Stray Dogs Case : सो रहे थे जब आदेश दिया था… — आवारा कुत्तों के मामले में भड़का सुप्रीम कोर्ट, सभी मुख्य सचिवों को बुलाया अदालत
Stray Dogs Case
देशभर में बढ़ते आवारा कुत्तों (Stray Dogs Case) के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कड़ी नाराजगी जताई और कहा कि उसके आदेशों का पालन नहीं किया गया है। अदालत ने स्पष्ट निर्देश दिया कि पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होना होगा।
सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से आग्रह किया था कि मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत पेशी से छूट दी जाए और उन्हें वर्चुअल माध्यम से उपस्थित होने की अनुमति दी जाए। लेकिन न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने इस आग्रह को खारिज करते हुए कहा कि अदालत के आदेशों का स्पष्ट उल्लंघन हुआ है और अब सभी को सशरीर उपस्थित होना होगा।
पीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा, जब अदालत (Stray Dogs Case) ने मुख्य सचिवों को शपथपत्र दायर कर अनुपालन रिपोर्ट देने को कहा था, तब कोई कार्रवाई नहीं हुई। कोर्ट के आदेश का बिल्कुल भी सम्मान नहीं किया गया। अब उन्हें खुद आना ही होगा।”
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने सख्त लहजे में कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि सुप्रीम कोर्ट को अपना समय उन मुद्दों पर खर्च करना पड़ रहा है जिन्हें राज्य सरकारों और नगर निगमों को सालों पहले ही सुलझा लेना चाहिए था। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अदालत ने संकेत दिए कि अगर आगामी सुनवाई में कोई ठोस रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई, तो कठोर कदम उठाए जा सकते हैं।
इससे पहले 27 अक्टूबर को आवारा कुत्तों से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने आदेश दिया था कि तीन नवंबर को अगली सुनवाई के दौरान सभी राज्यों के मुख्य सचिव अदालत में मौजूद रहें। वहीं, 22 अगस्त की सुनवाई में अदालत ने इस मुद्दे का दायरा दिल्ली-एनसीआर से बढ़ाकर पूरे देश में फैले आवारा कुत्तों की समस्या पर कर दिया था।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 28 जुलाई को मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर इस समस्या पर स्वतः संज्ञान (suo motu cognizance) लिया था, जिसमें देशभर (Stray Dogs Case) में आवारा कुत्तों के हमलों और सार्वजनिक सुरक्षा से जुड़ी घटनाओं की जानकारी दी गई थी। अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों से पूछा था कि पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम, टीकाकरण अभियान, और स्थानीय निकायों की जिम्मेदारियों को लेकर अब तक क्या कदम उठाए गए हैं। इसके बावजूद, कई राज्यों द्वारा अनुपालन रिपोर्ट न देने पर शीर्ष अदालत अब कठोर रुख में दिखाई दे रही है।
