big decision on reservation: इन दिनों जातीय जनगणना की मांग जोर शोर से उठाई जा रही है। लोकसभा चुनाव के दौरान आईएनडीआईए में शामिल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे को जोर शोर से उठाया था।
एनडीए सरकार पर आरक्षण को खत्म करने की साजिश रचने का आरोप भी लगाया था। हालांकि उनका यह आरोप निराधार था लेकिन विपक्ष को इसका लाभ मिला और भाजपा की सीटें कम हो गई। इसके बाद विपक्ष ने जातीय जनगणना करा कर जिसकी जितनी भागीदारी उसकी उतनी हिस्सेदारी की मांग को हवा देना शुरू कर दिया है।
संसद के मानसून सत्र में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने जातीय जनगणना की मांग को लेकर फिर आवाज उठाई थी। जिसके चलते लोकसभा और राज्यसभा दोनों में ही सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जमकर जुबानी जंग हुई। लोकसभा में भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने यह बयान दे डाला की जिसकी जाति का पता नहीं है।
वह जातीय जनगणना की मांग कर रहे हैं। उनके इस बयान को लेकर भारी हंगामा हुआ। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण पर ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली सात सदस्यीय पीठ ने कोटे के भीतर कोटे को मंजूरी दे दी है।
इसके लिए राज्य सरकारों को उचित कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि आरक्षण (big decision on reservation) का लाभ उस कोटे में शामिल सभी जातियों के लोगों को समान रूप से मिलना चाहिए। ऐसा नहीं होना चाहिए की कुछ जातियों को ही आरक्षण का लाभ मिले और बाकी जातियां इससे वंचित रहे।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी फैसला दिया है कि जिस तरह पिछड़ा वर्ग को मिलने वाले आरक्षण में क्रीमी लेयर को आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाता । उसी तरह अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षण का जो प्रावधान है। उसमें भी क्रीमी लेयर को आरक्षण के दायरे से बाहर करना चाहिए।
ताकि वंचित वर्ग को आरक्षण का लाभ मिल सके। गौरतलब है कि पिछड़ा वर्ग में क्रीमी लेयर उसे माना जाता है। जिसकी आय 8 लाख रुपए सालाना से अधिक होती है। उन्हें आरक्षण का फायदा नहीं मिलता किन्तु अनुसूचित जाति और जन जाति के लिए अभी तक क्रीमी लेयर की सीमा तय नहीं की गई है।
नतीजतन आर्थिक रूप से बेहद संपन्न इस वर्ग के लोग बदस्तूर आरक्षण का लाभ उठा रहे हैं। एसटी एससी में भी क्रीमी लेयर को आरक्षण के लाभ से वंचित करने का सुप्रीम का यह फैसला स्वागत योग्य है।