Supreme Court’s strong comment on bulldozer: उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान में बुलडोजर एक्शन को लेकर दााखिल की गई जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है।
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी आरोपी भले ही वह हत्या, रेप या आतंकवादी घटना का आरोपी हो उसकी संपत्ति पर बुलडोजर की कार्यवाही नहीं होनी चाहिए।
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश और राजस्थान में एक समुदाय विशेष के लोगों के खिलाफ हुई बुलडोजर की कार्यवाही को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इस पर 17 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित राज्य सरकारों को निर्देश दिया था
कि उसकी अनुमति के बिना 1 अक्टूबर तक आरोपियों सहित अन्य लोगों की संपत्तियों को बुलडोजर का उपयोग कर न गिराया जाए। इसके बाद इस याचिका पर सुनवाई जारी रखते हुए जस्टिस बी आर गवई और के वी विश्वनाथन ने कहा कि जनता की सुरक्षा सबसे पहले है
इसलिए भारत जैसे धर्मनिर्पेक्ष देश में सभी के लिए एक समान कानून है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चाहे वह मंदिर हो या दरगाह हो सड़क, जलमार्ग और रेलमार्ग को अवरुद्ध करने वाले किसी भी धार्मिक ढ़ांचे को हटाना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया है कि बुलडोजर एक्शन को लेकर उसका आदेश सभी नागरिकों पर लागू होगा।
फिर चाहे ऐसा व्यक्ति किसी भी धर्म या समुदाय का हो। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी भी की है कि यदि किसी संपत्ति को अवैधानिक रूप से तोड़ा जाता है तो सरकार को इसका हर्जाना देना होगा।
जस्टिस गवई ने कहा है कि अनाधिकृत निर्माणों के लिए एक कानून होना चाहिए और यह किसी धर्म पर निर्भर नहीं होना चाहिए। गौरतलब है कि पहले पहल उत्तरप्रदेश में अवैध निर्माणों के खिलाफ बुलडोजर की कार्यवाही शुरु की गई थी जिसकी वजह से यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बुलडोजर बाबा के नाम से जाना लगा था।
इसके बाद मध्यप्रदेश और राजस्थान सहित अन्य राज्यों मे भी बुलडोजर एक्शन शुरू हो गया था। इसे लेकर कई जगह बवाल मच गया और आखिकार पीडि़त पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अब इससे संबंधित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है और जल्द ही उसका फैसला भी आ जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर की कार्यवाही को लेकर नए दिशा निर्देश बनाने की भी बात कही है जो सही है। बुलडोजर एक्शन के नाम पर कई जगह मनमानी करने की शिकायतें सामने आई हैं।
इसे मद्दे नजर रखकर इस बारे में एक स्पष्ट नीति बनाना बेहद जरूरी है ताकि अवैध निर्माणों के खिलाफ कानून के मुताबिक ही बुलडोजर की कार्यवाही की जाए और इसे लेकर कहीं कोई अप्रिय स्थिति निर्मित न होने पाए। एक अनुमान के मुताबिक देश में अब तक चार लाख से अधिक अवैध निर्माणों के खिलाफ बुलडोजर की कार्यवाही की गई है
और लाखों अवैध कब्जों के मामले विभिन्न राज्यों में विचाराधीन हैं। दरअसल सरकारी जमीन पर अवैध कब्जों की भरमार होने लगी है। नगरी प्रशासन विभाग और स्थानीय निकायों की अकर्मण्यता के चलते शासकीय भूमि पर न सिर्फ अवैध भवन बन रहे हैं बल्कि अवैध बस्तियां भी बस रही हैं।
यहां तक की बड़े बिल्डर अतिक्रमण करके कॉलोनियां भी बनाने लगे है। ऐसे अवैध निर्माणों के खिलाफ बुलडोजर एक्शन तो होना ही चाहिए उम्मीद है कि जल्द ही इस बारे में सुप्रीम कोर्ट नए दिशा निर्देश जारी करेगा।