Vote Jihad vs religious war in Maharashtra: महाराष्ट्र और झारखंड़ विधानसभा चुनाव के साथ ही उत्तरप्रदेश की नौ विधानसभा सीटों के लिए होने जा रहे उपचुनाव का प्रचार थम गया। चुनाव प्रचार के आखिरी दिन भी एनडीए और आईएनडीआईए के तमाम नेताओं ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी।
इस दौरान सभी ने एक दूसरे पर जमकर हमला बोला। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिाकार्जुन खडग़े ने तो चुनाव प्रचार के अंतिम दिन महाराष्ट्र के सांगली में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए भाजपा और आरएसएस पर बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी। उन्होंने भाजपा और आरएसएस की तुलना जहरीले सांप से करते हुए लोगो से कहा कि वे इन जहरीले सांपो को मार दे।
गौरतलब है कि इसके पहले भी मल्लिकार्जुन खडग़े ने उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बारे में व्यक्तिगत और आपत्तिजनक टिप्पणी की थी जिसके जवाब में योगी आत्यिनाथ ने मल्लिकार्जुन खडग़े पर जमकर निशाना साधा था। बहरहाल अब चुनाव प्रचार थमने से इस तरह की आपत्तिजनक टिका टिप्पणी पर विराम लग गया है।
महाराष्ट्र में महायुति और महाअघाड़ी गठबंधन के बीच कांटे की टक्कर होने जा रही है। महाराष्ट्र में अब वोट जिहाद बनाम धर्मयुद्ध होने की संभावना बलवति हो गई है।
योगी आदित्यनाथ के कटोगे तो बटोगे के नारे का काट आईएनडीआईए नहीं ढूंढ पाया है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस के नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी एक बार फिर चुनावी सभाओं में संविधान की प्रति दिखाते हुए नजर आए। और उन्होंने भाजपा पर संविधान की हत्या करने का वहीं पुराना आरोप लगाया।
इसके जवाब में भाजपा नेताओं ने कटोगे तो बटोगे और एक रहोगे तो सेफ रहोगे के नारे को ही अपना प्रमुख हथियार बनाये रखा। इस बीच एक मौलाना ने महायुति गठबंधन के प्रत्याशियों को जिताने की अपील करके भाजपा की राह असान कर दी।
उस अपील का हवाला देकर भाजपा नेता आईएनडीआईए पर निशाना साध रहे है और उस पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगा रहे है। पूरे चुनाव के दौरान जनहित से जुड़े मुद्दे हासिए पर रहे।
धर्म और जाति के नाम पर ही राजनीति होती रही। और इसे लेकर एक दूसरे पर आरोप प्रत्यरोप लगाने का खेल चलता रहा। बहरहाल अब चुनाव प्रचार पर विराम लग जाने के बाद अब महाराष्ट्र की जनता यह तय करेगी कि किसको वोट देने मे ंमहाराष्ट्र की भलाई है।
महाराष्ट्र विधानसभा का यह चुनाव उद्धव ठाकरे और शरद पवार के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्र बन चुका है। इन दोनों ही नेताओं की पार्टी विभाजन का शिकार हो चुकी है। दोनों ही नेताओं की पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह उनके हाथों से निकल चुका है।
हलांकि पार्टी के टूटने के बावजूद पिछले लोकसभा चुनाव में उद्धव ठाकरे और शरद पवार की पार्टी ने नए नाम और चुनाव नए चिन्ह के साथ भी बेहतर प्रर्दशन किया था किन्तु उस समय परिस्थियां अलग थी इसलिए इस बार विधानसभा चुनाव में भी वे अपना ऐसा ही प्रदर्शन दोहरा पाएंगे।
इसमें संदेह है। क्योंकि टिकट बटवारे के दौरान ही महाअघाड़ी गठबंधन में मतभेद उभर गए थे। मुख्यमंत्री पद को लेकर भी महाअघाड़ी में अभी तक खिंचतान मची हुई है। जिसे देखते हुए विधानसभा चुनाव में इस गठबंधन को कितनी सफलता मिल पाएगी यह कह पाना फिलहाल मुहाल है।