न ही उसकी अपील सुनी जाती थी। पूरे 21 माह तक लाखों लोग जेल में रहे और वहां भी उन्हें प्रताडि़त किया गया था।
मीडिया पर भी सेन्सरशीप लगा दी गई थी इसलिए आम आदमी की पीड़ा को मीडिया अभिव्यक्त नहीं कर पाती थी। आपातकाल में अभिव्यक्ति की अजादी भी खत्म कर दी गई थी। निश्चित रूप से आपातकाल किसी डरावने सपने से कम नहीं था जिन लोगों ने आपातकाल में यातना सही थी वे आज भी आपातकाल को याद करके सिहर जाते हैं आज की नई पीढ़ी को आपातकाल के बारे में कुछ पता नहीं है।
मौजूदा पीढ़ी को भी आपातकाल की निरंकुशता पता चले इसीलिए केन्द्र की एनडीए सरकार ने हर 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया था जिसमें कोई हर्ज नहीं है। किन्तु कांग्रेस पार्टी को यह रास नहीं आ रहा है। क्योंकि आपातकाल कांग्रेस पार्टी की ही तात्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने लगाया था। यही वजह है कि आपातकाल के जवाब में कांग्रेस अब अघोषित आपातकाल का मुद्दा उठा रही है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकाजुर्न खडग़े ने इस बारे में बयान दिया है कि देश में अघोषित आपातकाल लागू हैं।
भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार अपनी प्रशासनिक विफलता पर पर्दा डालने के लिए आपातकाल के नाम पर ड्रामा कर रही है। कांग्रेस के महाासचिव जयराम रमेश ने भी कहा है कि पिछले 11 सालों से देश में अघोषित आपातकाल लगा हुआ है। भारतीय लोकतंत्र पर व्यवस्थागत और खतरनाक तरीके से आपातकाल के मुकाबले पांच गुना ज्यादा हमना किया जा रहा है।
नागरकि अधिकारों का दमन किया जा रहा है और जो सरकार की ज्यादतियों विरोध करते हैं उन्हें देशद्रोही करार दिया जाता है। कांग्रेस के नेताओं का अपनी पार्टी के बचाव में इस तरह का बयान देना तो स्वाभाविक है लेकिन जिन क्षेत्रीय विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने आपातकाल में जुल्म सहे थे और जेल में अमानवीय यातनायें भोगी थी उन पार्टियों के नेता भी आपातकाल कर अलोचना करने की जगह देश में तथाकथित अघोषित आपातकाल की निंदा कर रहे हैं।
शिवसेना यूबीटी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने तो आपातकाल के बचाव में कांग्रेस नेताओं को भी पछाड़ दिया है। संजय राउत के मुताबिक 1975 में जो आपातकाल लगाया गया था उसकी संविधान में व्यवस्था है इसलिए आपातकाल को अवैधानिक नहीं कहा जा सकता। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी आपातकाल पर चर्चा से बचते हुए देश में 11 सालों से अघोषित आपातकाल पर ही गहरी चिंता व्यक्त की है।
इन विपक्षी नेताओं से जब यह सवाल किया जाता है कि यदि पिछले 11 सालों से देश में अघोषित अपातकाल चल रहा है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तानाशाही कर रहे हैं तो उनके नेतृत्व वाली एनडीए को देश की जनता बार बार चुनाव में क्यों जिता रही है तो उकनी बोलती बंद हो जाती है।