The stick of discipline against rebels in Haryana: हरियाणा विधानसभा चुनाव में सत्ता के प्रबल दावेदार दोनों ही राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस अपनी अपनी पार्टियों के बागियों से परेशान हो गए हैं।
विधानसभा की टिकट से वंचित बागी अपनी पार्टी के खिलाफ या तो चुनाव मैदान में उतर गए हैं या फिर पार्टी विरोधी गतिविधयों में लग गए हैं। जिसकी वजह से कांग्रेस और भाजपा हाईकमान की परेशानी बढ़ गई हैं। नतीजतन अब इन दोनों ही पार्टियों ने बागियों पर अनुशासन का डंडा चलाना शुरू कर दिया है।
पहले कांग्रेस ने बागियों के खिलाफ कार्यवाही की और अब भाजपा ने भी अपने उन आठ बागी नेताओं को पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है जो निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव समर में ताल ठोक रहे हैं। इनमें रणजीत चौटाला भी शामिल हैं। जो हाल ही में भाजपा में शामिल हुए थे।
उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व कांग्रेस पार्टी ने भी एक दर्जन बागी नेताओं को पार्टी से निष्कासित किया था। दरअसल हरियाणा में इस बार भी भाजपा और कांग्रेस के बीच ही सीधा मुकाबला होने जा रहा है।
यह बात अलग है कि आम आदमी पार्टी और अन्य क्षेत्रीय पार्टियां इस मुकाबले को कहीं कहीं बहुकोणीय संघर्ष के रूप में तब्दील कर सकती हैं। किन्तु अधिकांश सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बीच ही कांटे की टक्कर होने की संभावना हैं। इन दोनों ही पार्टियों ने हरियाणा में अपनी पूरी ताकत झोंक रखी हंै।
90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा की एक-एक सीट दोनों ही पार्टियों के लिए महत्वपूर्ण हैं। ऐसी स्थिति में ये बागी नेता चुनावी समीकरण बिगाड़ सकते हंै।
दरअसल टिकट वितरण के बाद से कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों में अंतर्कलह बढ़ गई थी। कांग्रेस की राज्यसभा सदस्य कुमारी सैलजा तो नाराज हो गई थी। और उनके भाजपा में जाने की अटकलेें लगनी भी शुरू हो गई थी किन्तु कांग्रेस हाई कमान के हस्तक्षेप के बाद उनकी नाराजगी दूर हो गई।
लेकिन दर्जनभर से ज्यादा कांग्रेसी नेता बगावत पर उतर आए। उनके खिलाफ निष्कासन की कार्यवाही होने से कांग्रेस पार्टी के भीतर उठी बगावत की आंधी कितनी थमेगी यह कह पाना मुहाल है।
कमोबेश कांग्रेस जैसा ही भाजपा का भी हाल है। जहां टिकट से वंचित नेता बगावत का बिगुल फूंक चुके हैं। भाजपा में भी अनुशासन का जो डंडा चल रहा है। उससे भाजपा के बागी कैसा सबक लेते हैं यह देखना दिलचस्प होगा।
कुल मिलाकर हरियाणा विधानसभा चुनाव में बागियों ने चुनाव समर में उतरकर अपनी अपनी पार्टियों को परेशानी में डाल दिया है। ये वोट कटवा बागी चुनावी गणित को बिगाड़ सकते हैं।
ऐसी स्थिति में हरियाणा विधानसभा का चुनावी ऊंट किस करवट बैठेगा। इसका अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है। हरियाणा में बागियों के कारण जो स्थिति बनी है उसे देखते हुए बहुत संभव है कि वहां किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत न मिल पाए और त्रिशंकु विधानसभा देखने को मिले।