Politics regarding women’s safety: बंगाल की राजधानी कोलकाता में एक डॉक्टर बेटी के साथ बर्बरता के बाद से विभिन्न राज्यों में भी महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों को लेकर सियासत हो रही है।
महिला सुरक्षा के सवाल को लेकर सार्थक बहस होनी चाहिए किन्तु देखा जा रहा है कि इसे लेकर सिर्फ राजनीति की जा रही है जो कतई उचित नहीं है।
देश के अन्य राज्यों की तरह ही हमारे प्रदेश छत्तीसगढ़ में भी महिलाओं की सुरक्षा का प्रश्न अबूझ पहेली बना हुआ है। छत्तीसगढ़ में भी आए दिन महिलाएं हिंसा और अनाचार का शिकार होती रहती है।
महिलाओं की सुरक्षा (Politics regarding women’s safety) सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार कड़े कदम उठा रही है इसके बावजूद कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रीया श्रीनेत ने छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आकर विष्णुदेव साय सरकार पर आरोप लगाया है कि उनके आठ माह के कार्यकाल के दौरान छत्त्तीसगढ़ में 600 से ज्यादा दुष्कर्म मामले हुए है।
और राज्य सरकार इन मामलों पर पर्दा डालने की कोशिश कर रही है इसके जवाब में भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता केदारनाथ गुप्ता ने आरोप लगाया है कि महिला सुरक्षा को लेकर कांग्रेस पार्टी ओछी राजनीति कर रही है।
उन्होंने आंकड़े जारी करते हुए कहा है कि पूर्ववर्तीय भूपेश बघेल की सरकार के आठ माह के कार्यकाल के दौरान तो 1294 दुष्कर्म के मामले हुए थे।
इस तरह कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधो को लेकर एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रही है और अपनी कमीज को दूसरी कमीज से ज्यादा सफेद साबित करने की कोशिश कर रही है।
जबकि होना तो यह चाहिए की महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए दोनों ही पार्टियों को इस बात पर सहमत होना चाहिए की ऐसे अपराधियों को जल्द से जल्द और कड़ी से कड़ी सजा दिलाने का प्रावधान दिया जाए।
इसके लिए न सिर्फ प्रदेश बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर कड़े कानून बनाए जाएं। एक दूसरे पर किचड़ उछालने से कुछ भी हासिल नहीं होगा। उम्मीद की जानी चाहिए की इस संवेदनशील मुद्दे पर ओछी राजनीति करने से राजनीतिक पार्टियां परहेज करेंगी।