Uproar in Parliament over reservation: कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने सरकारी ठेकों में अल्पसंख्यकों को चार प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला लेकर नया विवाद खड़ा कर दिया है। कर्नाटक सरकार के इस फैसले के खिलाफ कर्नाटक विधानसभा में भाजपा विधायकों ने जमकर हंगामा किया। नतीजतन कई भाजपा विधायकों को छह माह के लिए विधानसभा से निलंबित कर दिया गया।
इस बीच कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.शिवकुमार ने अल्पसंख्यकों को आरक्षण के मामले में यह विवादास्पद बयान दे दिया कि यदि संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण का प्रावधान नहीं है तो ऐसे में संविधान को बदला जाना चाहिए। डी. शिवकुमार के इस बयान को लेकर संसद में भी भारी बवाल मच गया। लोकसभा और राज्यसभा दोनों में ही आरक्षण के मुद्दे को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जमकर जुबानी जंग चली। जिसके कारण दोनों ही सदनों की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित करनी पड़ी। संसद में कार्यवाही शुरू होते ही सत्ता पक्ष के सांसदों ने डी. शिकुमार के बयान को लेकर हंगामा मचाना शुरू कर दिया था तो विपक्षी सदस्यों ने भी हंगामा शुरू कर दिया।
दोनो के बीच आरोप प्रत्यारोप के दौरान संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजु ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि संविधान बदलने की बात करने वाले कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी. शिवकुमार को तत्काल उनके पद से हटाया जाये या फिर कांग्रेस पार्टी यह बताये कि धर्म के आधार पर अल्पसंख्यक समुदाय को आरक्षण प्रदान करने के लिए भारतीय संविधान में बदलाव करने की उसकी क्या योजना है।
गौरतलब है कि भारतीय संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण देने का कोई प्रावधान नहीं है। आजादी के बाद संसद में 28 अगस्त 1947 को मुस्लिम लीग ने धर्म के आधार पर अल्पसंख्यकों को आरक्षण देने की मांग की थी। संविधान सभा में जब यह मुद्दा उठा तो तात्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल सहित पूरी संविधान सभा ने एक मत से धर्म के आधार पर आरक्षण की मांग को खारिज कर दिया था।
उस समय की यह बात स्पष्ट कर दी गई थी कि भारत के संविधान में कोई भी आरक्षण धर्म के आधार पर नहीं हो सकता। इसके बावजूद कर्नाटक की सरकार ने तुष्टिकरण की नीति पर चलते हुए धर्म के आधार पर आरक्षण देने की घोषणा कर दी है। जिसे लेकर बवाल खड़ा हो गया है। वैसे सरकार चाहे कोई भी फैसला ले यदि उसे कोर्ट में चुनौती दी गई तो धर्म के आधार पर आरक्षण का निर्णय उसे वापस लेना होगा।
पूर्व में भी कुछ राज्य सरकारों ने अपने वोट बैंक को खुश करने के लिए इस तरह का फैसला लिया था। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया था। कर्नाटक सरकार के इस फैसले का भी अंतत: यही हश्र होगा लेकिन डी. शिवकुमार ने संविधान में बदलाव की बात करके नया बखेड़ा खड़ा कर दिया है। और भाजपा को कांग्रेस पर निशाना साधने का मौका दे दिया है।