संपादकीय: भारत और इंग्लैंड के बीच फ्रीटे्रड डील

संपादकीय: भारत और इंग्लैंड के बीच फ्रीटे्रड डील

Freetrade deal between India and England

Freetrade deal between India and England

Editorial: भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इंग्लैंड दौरे के दौरान भारत और इंलैंग्ड के बीच फ्रीट्रेड डील पर सहमति की मुहर लग गई। इस डील की चर्चा 2022 से शुरू हुई थी लेकिन इस पर सहमति बनने में तीन साल का समय लग गया। बहरहाल भारत और इंग्लैंड के बीच मुक्त व्यापार समझौता हो जाने से अब दोनों देशों के बीच निवेश बढ़ेगा और रोजगार से नये अवसर भी पैदा होंगे। दोनों देशों की अर्थव्यवथा को भी मजबूती मिलेगी।

गौरतलब है कि तीन साल पहले भारत ने इंग्लैंड को भी पीछे छोड़कर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का गौरव हासिल किया था और अब तो भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। भारत अब जल्द ही दुनिया के तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर तेजी से अग्रसर है।

यह तभी संभव है जब भारत इंग्लैंड सहित अन्य यूरोपीय देशों के साथ आपसी व्यापार को बढ़ाये। भारत और इंग्लैंड के बीच जो भी फ्रीट्रेड डील हुई है उससे दोनों ही देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार तेजी से बढ़ेगा जिसे 2020 तक 120 अरब अमेरिका डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। फ्रीट्रेड से वैसे तो दोनों ही देशों को लाभ मिलेगा लेकिन इंग्लैंड के मुकाबले भारत को ज्यादा फायदा मिलेगा। इस डील के मुताबिक अगले तीन सालों में भारत का कृषि निर्यात 20 प्रतिशत तक बढ़ेगा। जिससे भारतीय किसानों को फायदा पहुंचेगा।

इसी के साथ ही कृषि आधारित उत्पादों को नया बाजार मिलेगा और कृषि आधरित कंपनयिों के शेयरों में भी उछाल आएगा। कृषि के अलावा ऑटो और टेक्सटाइल ट्रेक्टर की कंपनियों के शेयरों में भी बढ़ौत्तरी देखने को मिलेगी। इस डील से भारतीय शेयर बाजार पर सकारात्मक प्रभाव पडऩे की संभावना है। भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा और जाहिर है कि इससे शेयर बाजार में तेजी आएगी।

खासतौर पर उन ट्रेक्टरों में जो इस समझौते से सीधे लाभान्वित होंगे। फ्रीट्रेड डील के कारण आवश्य दवाओं, इलेक्ट्रानिक समान, कपड़े, जूते और फैशन सामग्री अब सस्ते दर पर लोगों को उपलब्ध हो पाएंगे। भारत और इंग्लैंड के बीच यह फ्रीट्रेड डील ऐसे समय में हुई है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत सहित कई देशों के साथ ट्रैरिफ वार छेड़ चुके हैं। ऐसे में भारत और इंग्लैंड के बीच व्यापारिक संबंधों को नया आयाम मिलना बेहद महत्वपूर्ण है। यदि इंग्लैंड के बाद अन्य यूरोपीय देशों के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार और बढ़ता है तो इससे अमेरिकी की दादागिरी भी खत्म हो जाएगी।

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