Supreme rebuke to Bengal government: बंगाल की राजधानी कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में पदस्थ एक ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी को सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर इस मामले की सुनवाई शुरू की है।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय न्याय पीठ में इस मामले की सुनवाई के दौरान बंगाल सरकार को जमकर फटकार लगाई है।
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा है कि इस घटना ने देश की आत्मा को झकझोर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना को लेकर बंगाल की ममता बनर्जी सरकार से कई सवाल पूछे है।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि मृतका का शव उनके परिजनों को क्यों नहीं दिखाया गया और देर शाम तक एफआईआर दर्ज क्यों नहीं कराई गई। एफआईआर दर्ज कराना अस्पताल प्रबंधन का काम था।
उक्त अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के प्रिसिंपल ने इस जघन्य हत्या को आत्महत्या क्यों कहा, उन्होंने उक्त पिं्रसिपल को दूसरे कॉलेज का प्रिंसिपल बनाने पर भी सवाल उठा है।
यही नहीं बल्कि इस घटना के बाद अस्पताल के आंदोलनरत डॉक्टरों पर हजारों की भीड़ द्वारा हमला किये जाने के मामले को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है और यह पूछा है कि अस्पताल परिसर में हजारों की भीड़ आखिर कैसे घुस गई।
सुप्रीम कोर्ट ने आंदोलनरत डॉक्टरों और इस घटना का विरोध करने वालों के खिलाफ बंगाल पुलिस की कार्यवाही को लेकर भी नाराजगी दिखाई है। यह सीधे-सीधे बंगाल पुलिस और बंगाल सरकार के मुंह पर करारा तमाचा है। गौरतलब है कि एक डॉक्टर बेटी की हत्या के बाद से न सिर्फ बंगाल बल्कि पूरे देश के डॉक्टर आंदोलित हो उठे है।
बंगाल में यह घटना हुई है। इसलिए वहां इसका ज्यादा विरोध होना स्वाभाविक है। जिनके खिलाफ बंगाल पुलिस दमन चक्र चला रही है। डॉक्टरों को धमकियां दी जा रही है। और सोशल मीडिया पर इस घटना का विरोध करने वाले के खिलाफ पुलिस एफआईआर दर्ज कर रही है।
तृणमूल कांग्रेस के एक सांसद ने तो खुलेआम यह धमकी दी है कि इस घटना को लेकर जो भी व्यक्ति मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर उंगली उठाएगा उसकी उंगलियां तोड़ दी जाएगी।
तृणमूल कांग्रेस के एक और नेता ने आंदोलनरत डॉक्टरों को धमकी दी है कि यदि उनकी हड़ताल के कारण किसी मरीज की जान चली जाती है और फिर गुस्साए लोगों की भीड़ डाक्टरों पर हमला कर देती है तो सरकार डाक्टरों को नहीं बचाएगी।
इससे साफ जाहिर होता है कि बंगाल सरकार इस घटना को लेकर कितनी संवेदनशील है घटना के बाद से इस मामले को दबाने के लिए बंगाल पुलिस ने जो काम किया है उससे स्पष्ट हो गया है कि ममता बनर्जी सरकार अपराधियों को संरक्षण देना चाहती है।
सुप्रीम कोर्ट से पहले कोलकाता हाई कोर्ट ने भी इस घटना को लेकर बंगाल सरकार को जमकर फटकार लगाई थी और उसी ने यह कहते हुए सीबीआई जांच के आदेश दिए थे कि बंगाल में कानून और व्यवस्था फेल हो चुकी है।
अब यही बात सुप्रीम कोर्ट ने भी मानी है और उसमें सीबीआई को निर्देशित किया है कि गुरूवार तक वह स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करें। कुल मिलाकर सुप्रीम कोर्ट की इस सख्ती के बाद अब यह उम्मीद की जानी चाहिए की इस मामले की सीबीआई निष्पक्ष जांच करेगी और अपराधियों को उनके किए की कड़ी से कड़ी सजा जरूर मिलेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने आंदोलनरत देशभर डॉक्टरों से भी कहा है कि वे सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा रखे और मरीजों के हित मेेंं अपने काम पर लौटै। आशा है कि सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद अब आंदोलित डॉक्टर काम पर वापस लौटेंगे।