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संपादकीय: कश्मीर में फिर आतंकी हमला

Terrorist attack again in Kashmir

Terrorist attack

Terrorist attack : कश्मीर घाटी में पांव पसार चुका आतंकवाद अब जम्मू को भी अपनी जद में लेने लगा है। जम्मू संभाग के कठुआ क्षेत्र में दो माह के भीतर आतंकवादियों ने दूसरी बार सेना के वाहन को निशाना बनाया। आतंकवादियों के इस हमले में पांच जवान शहीद हो गए। वहीं पांच जवान घायल हो गए।

इसके बाद से उस पूरे क्षेत्र में सर्चिंग अभियान तेज कर दिया गया है और पूरे इलाके की घेराबंदी कर दी गई है। इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी कश्मीर टाइगर नामक एक आतंकी (Terrorist attack ) संगठन ने ली है जिसके तार लश्करे-ए-तैयबा से जुड़े हुए है। इस घटना के बाद से सेना के जवान कठुआ क्षेत्र में घर-घर तलाशी ले रहे हैं।

ऐसा माना जा रहा है कि इन आतंकवादियों को स्थानीय लोगों की मदद मिली थी। एक लोकल गाइड ने उन्हें क्षेत्र की जानकारी दी थी। कश्मीर घाटी में अभी भी जो लगभग 100 आतंकवादी सक्रिय हैं वे अब कश्मीर घाटी में सेना का दबाव बढऩे के बाद जम्मू में आतंकी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।

दरअसल लोकसभा चुनाव में जम्मू कश्मीर में हुए भारी मतदान के बाद से वहां सक्रिय आतंकवादी बुरी तरह बौखला गए हैं और वे जम्मू कश्मीार में फिर से दहशत का माहौल बनाना चाहते हैं। पड़ौसी देश पाकिस्तान अभी भी अपने नापाक इरादों से बाज नहीं आ रहा है।

इसका सबूत यह है कि हाल ही में जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों के साथ सेना की जो मुठभेड़ हुई है उसके बाद वहां से आतंकवादियों के पास से जो हथियार मिले हैं वे पाकिस्तान के हैं।

इन आतंकवादियों (Terrorist attack) को स्थानीय लोग भी मदद कर रहे हैं। अलगाववादी ताकतें इनकी सबसे बड़ी मददगार है। इसलिए अब यह जरूरी हो गया है कि इन घर के भेदियों के खिलाफ भी कड़ी कार्यवाही की जाए। अब इसमें कोई शक नहीं रह गया है कि मुट्ठी भर आतंकवादी स्थानीय अलगावादियों की मदद से ही इस तरह की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।

बहरहाल पांच जवानों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी। भारतीय सेना और सुरक्षाबल के जवान कायराना हमला करने वाले आतंकवादियों को ढूंढ कर उन्हें जरूर जहन्नूम रसीद करेंगे, किन्तु ऐसी घटनाएं आगे और न हो इसके लिए यह जरूरी है कि कश्मीर और जम्मू मेंं सेना तथा सुरक्षाबलों की संख्या और बढ़ाई जाए ताकि बचे-खुचे आतंकवादियों (Terrorist attack) के सफाये की मुहिम को और तेज किया जा सके।

दरअसल जब से जम्मू कश्मीर से 370 का खत्मा हुआ है और जम्मू कश्मीर में अमन और चैन की बहाली हो रही है तभी से पाकिस्तान की सह पर जम्मू कश्मीर में आतंकवादी सक्रिय हो गए हैं।

भारत सरकार को चाहिए कि वह पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह मुद्दा उठाए और जरूरत पडऩे पर पाकिस्तान के खिलाफ एक बार फिर सर्जिकल स्ट्राइक जैसी कड़ी और बड़ी कार्यवाही करने से न हिचकिचाए।

पाकिस्तान की भाषा बोलने वाले कश्मीरी नेताओं के खिलाफ भी कार्यवाही होना निहायत जरूरी है। कठुआ आतीक हमले के बाद जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने एक बार फिर यह बयान दिया है कि भारत को पाकिस्तान के साथ बातचीत करनी चाहिए।

यह बात वे हर आतंकी हमले के बाद दोहराते रहे हैं। उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि आतंकवाद की आग को हवा देने वाले पाकिस्तान के साथ भारत ने पहले ही किसी भी स्तर पर किसी भी तरह की कोई बातचीत न करने का ऐलान कर रखा है।

इसके बाद भी डॉ. फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे नेता जब तब पाकिस्तान की हिमायत करते रहते हैं। इनके खिलाफ भी कार्यवाही की जानी चाहिए।

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