leader of opposition in Lok Sabha : इस बार के लोकसभा चुनाव में प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन किया है। वह मात्र एक सीट से शतक लगाने में चूक गई है। इस बार कांग्रेस 100 सीटों से भी ज्यादा सीटें हासिल कर सकती थी किन्तु जिन तीन राज्यों में उसकी सरकार है वहां उसका प्रदर्शन ठीक नहीं रहा। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार रहते हुए भी वह चारों सीटें हार गई। इसी तरह कर्नाटक में भी अपनी सरकार के रहते उसे 28 सीटों में से सिर्फ 9 सीटें मिली।
तेलंगाना में भी उसका प्रदर्शन अपेक्षाकृत संतोषजनक नहीं रहा फिर भी वह 99 सीटें पाकर लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। और एक दशक बाद वह लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद प्राप्त करने की अधिकारी बन गई है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष को कैबिनेट मंत्री के समकक्ष दर्जा मिलता है। अब देखना यह होगा कि कांग्रेस पार्टी लोकसभा में अपने किस सांसद को नेता प्रतिपक्ष बनाते है।
लोकसभा चुनाव (leader of opposition in Lok Sabha ) के नतीजे घोषित होने के बाद कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में नेता प्रतिपक्ष के मुद्दे पर चर्चा हुई और सभी सदस्यों ने कांगे्रस पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी संभालने का निवेदन करते हुए एक प्रस्ताव भी सर्वसम्मति से पारित किया किन्तु राहुल गांधी ने इस पर विचार करने बाद ही निर्णय लेने की बात कही है। ऐसे में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष को लेकर पेंच फंसता हुआ नजर आ रहा है।
राहुल गांधी को जब सर्वसम्मति से नेता प्रतिपक्ष बनाने की मांग हो रही है और इस बारे में बाकायदा कार्य समिति में प्रस्ताव भी पारित कर दिया है तो राहुल गांधी को यह प्रस्ताव स्वीकार लेना चाहिए। इसमें कोई दोमत नहीं है कि एक दशक बाद कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा में जो सम्मानजनक सीटें हासिल की है।
उसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी का सबसे बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने पहले भारत जोड़ो यात्रा और उसके बाद भारत जोड़ो न्याय यात्रा निकालकर पूरे देश में कांग्रेस को नई ताकत दी है। ऐसे में उन्हें लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का दायित्व निभाना ही चाहिए ताकि लोकसभा में कांग्रेस पार्टी एक सशक्त विपक्ष की भूमिका का निर्वहन कर सकें।