United Nations Development Program : संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम और ऑक्सफर्ड गरीबी एवं मानव विकास पहल की ओर से जारी किए गए बहु आयामी गरीबी शुचकांक में भारत के गरीबी उन्मूलन प्रयासों की सराहना की गई है। इसके मुताबिक बीते डेढ़ दशक में भारत ने ४१ करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आने में सफल हुए है। एनपीआई की रिपोर्ट में इस सफलता का कारण शातत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में उल्लेखनीय प्रयास को बताया गया है।
इसे ऐतिहासिक परिवर्तन बताते हुए कहा गया है कि भारत (United Nations Development Program) की यह सफलता अध्ययन योग्य है। हालांकि इस रिपोर्ट के मुताबिक जनसंख्या के हिसाब से भारत में अभी भी लगभग २२ करोड़ गरीब है जो दुनिया में सर्वाधिक है। इन गरीबों को गरीबी रेखा से बाहर निकाल पाना एक बड़ी चुनौती है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में भारत के गरीबी उन्मूलन अभियान की सरहना होना निश्चित रूप से भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
दरअसल कभी सोने की चिडिय़ा कहलाने वाला भारत अंग्रेजों की लंबी गुलामी और मुगलों के शासन के दौरान दोनों हाथों से लूटा गया था। यही वजह है कि आजादी के बाद भारत के अधिकांश लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने पर मजबूर थे और आजादी के बाद ऐसे वंचित लोगों तक मूलभूत सुविधाएं पहुंचाना सरकारों के लिए चुनौतीपूर्ण कार्य रहा है। सभी सरकारों ने पंचवर्षी कार्यक्रम गरीबों के उत्थान को ध्यान में रखकर ही बनाएं।
आज भी गरीबों के कल्याण (United Nations Development Program) के लिए योजनाओं और कार्यक्रमों का क्रियान्वयन किया जा रहा है जिसके चलते धीरे-धीरे ही सही लेकिन भारत को गरीबी के अभिषाप से मुक्ति मिल रही है। कोरोना काल में जबकि पूरे विश्व में हाहाकर मच गया था तब भारत जैसे विशाल देश में सरकार ने लोगेां को मुफ्त में कोरोना का टीका उपलब्ध कराया, यही नहीं बल्कि पिछले तीन सालों से ८० करोड़ लोगों को नि:शुल्क पांच किलो अनाज उपलब्ध कराया जा रहा है। जिससे गरीबों को बड़ी राहत मिली है। इसके बाद भी सरकार को गरीबी उन्मूलन के लिए अपने प्रयास और तेज करने होंगे तभी भारत के माथे पर चस्पा कलंक का टीका हट पाएगा।