Terrorist Organization : अफगानिस्तान में एक निर्वाचित सरकार का तख्ता पलटकर आतंकवादी संगठन तालिबान ने वहां की सत्ता हथिया ली है। तालिबान ने इतनी बड़ी हिमाकत ऐसे ही नहीं की है। अमेरिकी सेना की वापसी के बाद तालिबान ने अपने पड़ौसी देश पाकिस्तान की शह पर ही अफगानिस्तान की सत्ता पर जबरिया कब्जा किया है।
पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों के साथ तालिबान की मिली भगत रही है। अफगानिस्तान में इन दिनों जो कुछ भी हो रहा है वह सिर्फ तालिबान ही नहीं कर रहा है बल्कि पाकिस्तान के आतंकि संगठन भी अफगानिस्तान में आतंक फैलाने के काम में तालिबान की मदद कर रहे है। पाकिस्तान यह सब कुछ चीन के इशारे पर कर रहा है जिसकी नजर बहुत पहले से अफगानिस्तान पर रही है।
अमेरिकी सेना की वापसी की घोषणा के बाद से ही चीन ने पाकिस्तान को मोहरा बनाकर अफगानिस्तान में तालिबानियों की हुकूमत कायम कराने का षडयंत्र रचा था जिसका अब खुद चीन की हरकतों से खुलासा हो रहा है। पहले तो चीन ने तालिबान (Terrorist Organization) को अफगानिस्तान के विकास के लिए हर संभव आर्थिक मदद मुहैया कराने का ऐलान किया था और अब चीन अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को विश्व समुदाय से मान्यता दिलाने के लिए अपनी कोशिशें तेज कर रहा है।
इस बारे में चीन ने अपने धुर विरोधी अमेरिका के साथ भी बातचीत की है और दुनिया के तमाम देशो से अपील की है कि सभी देश अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को मान्यता दें और वहां के हालात सुधारने में सहयोग करें। दरअसल चीन की गिद्ध दृष्टि अफगानिस्तान की खनिज संपदा पर है जो खरबों डॉलर की है। चीन तालिबान को भी पाकिस्तान की तरह कर्ज में लाद कर वहां की खनिज संपदा का अंधाधुंध दोहन करना चाहता है। इसके लिए उसे तालिबान का सरकार में रहना रास आ रहा है।
चीन की इस चालबाजी को समझने की जरूरत है और तालिबान सरकार (Terrorist Organization) को मान्यता देने के पहले सभी देशों को इस पर गंभीरता पूर्वक विचार करना चाहिए। कही ऐसा न हो कि आगे चलकर अफगानिस्तान भी पाकिस्तान की तरह एक आतंकवादी देश न बन जाएं और सारी दुनिया के लिए खतरा पैदा कर दें।