दुनिया (world) के सबसे बड़े भू-माफिया चीन (largest land mafia China) की विस्तारवादी नीति (Expansionist Policy) भारत में नहीं (not work in India) चलेगी। लद्दाख में चीन ने ऐसी कोशिश की लेकिन उसे डोकलाम की तरह ही एक बार फिर मुंहकी खानी पड़ी। यद्यपि इस दौरान हुए खुनी संघर्ष में भारत के 20 जवानों की शहादत हो गई लेकिन चीन के भी 50 से अधिक सैनिक मारे गए। खबर तो यह भी है कि भारतीय सैनिकों ने चीनी सेना के एक कर्नल को भी अपने कब्जे में कर लिया था जिसे बाद में छोड़ा गया।
भारत के इस आक्रमक तेवर को देखकर चीन सक्ते में आ गया है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस मुद्दें पर सर्वदलीय बैठक बुलाई जिसमें दो राजनीतिक दलों को छोड़कर शेष सभी विपक्षी दलों ने भारत सरकार और भारतीय सेना के प्रति अपना विश्वास जताया है। सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सभी को आश्वस्त किया है कि चीन को भारत की एक इंच जमीन भी नहीं लेने देंगे। भारत अपनी संप्रभुता और अखंडता के साथ कोई समझौता नहीं करेगा। भारतीय सेना को खुल छूट दे दी गई है।
वे अब चीन के हर हमले का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए स्वतंत्र है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीन को भी कड़ा संदेश दे दिया है कि वह अपनी सीमा न लांघे भारत शांति का हिमायती है लेकिन अगर कोई आंख दिखाएगा तो उसे करारा जवाब दिया जाएगा। सर्वदलीय बैठक के बाद लद्दाख में ही नहीं बल्कि चीन से लगने वाले सभी सीमा क्षेत्रों में भारतीय सेना की तैनाती और चौकसी बढ़ा दी गई है। थलसेना वायुसेना और जल सेना तीनों को ही अलर्ट पर रखा गया है। ताकि चीन के किसी भी हिमाकत का तत्काल मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके।
लद्दाख में लड़ाकू विमानों ने उड़ान भरना शुरू कर दिया है और चप्पे-चप्पे नजर रखी जा रही है। इसके साथ ही चीन से लगने वाली भारतीय सीमा के भीतर सड़क और पुल निर्माण कार्य भी युद्ध स्तर पर चलाए जा रहे हैं। जंग होने की स्थिति में भारतीय सेना के साजों सामान जल्द-जल्द सीमा तक पहुंचाए जा सके। कुल मिलाकर भारत ने तमाम एहतियाती कदम उठा लिए है। यद्यपि भारत चीन पर आक्रमण की पहल नहीं करेगा।
लेकिन यदि चीन तरफ से किसी भी तरह का हमला होता है तो भारतीय सेना उसे कड़ा जवाब देने के लिए कमर कस चुकी है। इस बीच भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व के तमाम नेताओं से चर्चा करके उन्हें भी चीन की इस गुस्ताखी से औगत करा दिया है। अमेरिका, इजराइल, जापान और आस्टे्रलिया जैसे तमाम देशों को युद्ध की दशा में हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया है। जबकि चीन अलग-थलग पड़ता जा रहा है।
उसके साथ सिर्फ पाकिस्तान और दक्षिण कोरिया ही है। जाहिर है यदि चीन अपनी चालबाजी से बाज नहीं आता है और सीमा पर तनाव बढ़ाता है तो जंग के हालात निर्मित होने पर भारत उसे ऐसा सबक सिखाएगा जिसे चीन कभी नहीं भूल पाएगा।