corona effect: छग में ‘बड़ी बनाम छोटी मछली’ बना पोल्ट्री उद्योग, कड़कनाथ…
कोरोना इफेक्ट की आड़ में छोटे किसान तथा व्यापारियों को साजिश की आशंका
नवप्रदेश/ रायपुर। कोरोना (corona effect) वायरस के डर व इसको लेकर फैल रही भ्रांतियों से देश में सर्वाधिक पोल्ट्री बिजनेस (poultry business affected) प्रभावित हो रहा है। प्रदेश (chhattisgarh poultry business affected by corona) के पोल्ट्री बिजनेस पर भी इसका असर देखा जा रहा है। कोरोना (corona effect) के पोल्ट्री बिजनेस (poultry business affected) पर इफेक्ट को लेकर एक बात भी निकलकर सामने आ रही है कि इसका सर्वाधिक असर छोटे किसानों व पोल्ट्री से जुड़े छोटे उद्यमियों पर पड़ रहा है।
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प्रदेश (chhattisgarh poultry business affected by corona) के छोटे उद्यमी व किसान अब कहने लगे है ये उन्हें बड़े पोल्ट्री ग्रुप की बर्बाद करने की साजिश का हिस्सा भी हो सकता है। छोटे किसान व उद्यमियों की मानें तो प्रदेश में स्थित संरक्षण प्राप्त एक बड़े पोल्ट्री ग्रुप समेत पोल्ट्री क्षेत्र के कुछ नामचीन व्यापारियों को उतना नुकसान नहीं हो रहा है जितना की उन्हें हो रहा है।
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छोटे किसान तथा व्यापारी ब्रायलर चिकन 40-50 रुपए प्रति किलो बेचने को मजबूर हैं तो वहीं प्रदेश के एक संरक्षण प्राप्त बड़े ग्रुप के पोल्ट्री फार्म से निकलने वाले ब्रायलर चिकन की कीमत इतनी कम नहीं हुई है। बड़े पोल्ट्री ग्रुप से निकलने वाली मुर्गियों का चिकन रिटेल में आज भी 120 रुपए प्रति किलो तक बिक रहा है, जो कि पहले 140 रुपए प्रति किलो तक बिक रहा था। इस बीच कड़कनाथ मुर्गे की सप्लाई जस के तस सप्लाई हो रही है।
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बड़ी मछली छोटी को खा जाती है
कोरोना को लेकर फैल रही अफवाह का असर तो सब पर हो रहा है, लेकिन ये निश्चित है कि ऐसे छोटे किसान व व्यापारी, जिनकी आजीविका का एकमात्र साधन पोल्ट्री व्यवसाय ही है, पूरी तरह टूट जाएंगे। कोरोना का असर खत्म होने के बाद भी इनका उबर पाना मुश्किल होगा। लेकिन बड़े ग्रुप द्वारा अपना बिजनेस बचा ले जाने से उन्हें आगे दिक्कत नहीं होगी, बल्कि आगे वे इस बिजनेस से और ज्यादा कमा सकते हैं। कहावत भी तो है-बड़ी मछली छोटी मछली को खा जाती है।
-मोहम्मद हलीम, पोल्ट्री व्यवसाय से जुड़े किसान, कोरबा
अपना ही माल बेचने का दबाव बना रहा बड़ा पोल्ट्री ग्रुप
नुकसान तो सभी का हो रहा है लेकिन बड़े ग्रुप इससे उबर जाएंगे क्योंकि उनके पास काफी पूंजी होती है। इसलिए अब ऐसा भी लग रहा है कि ये हमारे जैसे छोटे मुर्गी पालकों को बर्बाद करने की साजिश ही है। इसकी शंका इसलिए भी हो रही है क्योंकि राज्य के एक बड़े पोल्ट्री गु्रप से इस बात का भी दबाव बनाया जाने लगा है कि हमारा ही माल बेचो नहीं तो हम रिटेल में आपके यहां अपनी गाड़ी लाकर अपना माल बेचना शुरू कर देंगे।
-मो. इलियाज मेमन, पोल्ट्री फार्म संचालक, मैनपुर
माल उठाने की बजाय रिकवरी भेज रही कंपनी
कोरोना वायरस के बहाने यह हमारे जैसे छोटे मुर्गी पालकों को इस बिजनेस से हटाने की साजिश लग रही है। कॉन्ट्रैक्ट के तहत जिस कंपनी की मुर्गे- मुर्गियां पाली हैं कंपनी उन्हें खरीद नहीं रही है। कंपनी हमें प्रति किलोग्राम 8.5 रुपए देती है, लेकिन अब इस बड़ी कंपनी ने उल्टे मेरे ऊपर &5 हजार की रिकवरी भेज दी है। कंपनी पहले अपना माल बेचने में लगी हुई है।
-टिकेंद्र साहू, पोल्ट्री फॉर्म संचालक, बालोद
कड़कनाथ की डिमांड पहले जैसे ही
कड़कनाथ प्रजाति के मुर्गे की डिमांड में कोई फर्क नहीं पड़ा है। केंद्र से इसके चूजे पहले सप्लाई होते थे, वैसे ही आज भी सप्लाई हो रहे हैं। वैसे दूसरी प्रजातियों का चिकन भी सुरक्षित ही है।
-बीरबल साहू, वैज्ञानिक, कृषिकेंद्र कड़कनाथ प्रजनन केंद्र, कांकेर
राज्य के कृषि विभाग ने कहा – पोल्ट्री उत्पाद सुरक्षित
राज्य के कृषि विभाग द्वारा सर्वसाधारण से यह अपील की गई है कि वह किसी भी प्रकार की अफवाह व प्रचारित संदेश पर विश्वास न करें। उपभोक्ता इस प्रकार के संदेश पर ध्यान न देते हुए चिकन व अंडे के उपयोग को लेकर संशय न रखे। डब्ल्यूएचओ द्वारा की गई अनुशंसा अनुसार साफ सुथरे तथा स्व’छ वातावरण में पके चिकन व अंडे खाने से कोई खतरा नहीं है। अपील में कहा गया है कि यह वाइरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है। कोरोना वाइरस के पोल्ट्री के माध्यम से फैलने संबंधी अफवाह और गलत संदेश कुछ सोशल मीडिया में प्रसारित होने की जानकारी है, जबकि इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।