Tokyo Olympics : टोकयों ओलंपिक में भारतीय खिलाडिय़ों ने इस बार उत्कृष्ट प्रदर्शन कर के पूरे देश का खेलों के प्रति नजरिया बदल दिया है। अब तक लोग क्रिकेट को ही सबसे बड़ा खेल मानते रहे है लेकिन भारतीय हॉकी टीम ने ओलंपिक में अपने बेहतरीन प्रदर्शन से यह साबित कर दिया है कि हमारा राष्ट्रीय खेल हॉक ही है।
भारतीय पुरूष हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीता है वहीं भारतीय महिला हॉकी टीम भी चौथे नंबर पर पहुंची है। भाला फेंक में तो भारत को स्वर्ण पदक ही मिल गया है। इसके बाद ओलंपिक से लौटे भारतीय खिलाडिय़ों का जिस गर्मजोशी से स्वागत किया गया है उससे स्पष्ट है कि अब भारत में क्रिकेट के अलावा भी अन्य खेलों के दिन बहुरने वाले है।
भाला फेंक में नीरज चोपड़ा को गोल्ड मेडल (Tokyo Olympics) मिलने के बाद भारतीय एथलेटिक महासंघ ने अब हर सात अगस्त को राष्ट्रीय भाला फेंक दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया है। इस दिन देश के हर राज्य में राज्य स्तरीय भाला फेक प्रतियोगित आयोजित की जाएगी और राष्ट्रीय स्पर्धा भी आयोजित की जाएगी। निश्चित रूप से इस तरह के प्रयासों से खेलों को प्रोत्साहन मिलेगा। इस बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भाजपा संसदीय दल की बैठक में ओलंपिक में भारत को मिली सफलता का उल्लेख करते हुए अपने सभी सांसदों से कहा है कि वे अपने-अपने संसदीय क्षेत्रों में खेलों के विकास पर विशेष ध्यान दे ताकि खेल प्रतिभाएं उभर कर सामने आ सकें।
निश्चित रूप से प्रधानमंत्री की यह पहल अनुकरणीय है। खेलों के विकास (Tokyo Olympics) के लिए विधायकों को भी अपने अपने राज्यों में ध्यान देना चाहिए। विधायकों और सांसदों को विधायक व सांसद निधि के रूप में करोड़ों रूपए की राशि हर साल मिलती है जिसमें से कई माननीयों की यह निधि तो उपयोग न करने की वजह से लेप्स हो जाती है। यदि सांसद और विधायक अपनी इस निधि से कुछ राशि खेलों को प्रोत्साहित करने पर खर्च करेंगे तो निश्चित रूप से खेलों को प्रोत्साहन मिलेगा और खिलाडिय़ों का उत्साह बढ़ेगा।
दरअसल देश में प्रतिभाओं (Tokyo Olympics) की कोई कमी नहीं है लेकिन उन्हे आवश्यक सुविधाएं सुलभ नहीं हो पाती। यही वजह है कि ये प्रतिभाएं दम तोड़ देती है। यदि खिलाडिय़ों को अनुकूल माहौल मिले और उनके खेलों के अनुरूप आवश्यक सुविधाएं मुहैया हो तो निश्चित रूप से ये प्रतिभाएं निखरेंगी और आगे चल कर ओलंपिक में पदको का ढेर लगा देंगी।

