Vaccination of Children : भारत में कोरोना की दूसरी लहर अभी भी कायम है लेकिन अनेक राज्यों में शैक्षणिक गतिविधियां शुरू कर दी गई है। हालांकि ऐसे स्कूलों में कोरोना गाईड लाईन का पालन कराने का दावा किया जा रहा है लेकिन हकीकत यह है कि स्कूलों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराना शिक्षकों के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। कई स्कूलों में बच्चों को कोरोना होने की खबर आ रही है जिसके चलते ऐसे स्कूलों को फिर से बंद करने की नौबत आ गई है। गौरतलब है कि दूसरी लहर अभी गई नहीं है और तीसरी लहर दस्तक देने लगी है।
ऐसी स्थिति में मासूम बच्चों (Vaccination of Children) को कोरोना की चपेट में आने से बचाने के लिए एहतियात बरतना निहायत जरूरी है। जिन प्रदेशों में शैक्षणिक गतिविधियां शुरू कर दी गई है वहां सोशल डिस्टेंसिंग बनाएं रखना उन राज्य सरकारों की जिम्मेदारी बनती है। वैसे भी इस विषम स्थिति में शैक्षणिक गतिविधियां शुरू करना जोखिम भरा निर्णय है। जब तक बच्चों को वैक्सीन नहीं लग जाती तब तक ऑनलाईन पढ़ाई ही बेहतर है। इस बीच यह सुखद समाचार सामने आया है कि 12 से 18 साल उम्र के बच्चों के लिए जाईडस कैबिस वैक्सीन का परीक्षण पूरा हो गया है और उसे जल्द ही मंजूरी मिलने की संभावना है। यदि ऐसा होता है तो आने वाले एक दो माह बाद ही बच्चों का टीकाकरण शुरू हो सकता है।
सरकार को चाहिए कि बच्चो (Vaccination of Children) के टीकाकरण को प्राथमिकता दें। फिलहाल तो सरकार वयस्को को वैक्सीन लगाने के काम को गति दे रही है। अभी तक 50 करोड़ लोगों को वैक्सीन का कम से कम एक टीका लग चुका है। इस साल के अंत तक सभी लोगों को वैक्सीन का एक टीका लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिए कोविशल्ड, कोवैक्सीन और स्पूतनिक नामक वैक्सीन का उपयोग किया जा रहा है। आवश्यकता पडऩे पर अन्य विदेशी वैक्सीनों को भी मंजूरी दी जा सकती है।
अब सरकार को बच्चों के टीकाकरण पर अपना ध्यान केन्द्रित करना चाहिए क्योंकि अभी स्कूल कालेज खुल जाने से बच्चे कोरोना से ग्रसित होते है तो न सिर्फ उनके उपचार में बल्कि उन्हे क्वारंटाईन करने में भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। वयस्कों को तो कोरोना संक्रमित होने पर घर में भी अलग थलग रखा जा सकता है लेकिन यदि बच्चें कोरोना से संक्रमित होते है तो उन्हे अकेले नहीं रखा जा सकता।
ऐसी स्थिति में बच्चों (Vaccination of Children) के अभिभावकों को भी कोरोना हो सकता है। इस खतरे को मद्देनजर रखकर सरकार बच्चों के टीकाकरण को प्राथमिकता दें। यह भी कहा जा रहा है कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों पर ज्यादा असर डाल सकती है इसलिए यह जरूरी है कि बच्चों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएं।