संपादकीय: श्रीलंका और बांग्लादेश की राह पर नेपाल

Nepal on the path of Sri Lanka and Bangladesh
Editorial: भारत के पड़ौसी देशों में राजनीतिक अस्थिरता और तख्तापलट की घटनाएं भारत के लिए चिंता का विषय बन गई है। पहले पहल म्यांमार में तख्तापलट हुआ था उसके बाद श्रीलंका में वहां के लोगों ने विद्रोह का बिगुल फूंक कर सरकार का तख्तापलट दिया था। इसके बाद यही कहानी बांग्लादेश में दोहराई गई और वहां भी निवार्चित प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ बगावत की आंधी ने तूफान की शक्ल अख्तियार कर ली। नतीजतन उन्हें देश छोड़कर भागना पड़ा और भारत में शरण लेनी पड़ी। अब ऐसा ही नेपाल में होता नजर आ रहा है।

नेपाल भी श्रीलंका और बंग्लादेश की राह पर चल रहा है। वैसे भी नेपाल में पिछले 17 सालों में राजनीतिक अस्थिरता बनी हुई है। बीते डेढ़ दशक के दौरान नेपाल में 13 प्रधानमंत्री बदल चुके हैं। अभी वहां कम्युनिस्ट सरकार का शासन है और के पी शर्मा ओली वहां प्रधानमंत्री हैं जिनके खिलाफ नेपाली युवाओं ने बगावत शुरू कर दी है। ओली सरकार ने अचानक ही नेपाल में फेसबुक, इंस्टाग्राम और वाट्सएप्प सहित 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बैन लगाने की घोषणा कर दी। ओली सरकार का कहना है कि इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का रजिस्टे्रशन नहीं हुआ है जिसके लिए सरकार ने एक सप्ताह की समय सीमा तय की थी और इसके बाद भी जब रजिस्ट्रेशन नहीं कराया गया जो 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को प्रतिबंधित करने का फैसला लिया गया है।
ओली सरकार के इस फैसले के खिलाफ जेन-जी के बैनर तले नेपाल के युवाओं और छात्रों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। लाखों की संख्या में नेपाली युवा सड़कों पर उतर आये और उग्र प्रदर्शन शुरू कर दिया। आक्रोशित युवाओं ने नेपाल की संसद में घुसकर भी जोरदार हंगामा किया। नेपान की पुलिस इस आंदोलन को रोकने में नाकाम रही तो नेपाल की सेना ने मोर्चा संभाला। नतीजतन गोलीबारी की स्थिति आ गई जिसमें 20 प्रदर्शनकारी युवा मारे गये और 500 से अधिक घायल हो गये। इसके बाद विरोध प्रदर्शन और तेज हो गया। जिसके चलते ओली सरकार को झुकना पड़ा और उसने सोशल मीडिया पर लगे प्रतिबंध को हटाने की भी कवायद शुरू कर दी थी लेकिन इससे भी आंदोलनकारी युवा शांत नहीं हुए और उन्होंने अपना विरोध प्रदर्शन बदस्तूर जारी रखा।
इस बीच नेपाल के गृह मंत्री रमेश लेखक ने इस हिंसक घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से त्याग पत्र दे दिया है। वहीं कुछ और मंत्रियों व सांसदों के भी इस्तीफे की खबर आ रही है। अब प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली से इस्तीफे की मांग पर अड़ गये हैं उनका आरोप है कि ओली सरकार भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी हुई है। इस भ्रष्ट सरकार को सत्ता में बने रहने का कोई हक नहीं है। उनकी मांग है कि प्रधानमंत्री ओली त्याग पत्र दे और नेपाल में अंतरिम सरकार का गठन किया जाये। प्रधानमंत्री ओली ने आंदोलनकारियों के साथ बातचीत की पेशकश की जिसे जेन-जी ने ठुकरा दिया है।
इसके बाद अब प्रधानमंत्री ओली की मुसीबतें बढ़ गई है और उनकी सरकार खतरे में पड़ गई है। नेपाल में यह भी चर्चा सरगर्म है कि बढ़ते विरोध को देखते हुए प्रधानमंत्री ओली दुबई कूच कर सकते हैं। पड़ौसी देश नेपाल में मचे इस बवाल के मद्देनजर रखकर भारत सरकार ने भी नेपाल की सीमा पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम कर दिये हैं। बिहार से लगे बार्डर पर सीमा सील कर दी गई है वहीं दूसरी ओर अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस सहित अनेक देशों ने नेपाल के घटनाक्र्रम पर गहरी चिंता जाहिर की है। भारत ने पहले ही नेपाल में भड़की हिंसा पर दुख जताया है।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार ने भी नेपाल में 20 प्रदर्शनकारियों के मारे जाने तथा 500 से ज्यादा लोगों के घायल होने की घटना के लिए नेपाल सरकार की कड़ी निंदा की है। बहरहाल नेपाल में अभी भी हालात बेकाबू बने हुए हैं और वहां तख्तापलट की अटकलें तेज हो गई है। ऐसा समझा जा रहा है की प्रदर्शनकारियों के पीछे वहां के राजशाही समर्थकों का भी हाथ है। गौरतलब है कि हाल ही में नेपाल में फिर से राजशाही कायम करने की मांग को लेकर आंदोलन हुआ था। इस बीच ओली सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरती रही और फिर उसने सोशल मीडिया पर रोक लगाकर उसने आग में घी डालने का काम कर दिया है। आखिर भारी विरोध के बाद पीएम ओली को इस्तीफा देना पड़ा, जिसे राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया है।