Unrest in Kashmir : पड़ौसी देश पाकिस्तान इस बार भी गणतंत्र दिवस के अवसर पर भारत में आतंकी हमले की साजिश कर रहा है। इस बार उसने कश्मीर में अशांति फैलाने का षडयंत्र रचा है। सीमा पार बड़ी संख्या में प्रशिक्षित आतंकवादी कश्मीर में घुसपैठ की फिराक में है। दरअसल कश्मीर मे भारतीय सेना और सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों के खिलाफ आपरेशन ऑलआउट तेज कर लिया है जिसकी वजह से पाकिस्तान बौखला गया है। नए साल में पहले पांच दिनों के भीतर ही पांच मुठभेड़ में आठ आतंकवादियों को जहन्नू रसीद कर दिया गया है।
इन आतंकवादियो मेंदो जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी थे और दो आतंकवादी लश्कर के थे। एक पाकिस्तानी आतंकवादी भी था। इसके पूर्व भी पिछले एक पखवाड़े से आतंकवादियों का तेजी से सफाया किया जा रहा है। यही वजह है कि पाकिस्तान अब कश्मीर घाटी में आतंकवादियों की घुसपैठ कराने की कोशिश में लगा है। कश्मीर घाटी में जो मुठ्ठीभर आतंकवादी बचे हुए है उनकी तलाश की जा रही है और चुन-चुन कर उन्हे मारा जा रहा है।
उम्मीद की जा रही है कि बहुज जल्द कश्मीर घाटी (Unrest in Kashmir) में बचे खुचे आतंकवादियों का सफाया हो जाएगा। इसके साथ ही अब आतंकवादियोंं के हिमायतियों के खिलाफ भी कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए। आस्तिन में पल रहे जहरीले सांपों का फन कुचनला भी निहायत जरूरी है जो कश्मीर में ३७० खत्म होने के बाद से लगातार जहर उगल रहे है और कश्मीरी युवकों को बरगलाने की कोशिश कर रहे है। ऐसे लोगों के खिलफ भी सर्जिकल स्ट्रार्ईक करने की जरूरत है तभी कश्मीर में अमन और चैन कायम हो पाएगा।
कश्मीर विवाद कश्मीर पर अधिकार को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच 1947 से जारी है। भारत में विलय के लिए विलय-पत्र पर दस्तखत किए थे। गवर्नर जनरल माउंटबेटन ने 27 अक्टूबर को इसे मंजूरी दी। विलय-पत्र का खाका हूबहू वही था जिसका भारत में शामिल हुए अन्य सैकड़ों रजवाड़ों ने अपनी-अपनी रियासत को भारत में शामिल करने के लिए उपयोग किया था। न इसमें कोई शर्त शुमार थी और न ही रियासत के लिए विशेष दर्जे जैसी कोई मांग।
इस वैधानिक दस्तावेज पर दस्तखत (Unrest in Kashmir) होते ही समूचा जम्मू और कश्मीर, जिसमें पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाला क्षेत्र भी शामिल है, भारत का अभिन्न अंग बन गया। 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध पाकिस्तान और भारत के बीच अप्रैल 1965 और सितंबर 1965 के बीच हुई झड़पों की परिणति थी। पाकिस्तान के ऑपरेशन जिब्राल्टर के बाद यह संघर्ष शुरू हुआ, जिसे भारतीय शासन के खिलाफ विद्रोह के लिए जम्मू-कश्मीर में सेना घुसाने के लिए डिजाइन किया गया था।