Voters are Tempted : जब भी कोई चुनाव आता है तो विभिन्न राजनीतिक पार्टियां वोट कबाडऩे के लिए मतदाताओं को प्रलोभन परोसने लगती है। अब तक तो विभिन्न राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के पूर्व ही राजनीतिक पार्टियां मुफ्तखोरी को बढ़ावा देने वाली घोषणाएं करती रही है लेकिन यह पहली बार है कि आगामी लोकसभा चुनाव के लिए भी मुफ्त की रेवड़ी बंाटने वाले फार्मूले पर अमल किया जा रहा है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव जो विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री का चेहरा बनने की कवादय कर रहे है उन्होने घोषणा की है कि यदि लोकसभा चुनाव में विपक्ष की जीत होती है तो पूरे देश के किसानों को मुफ्त बिजली दी जाएगी।
ये वहीं के.चंद्रशेखर राव है जिन्होने तेलंगाना में किसानों को (Voters are Tempted) मुफ्त बिजली देने का वादा करके प्रचंड बहुमत से अपनी सरकार बनाई है और उन्होने किसानों को मुफ्त बिजली भी दी है लेकिन उनकी सरकार बिजली कंपनियों का भुगतान नहीं कर रही है। बिजली वितरण करने वाली कंपनी का ११ हजार करोड़ रूपए बकाया है वहीं बिजली उत्पादन करने वाली कंपनी का ४ हजार करोड़ रूपए का भुगतान नहीं किया गया है। इस तरह मुफ्तखोरी को बढ़ावा देकर वे अपने राज्य को कर्ज में लाद रहे है और अब यही फार्मूला पूरे देश में लागू करने की बात कर रहे है।
दरअसल इसके पहले भी विभिन्न राजनीतिक पार्टियां मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए इस तरह की लोकलुभावन घोषणाएं करती रही है। इसमें सबको आम आमदी पार्टी ने पछाड़ दिया। अरविंद केजरीवाल ने नई दिल्ली के बाशिंदों को बिजली बिल माफ और पानी का बिल हाफ का लालीपाप देकर प्रचंड बहुमत हासिल किया था। यह फ्री वाला फार्मूला उन्होने पंजाब में भी आजमाया और वहा भी आम आमदी पार्टी भारी बहुमत से अपनी सरकार बनाने में सफल हो गई। अरविंद केजरीवाल की देखा-देखी अन्य राजनीतिक दलों में भी फ्री की रेवड़ी बांटने की होड़ लग गई है।
जो प्रदेश व देश के हित में नहीं है। पंजाब हो या दिल्ली या तेलंगाना सभी ऐसे राज्य जो फ्री रेवड़ी कल्चर को बढ़ावा दे रहे है वे गले तक कर्ज में डूबे हुए है। यदि केन्द्र सरकार उनकी वित्तीय सहायता न करे तो ये दिवालिया हो सकते है। इसके बावजूद सत्ता हासिल करने के लिए ये राजनीतिक पार्टियंा मुफ्तखोरी को बढ़ावा देने वाली घोषणाओं की भरमार कर रही है। इस बारे में सुप्रीम कोर्ट ने भी गहरी चिंता व्यक्त की थी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी फ्री रेवड़ी बांटने की घोषणाओं से बचने की आवयश्कता पर बल दिया था।
इसके बावजूद इस तरह की घोषणाएं (Voters are Tempted) होना हैरत की बात है। इससे देश के सामने गंभीर वित्तीय संकट की स्थिति पैदा हो सकती है और विकास कार्यो पर भी विपरित प्रभाव पड़ सकता है। केन्द्र सरकार को चाहिए कि वह इस बारे में गंभीरता पूर्वक विचार करें और फ्री रेवड़ी कल्चर को खत्म करने के लिए समय रहते कड़े कदम उठाएं।