संपादकीय: कर्नाटक के नाटक का पटाक्षेप
Karnataka drama culminates
Editorial: कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद को लेकर वहां के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच जो रस्साकसी चल रही थी। और ट्विटर के जरिए वे दोनों एक दूसरे पर वार और पलटवार कर रहे थे उस पर फिलहाल विराम लग गया है। दूसरे शब्दों में कहें तो पार्टी हाईकमान की समझाइश के बाद फिलहाल कर्नाटक के सियासी नाटक का पटाक्षेप हो गया है। हाईकमान के निर्देश पर सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार नाश्ते की टेबल पर मिले और दोनों ने इसके बाद संयुक्त पत्रकारवार्ता लेकर कहा की अब उनके बीच कोई मतभेद नहीं है।
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि हमारे बीच मतभेद पैदा करने की कोशिश की गई थी लेकिन अब गलतफहमियां दूर हो गई है और हम दोनों के बीच कोई मतभेद नहीं है। न ही आगे होगा। उन्होंने कहा है कि पार्टी हाईकमान के हर फैसले को हम स्वीकार करेंगे। और अब दो हजार 28 की रणनीति पर मिलकर काम करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे साथ 164 विधायक हैं जबकि भाजपा के पास सिर्फ 40 विधायक हैं ऐसे में यदि वे विधानसभा में उनकी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाती भी है तो उनकी सरकार पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।
पत्रकारवार्ता में डीके शिवकुमार ने कहा कि कर्नाटक का विकास हमारी प्राथमिकता है और हम अब चुनावी वादों को पूरा करने के लिए मिलकर प्रयास करेंगे। सबको साथ लेकर आगे बढ़ेंगे। इन दोनों नेताओं के बयानों से स्पष्ट है कि पार्टी हाईकमान ने इन्हें अच्छे से समझाइश दी है गौरतलब है कि कर्नाटक में जब कांग्रेस को प्रचंड बहुमत मिला था तो मुख्यमंत्री पद को लेकर सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच जमकर जोर आजमाइश हुई थी।
उस समय पार्टी हाईकमान ने विवाद को सुलझाने के लिए ढाई-ढाई साल वाला फार्मूला लागू किया था। जिसके तहत पहले सिद्धारमैया केा ढाई साल के लिए और बाद में ढाई साल के लिए डीके शिवकुमार को कर्नाटक की कमान सौंपे जाने का आश्वासन दिया गया था। इसी माह सिद्धारमैया के ढाई साल का कार्यकाल पूरा हो गया है। इसलिए डीके शिवकुमार ने मुख्यमंत्री पद के लिए अपना दावा ठोंकना शुरू कर दिया था। किन्तु सिद्धारमैया मुख्यमंत्री की कुर्सी खाली करने के लिए तैयार ही नहीं हुए।
इस बीच दो की लड़ाई में तीसरे को फायदा वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिाकार्जुन खडग़े ने भी अपने बेटे को कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनाने की ख्वाहिश पाल ली थी। बहरहाल कांग्रेस हाईकमान को आखिरकार इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा और वक्तितौर पर सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच संघर्ष विराम हो गया है लेकिन यह सीजफायर कब तक चलेगा इस बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता।
क्योंकि डीके शिवकुमार अभी भी मुख्यमंत्री पद की उम्मीद लगाये बैठे हैं। हालांकि कांग्रेस विधायक दल में सिद्धारमैया के समर्थक विधायकों की संख्या ज्यादा है इसलिए डीके शिवकुमार की दाल नहीं गल पा रही है।
